MSP की गारंटी और कर्ज माफी समेत किसानों की तमाम मांगों के लिए वे 26 नवंबर से आमरण अनशन पर हैं, जिसकी वजह से उनकी हालत नाज़ुक हो चुकी है और डॉक्टरों ने हार्ट अटैक व ऑर्गन फेल्योर का भी खतरा बताया है। पूरे देश की संवेदनाएं उनके साथ हैं।

यह पहली बार नहीं है, जब किसान अनशन पर हैं। इससे पहले भी 700 से ज़्यादा किसान शहीद हो गए थे और मोदी सरकार सब देखकर भी अंजान बनी बैठी थी।

शमशेर गुरुग्राम पटौदी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2800 किलोमीटर दूर कुवैत की यात्रा पर निकल गये लेकिन 200 किलोमीटर दूर प्रदर्शन स्थल जा कर किसानों से मिलने और उनकी समस्या सुनने का वक्त नहीं निकाल सके। जबकि डॉक्टरों के मुताबिक आंदोलन स्थल पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की जान पर खतरा बहुत बढ़ गया है और किसी भी वक्त कोई अनहोनी हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने भी चेतावनी दी है कि इस स्थिति के लिए पूरा शासन तंत्र जिम्मेदार होगा। लेकिन सरकार, संघी और बीजेपी मजे की नींद में सो रहे हैं।" उक्त बातें महिला कांग्रेस नेत्री ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि बीज, खाद कीटनाशकों की बढ़ती कीमतों से महंगी होती खेती के लिए अपनी फसल और मेहनत के बदले एमएसपी की मांग कर रहे किसानों से मोदी वादा खिलाफी कर रहे हैं। एमएसपी की गारंटी और अन्य मुद्दे, जो सीधे किसानों के जीवन और आजीविका से जुड़े हैं, को गंभीरता से लेना सरकार की जिम्मेदारी है इसलिए सरकार और प्रधानमंत्री जी को इस मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत बातचीत का रास्ता निकालना चाहिए।
वर्मा ने कहा कि सबसे ज्यादा रोज़गार देने वाले कृषि क्षेत्र में अगली पीढ़ियों को आत्महत्या से बचाने के लिए किसानों को अपनी जान कुर्बान करनी पड़ रही है। उन्होंने शायराना अंदाज में बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि 'आजकल वो अहंकार की करामात कर रहे हैं, किसान हित को छोड़कर बाकी बात कर रहे हैं!'
महिला कांग्रेस नेत्री ने कहा कि एमएसपी की गारंटी और कर्ज माफी की मांगें क्या इतनी बड़ी हैं कि उन्हें पूरा कराने के लिए हमारे अन्नदाताओं को अपनी जान की बाज़ी लगानी पड़े? ठंड बढ़ी हुई है, बरसात हो रही है, लेकिन किसान मजबूर होकर न्याय पाने के लिए धरने पर बैठा है। और किसान व किसानी विरोधी इस अहंकारी सत्ता की तरफ से देश के अन्नदाताओं की मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसान का अनशन समाप्त कराने के लिए कोई पहल नहीं की गई, कोई वार्ता का न्योता नहीं दिया गया। किसान की उन्हें कोई चिंता नहीं है। मजदूर और गरीब की भी उन्हें कोई चिंता नहीं है। उन्हें केवल अपने बड़े पूंजीपति मित्रों की चिंता है। भाजपा सरकार की तरफ से अनशनकारियों से कोई भी मिलने नहीं आया है ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
वर्मा ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में यह बेहद गंभीर विषय है कि अनशन व आंदोलनों को सरकार द्वारा लगातार अनसुना किया जा रहा है। किसान सिर्फ़ वो ही माँग रहे हैं, जिसके दम पर झूठ बोलकर भाजपा ने 2014 में सत्ता हासिल की थी। उन्होंने कहा कि किसान मोदी से सिर्फ वो ही चाह रहे हैं जो उन्होंने देने का वादा किया था, लेकिन मूकदर्शक बनी ये निरंकुश और तानाशाही बीजेपी सरकार किसानों की अनदेखी करके उनको मौत की ओर धकेल रही है, जबकि किसानों का योगदान केवल खेतों तक सीमित नहीं है, वे पूरे देश की अर्थव्यवस्था और संस्कृति की नींव हैं। खेती भारतीय परंपरा, जीवनशैली और रोजगार का केंद्र है। इसके बावजूद, किसान आज कई कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। सरकार को इस बारे सोचना चाहिए।
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