एसोसिएट प्रोफेसर को निलंबित किये जाने पर छात्रों का फुटा गुस्सा 

छात्रों द्वारा यूनिवर्सिटी प्रशासन को चिट्ठियां लिख  की घोर निंदा

रोहतक ब्यूरो।
वर्तमान में शहर में स्थित युनिवर्सिटी आज कल एक विवाद को लेकर बड़ी चर्चा में है ओर वो विवाद है एक एसोसिएट प्रोफेसर को निलंबित किए जाने का।

आइए जानते है इस विषय पर युनिवर्सिटी छात्रों का क्या कहना है।  पढ़िए छात्रों द्वारा प्राप्त चिट्ठी में छात्रों का विश्विद्यालय प्रशासन से किए गए प्रश्न व कुछ विशेष आरोप।

छात्रों का प्रश्न: दादा लखमी चंद यूनिवर्सिटी ऑफ़ परफॉरमिंग एंड विजुअल आर्ट्स, रोहतक के फ़िल्म एवं टीवी विभाग में एक्टिंग विभाग की विभागध्यक्ष एसोसिएट प्रोफेसर अनुराधा मज़मुदार को यूनिवर्सिटी प्रशासन, वाइस चांसलर द्वारा गलत दुर्व्यवहार व ओछी राजनीती करके बेबुनियाद झूठे आरोप लगाकर निलंबित करना कितना सही.? और बात रही सिलेबस बनाने की तो कोई एक आदमी  तो सिलेबस बनाएगा नहीं उसके लिये पूरी एक कमेटी होती हैं, इससे पहले भी यूनिवर्सिटी में सिलेबस को लेकर कई बार फेर बदल हुआ था पर तब तो न किसी पर आरोप लगाया गया, परंतु इस बार अपनी मर्दानगी दिखाने के लिए युनिवर्सिटी प्रशासन ने एक महिला पर लांछन लगाकर एक ओछी मानसिकता को दर्शाया है। 

दूसरी ओर 2021 में पास होने वाले छात्र 2023 में पास आउट होते हैं, पुरे फ़िल्म टीवी विभाग में कैंपस के अंदर लड़कियों की सुरक्षा की बात हो या अभिनय पढ़ने की, या स्टूडेंट की सेल्फ कॉउंसलिंग, स्टूडेंट डवलपमेंट का पाठ पढ़ाना इनके मुकाबले यूनिवर्सिटी में दूसरी कोई काबिल अभिनय की महिला शिक्षिका नहीं है। इन्होंने गरीब बच्चों को भी पढ़ने में भरपूर मार्गदर्शन किया हैं यहाँ तक की कई बच्चों की फीस भी अपनी कमाई पॉकेट से दान रूपी सहयोग कर बच्चों की शिक्षा पूर्ण करा कर उन्हें बुलंदी तक पहुँचाया हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन से इस पुरे विषय पर सभी छात्र मानसिक रूप से परेशान हैं, वाइस चांसलर के इस तरह के दुर्व्यवहार व्यवहार की हम घोर निंदा करते हैं साथ ही यूनिवर्सिटी में हरियाणा के राज्यपाल द्वारा उच्च स्तर के अधिकारी को भेजकर यूनिवर्सिटी प्रशासन पर इस मामले की निष्पक्ष जाँच करके एसोसिएट प्रोफेसर अनुराधा मज़मुदार का निलंबन वापस कर पुनः अपने सीट पर बैठने व कार्य करने की अनुमति की मांग करते हैं।

हरियाणा सरकार ने गजेंद्र चौहान को वाइस चांसलर बनाकर अपना भरोसा जताया था पर इस भरोसे पर ये खरे नहीं उतर रहें है। छात्रों का कहना की ये साहब तो कहीं से खदेड़े हुये थे परंतु यहाँ आकर डीएलसी सुपवा में भी अपनी सेंध लगाने लगे हैं। अपने खास मित्रो को नौकरी व वित्तीय अनियमितताए जैसा शब्द असली गुनहगार के ऊपर से हटाकर दूसरे निर्दोष लोगो के गले में टांगते है। सभी छात्र इसकी घोर निंदा करते है व इस विषय पर कठोर कार्यवाही करने की मांग करते है, छात्र अरविन्द कुमार, विकास सोनी, रित्तू, राजकुमार शर्मा, प्रकृति, प्रीती, प्रदीप बैरागी, धीरज, शिवानी, तौफीक अहमद, रितेश, शालिनी इत्यादि छात्र।

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