गुरूग्राम में ब्लैक फंगस के 45 मरीज ठीक हो अपने घर लौटे
ब्लैक फंगस के अभी भी जिला में 184 मरीज हैं उपचाराधीन
शिवचरण (शिवा)
गुरूग्राम । कोरोना के दुष्प्रभाव के तौर पर अब ब्लैक फंगस नामक बीमारी के मरीज रिपार्ट हो रहे हैं लेकिन यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को लगने वाली नहीं है और समय रहते बीमारी का पता चल जाए तो इसका ईलाज भी संभव है। गुरूग्राम जिला में ब्लैक फंगस के 45 मरीज ठीक होकर अपने घरों को लौट चुके हैं।
जिला सर्विलांस अधिकारी डा. जय प्रकाश के अनुसार गुरूग्राम जिला में म्यूकोरमाइकोसिस अर्थात् ब्लैक फंगस से ग्रस्त 45 मरीज अब तक ठीक होकर अपने घरों को जा चुके हैं और 184 मरीज विभिन्न अस्पतालों में उपचाराधीन हैं। उन्होंने बताया कि इस बीमारी को हरियाणा सरकार ने अधिसूचित कर रखा है जिसका मतलब है कि किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में इस बीमारी का मामला सामने आने पर उसे प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग को उसकी सूचना देनी अनिवार्य है। राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस से निपटने के लिए कमर कस ली है और इसके लिए अस्पतालों को गाइडलाइंस जारी की जा चुकी हैं। आम जनता को इस बीमारी के लक्षणों को समझना है और वे लक्षण दिखाई देते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना है। इस बीमारी का इलाज संभव है। गुरुग्राम जिला प्रशासन ने जिला वासियों से अपील की है कि आप इस बीमारी से घबराए नहीं बल्कि जागरूक बने और समय पर अपना इलाज करवाएं।
क्या है ब्लैक फंगस के लक्षण
क्या है ब्लैक फंगस के लक्षण, किसे होती है यह बीमारी, अगर शरीर में दिखाई दे यह लक्षण तो तुरंत लें डॉक्टर से सलाह।ं जिला सर्विलांस अधिकारी डा. जय प्रकाश का कहना है कि ब्लैक फंगस एक फंगल संक्रमण है। यह उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित हैं और दवाए ले रहे हैं। इससे उनकी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। यदि व्यक्ति के शरीर में यह फंगस अंदर चला जाता है तो उसके साइनस या फेफड़े को प्रभावित करता है, जिससे गंभीर बीमारी होने की संभावना रहती है।
’किसे होती है यह बीमारी’
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि यह कॉविड 19 के डायबिटिक या अनियंत्रित डायबिटीज, जो स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं, तथा आईसीयू में अधिक समय तक भर्ती रहने से यह बीमारी हो सकती है। धूल भरे स्थानों में मास्क पहनकर, शरीर को पूरे वस्त्रों से ढक कर, बागवानी करते समय हाथों में दस्ताने पहनकर और व्यक्तिगत साफ-सफाई रख कर इस बीमारी से बचा जा सकता है।
ये लक्षण तो डॉक्टर से ले परामर्श’
डा. जयप्रकाश ने बताया कि व्यक्ति के आंख और नाक में दर्द, आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द, चेहरे में एक तरफ सूजन, नाक तालु काले रंग का होना, दांत में दर्द, दातों का ढीला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकत्ते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी व मानसिक स्थिति में परिवर्तन आदि लक्षण दिखाई देते ही तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
ब्लैक फंगस के अभी भी जिला में 184 मरीज हैं उपचाराधीन
शिवचरण (शिवा)
गुरूग्राम । कोरोना के दुष्प्रभाव के तौर पर अब ब्लैक फंगस नामक बीमारी के मरीज रिपार्ट हो रहे हैं लेकिन यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को लगने वाली नहीं है और समय रहते बीमारी का पता चल जाए तो इसका ईलाज भी संभव है। गुरूग्राम जिला में ब्लैक फंगस के 45 मरीज ठीक होकर अपने घरों को लौट चुके हैं।
जिला सर्विलांस अधिकारी डा. जय प्रकाश के अनुसार गुरूग्राम जिला में म्यूकोरमाइकोसिस अर्थात् ब्लैक फंगस से ग्रस्त 45 मरीज अब तक ठीक होकर अपने घरों को जा चुके हैं और 184 मरीज विभिन्न अस्पतालों में उपचाराधीन हैं। उन्होंने बताया कि इस बीमारी को हरियाणा सरकार ने अधिसूचित कर रखा है जिसका मतलब है कि किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में इस बीमारी का मामला सामने आने पर उसे प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग को उसकी सूचना देनी अनिवार्य है। राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस से निपटने के लिए कमर कस ली है और इसके लिए अस्पतालों को गाइडलाइंस जारी की जा चुकी हैं। आम जनता को इस बीमारी के लक्षणों को समझना है और वे लक्षण दिखाई देते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना है। इस बीमारी का इलाज संभव है। गुरुग्राम जिला प्रशासन ने जिला वासियों से अपील की है कि आप इस बीमारी से घबराए नहीं बल्कि जागरूक बने और समय पर अपना इलाज करवाएं।
क्या है ब्लैक फंगस के लक्षण
क्या है ब्लैक फंगस के लक्षण, किसे होती है यह बीमारी, अगर शरीर में दिखाई दे यह लक्षण तो तुरंत लें डॉक्टर से सलाह।ं जिला सर्विलांस अधिकारी डा. जय प्रकाश का कहना है कि ब्लैक फंगस एक फंगल संक्रमण है। यह उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित हैं और दवाए ले रहे हैं। इससे उनकी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। यदि व्यक्ति के शरीर में यह फंगस अंदर चला जाता है तो उसके साइनस या फेफड़े को प्रभावित करता है, जिससे गंभीर बीमारी होने की संभावना रहती है।
’किसे होती है यह बीमारी’
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि यह कॉविड 19 के डायबिटिक या अनियंत्रित डायबिटीज, जो स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं, तथा आईसीयू में अधिक समय तक भर्ती रहने से यह बीमारी हो सकती है। धूल भरे स्थानों में मास्क पहनकर, शरीर को पूरे वस्त्रों से ढक कर, बागवानी करते समय हाथों में दस्ताने पहनकर और व्यक्तिगत साफ-सफाई रख कर इस बीमारी से बचा जा सकता है।
ये लक्षण तो डॉक्टर से ले परामर्श’
डा. जयप्रकाश ने बताया कि व्यक्ति के आंख और नाक में दर्द, आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द, चेहरे में एक तरफ सूजन, नाक तालु काले रंग का होना, दांत में दर्द, दातों का ढीला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकत्ते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी व मानसिक स्थिति में परिवर्तन आदि लक्षण दिखाई देते ही तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।