दादा दीनदयाल और दादी सुशीला के मन की मुराद पूरी

भाग्यशाली के घर सौभाग्य से ही जन्म लेती है कन्या
शिवचरण
पटौदी । समय के साथ समाज और लोगों के अलावा बड़े बुजुर्गों की सोच में भी तेजी से बदलाव आ रहा है । अब कन्या को बोझ नहीं समझा जाता, कन्या के जन्म पर खुशियां मनाई जाती है ।

पटौदी क्षेत्र के ही गांव हेड़ा हेड़ी निवासी दीनदयाल और सुशीला की पुत्र वधू गीता ने अपने दूसरे शिशु के रूप में जब कन्या को जन्म दिया तो दादा-दादी दीनदयाल और सुशीला की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा । दादी सुशीला बोली की भगवान भाग्यशाली के घर ही कन्या को जन्म देते हैं । गांव हेड़ा हेड़ी निवासी जितेंद्र और गीता दंपति के यहां पहले शिशु के रूप में लड़के ने जन्म लिया। इस दंपति के साथ-साथ दादा-दादी की भी यही इच्छा थी कि परिवार में अब कन्या का जन्म होना चाहिए। अंततः 5 वर्ष के लंबे समय के अंतराल के बाद वह शुभ घड़ी भी आ गई , जब दादा दीनदयाल और दादी सुशीला के मन की मुराद भगवान ने पूरी कर दी ।

नवजात कन्या का नाम भूमि रखा गया । इस नाम के पीछे नवजात कन्या भूमि के पिता जितेंद्र का कहना है कि जब भी भूमि नाम लेकर पुकारा जाएगा तो नाम पुकारने वाले को स्वयं भी एहसास होगा की भूमि को भी मां का ही दर्जा दिया गया है और भूमि का पूजन भी किया जाता है । नवजात कन्या भूमि के जन्म के उपरांत परिजनों की सहमति से कुआं पूजन का आयोजन किया गया । वैसे तो परंपरा यह रही है कि नवजात शिशु के रूप में लड़का के जन्म लेने के उपरांत ही कुआं पूजन किया जाता है । लेकिन अब अभिभावकों के साथ-साथ समाज की सोच में भी बदलाव आ रहा है । कन्या के जन्म को यादगार बनाने के लिए कुआं पूजन किया जाता है। इस मौके पर नवजात कन्या भूमि का कुआं पूजन किया जाने के साथ ही मौके पर मौजूद परिवार के बड़े बुजुर्गों के साथ-साथ रिश्ते नाते दारो सहित आयोजन में शामिल सभी अतिथियों ने नवजात कन्या भूमि को अपना आशीर्वाद देते हुए मंगलमय जीवन की कामना की।

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