मृतकों के खिलाफ अवैध कॉलोनी काटने प्लाट बेचने का आरोप

नगर योजनाकार एनफोर्समेंट अधिकारी के द्वारा मुकदमा दर्ज

फर्रुखनगर पुलिस के लिए ऐसे लोगों को तलाशना चुनौती

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम/पटौदी ।
 अभी तक तो ऐसे मामले सुर्खियां बनते रहे कि जिंदा आदमी को गलती से रिकॉर्ड में मृतक दर्ज कर दिया गया और वह आदमी स्वयं को जिंदा साबित करने के लिए विभिन्न विभागों के चक्कर काटता रहता है। लेकिन इससे भी एक कदम और आगे बढ़ते हुए अब तो सीधे-सीधे मृतकों के खिलाफ ही मुकदमे दर्ज करवा दिए गए हैं। यह मुकदमे भी फर्रुखनगर थाना में नगर योजनाकार एनफोर्समेंट/ डीटीपी विभाग और अधिकारियों की शिकायत पर दर्ज किए गए हैं । ऐसे में लाख टके का सवाल यह है कि जिन मृतकों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करवाए गए , क्या मुकदमा दर्ज करवाए जाने के समय तक संबंधित अधिकारियों को इतना भी नहीं पता लग सका कि आरोपी एक दशक पहले ही स्वर्ग सिधार चुके हैं ?

अब इसे अधिकारियों की लापरवाही कहें या फिर सरकार की नजरों में अपनी पीठ थपथपाना ही कहा जाए। बहरहाल मुकदमा दर्ज किया जा चुका है और यह सभी को मालूम है कि मुकदमा दर्ज होने के बाद एफ आई आर की एक प्रति इलाका मजिस्ट्रेट की कोर्ट के साथ-साथ संबंधित मुकदमे की जानकारी पुलिस विभाग के आला अधिकारियों को भी दे दी जाती है । अवैध कॉलोनी काटने और प्लाट बेचने के आरोप में जिन मृतको पर डीटीपी विभाग और अधिकारियों के द्वारा मुकदमे दर्ज करवाए गए हैं, ऐसे लोगों को कब और कैसे पुलिस पहचान कर अपनी हिरासत में लेगी ? यह भी पुलिस के सामने किसी चुनौती से कम नहीं है ।

जानकारी के मुताबिक बीते सप्ताह ही डीटीपी एवं जिला नगर योजनाकार एनफोर्समेंट विभाग के आला अधिकारियों के नेतृत्व में फर्रुखनगर क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर अवैध कॉलोनियों और वहां काटे गए प्लाटों की पहचान करके लोगों के द्वारा बनाए गए निर्माण को पीले पंजे की मदद से खंडहर में बदलने के साथ-साथ पूरी तरह से नष्ट तक भी कर दिया गया था । विभाग के आला अधिकारी ने उस समय की जा रही तोड़फोड़ के दौरान दावा किया था कि जल्द ही अवैध कॉलोनी काटने वालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करवाएं जाएंगे । अधिकारी अपनी जुबान के पक्के निकले और अवैध कॉलोनी काटने , प्लाटों की रजिस्ट्री कराने को लेकर पुलिस में मुकदमे भी दर्ज करवा कर अपनी पीठ थपथपा ली है ।

जानकारी के मुताबिक 19 फरवरी को फर्रुखनगर क्षेत्र में करीब 200 मकान, गोदाम, प्रॉपर्टी डीलरों के ऑफिस, खरीदे गए जमीनों के टुकड़ों की भरी गई नींव सहित छोटी-छोटी चारदीवारी को पीले पंजे की चोट से मिट्टी में मिलाने के साथ ही अच्छे पक्के मजबूत निर्माणों को खंडहर में बदल दिया गया था। हालांकि उस दौरान भी स्थानीय लोगों के द्वारा संबंधित अधिकारियों के सामने मार्मिक अपील और फरियाद तक भी की गई थी। लेकिन अधिकारी तो अपने फर्ज और नियम कानून के दायरे में बंधे हुए थे , कि उनको तो मानवीय पहलुओं को दरकिनार करते हुए अपने विभाग के नियम अनुसार कार्यवाही को अंजाम देना ही था । सूत्रों के मुताबिक थाना फरुखनगर में अवैध कॉलोनी काटने, जमीन मालिकों और प्लाट बेचने वालों के खिलाफ जो मुकदमे दर्ज करवाए गए हैं। उनमें नगर पालिका के पार्षद से लेकर ऐसे लोग भी शामिल हैं जो कि स्वर्ग सिधार चुके हैं । अवैध कॉलोनी काटने, प्लाटिंग करने , रजिस्ट्री करवाने के मामले में दर्ज एफआईआर में नगर पालिका पार्षद मुकेश सैनी,  धर्मेंद्र माकडौला, जयप्रकाश , राधेश्याम , दिनेश, सुरेश, मंजू बाला, शशि बाला, इंदु बाला, अंजू बाला, कैलाश चंद, कुशल चंद, उमेश, केशव दयाल, कमला देवी, दीन दयाल सहित कुल 16 आरोपियों को नामजद किया गया है ।

अब इस पूरे मामले में सबसे हैरानी और पुलिस के लिए चुनौती वाली बात यह है कि अवैध अवैध कॉलोनी काटने ,प्लाटिंग करने ,रजिस्ट्री करवाने के आरोप में दीनदयाल, केशव दयाल और कमला देवी , मंजू बाला के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करवाया गया है, यह चारों वह आरोपी हैं जिनके की मृत्यु हो चुकी है और आज की तारीख में यह तीनों जिंदा ही नहीं, अर्थात स्वर्ग पहुंच चुके हैं । सूत्रों के मुताबिक नगर योजना कार एनफोर्समेंट विभाग और विभाग के अधिकारी के द्वारा अवैध कॉलोनी काटने प्लाटिंग करने के मामले में आरोपी बनाकर जिस केशव दयाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया वह करीब एक दशक पहले 8 मार्च 2012 को स्वर्ग सिधार चुके हैं । इसी प्रकार से कमला देवी नामक महिला भी वर्ष 2007 में स्वर्ग सिधार चुकी है । तीसरा आरोपी दीनदयाल लगभग 18 माह पहले इस पृथ्वी लोक को छोड़कर स्वर्ग सिधार चुका है वहीं मंजूू बाला भी करीब दो वर्ष पहले ही स्वर्ग सिधार चुकी है।

लाख टके का सवाल यह है कि अब ऐसे लोगों को जिस विभाग और अधिकारी के द्वारा आरोपी बनाया गया है , इनकी वास्तविक पहचान किस आधार पर और किस प्रकार से की गई कि वास्तव में यह लोग आज भी मौजूद हैं । कथित रूप से मामला या फिर मुकदमा जिंदा व्यक्ति पर ही दर्ज किया जा सकता है अथवा करवाया जाना चाहिए। जानकारों का एक और सवाल है की जिस विभाग और विभाग के आला अधिकारी के द्वारा संबंधित मामले में मुकदमा दर्ज करवाया गया है क्या वह इस मामले में आरोपी बनाए गए 16 लोगों के संदर्भ में पुलिस और अदालत में शपथ पत्र देने की हिम्मत रखते हैं कि जिस समय मुकदमा दर्ज करवाया गया यह सभी 16 आरोपी की उन्होंने व्यक्तिगत रूप से पहचान कर पुष्टि कर ली थी और उसके बाद ही मुकदमा भी दर्ज करवाया गया । शायद ही ऐसा साहस अधिकारी दिखा पाए या जुटा सकेंगे ? यह एक कानूनी प्रक्रिया है जब अदालत में मामला जाएगा तो पुलिस मृतक साबित करने का प्रयास करेगी कि आरोपी बनाए गए कुछ लोगों की मृत्यु हो चुकी है। लेकिन लाख टके का सवाल यही है इस पूरे प्रकरण में संबंधित विभाग और अधिकारियों ने तो मुकदमा दर्ज करवा कर अपनी पीठ थपथपा ली । लेकिन थाना पुलिस के लिए एक अलग ही प्रकार की सिर दर्दी भी खड़ी करके छोड़ दी है ।

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