यह घटना है पटौदी क्षेत्र के सबसे बड़े गांव बहोड़ाकला की

डीटीपी इंफोर्समेंट विभाग के द्वारा चलाया गया पीला पंजा

मौके पर बेहोश पुत्रवधू को मरणासन्न छोड़ फरार अधिकारी

गंभीर हालत में पत्नी को लेकर पुत्र हुआ उत्तराखंड रवाना

फतह सिंह उजाला
पटौदी । 
  अब इसे अधिकारियों की दबंगई कहा जाए या फिर बेलगाम की संज्ञा दी जाए ! ऐसा ही एक शर्मशार करने वाला मामला पटौदी क्षेत्र के सबसे बड़े गांव बोहड़ाकला में सामने आया है । यहां स्थित थाना भवन के पीछे निर्माणाधीन एक पूर्व सैनिक का मकान डीटीपी इंफोर्समेंट गुरुग्राम अधिकारियों के द्वारा पूरी तरह से ने नेस्ताबूद कर दिया गया । मौके पर काम करने वाले मजदूरों और प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक जिस समय यह सब तोड़फोड़ की कार्रवाई की गई मकान पर एक साथ तीन जेसीबी से ताबड़तोड़ प्रहार करने के लिए विभाग के अधिकारी ने जेसीबी चालकों को मजबूर कर दिया ।

जैसे ही जीवन भर की अपने ससुर की जमा पूंजी से बन रहे मकान को नेस्ताबूत होते मौके पर मौजूद फौजी की पुत्रवधू विमला ने देखा तो अधिकारियों के पांव पकड़कर बुरी तरह गिड़गिड़ाती रही, लेकिन अधिकारी तो अधिकारी, उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं रहा। प्रत्यक्षदर्शियों सहित मजदूरों के मुताबिक अधिकारियों का व्यवहार फौजी की पुत्रवधू सहित काम करने वाली महिला मजदूरों के प्रति भी बेहद शर्मसार करने सहित अभद्र व्यवहार ही रहा । पुत्रवधू को भी और मजदूर महिलाओं को भी हाथ से झटक कर दूर कर दिया गया । जिस निर्माणाधीन मकान पर पीला पंजा चला उसके साथ ही अपनी कृषि भूमि में आवारा जानवरों के घुसने से रोकने के लिए किसान के द्वारा लगाए गए गेट को भी डीटीपी अधिकारियों के द्वारा जेसीबी से उखाड़ कर एक तरफ फेंक दिया गया ।

काफी मिन्नतें करने और गिड़गिड़ाते हुए पूर्व सैनिक की पुत्रवधू मौके पर ही बेसुध हो गई। पुत्रवधू विमला को चेहरे पर पानी छिड़ककर होश में लाने का प्रयास किया , लेकिन नाकाम रहे । प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पुत्र वधू बेहोश पड़ी रही मौके पर ही और निष्ठुर अधिकारी निर्माणाधीन मकान पर पीला पंजा चलवाते रहे । जब महिला को होश नहीं आया और उसकी हालत मौके पर बेसुध दो घंटे तक पड़े रहते बिगड़ कर गंभीर होती चली गई । इसके बाद मौके पर मौजूद डीटीपी इंफोर्समेंट के संबंधित अधिकारियों के पैरों तले जमीन खिसक गई । प्रत्यक्षदर्शियों के आरोप अनुसार बेसुध-बेहोश पड़ी महिला को मरणासन्न स्थिति में छोड़कर तमाम अधिकारी और पुलिस बल मौके से फरार हो गए । इस बात को लेकर आसपास के लोगों में भी जिला प्रशासन के साथ-साथ सरकार के खिलाफ भी गहरी नाराजगी दिखाई दी ।

इसी बीच पूर्व फौजी चंचल नेगी जो कि उत्तराखंड के बताए गए उनसे संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला । इसके बाद चंचल नेगी के पुत्र पवन नेगी से संपर्क किया गया तो पवन नेगी ने बताया कि उसकी माताजी भी अस्वस्थ है और उसकी पत्नी को भी निर्माणाधीन मकान में की गई तोड़फोड़ सहित संबंधित अधिकारियों और पुलिस के व्यवहार से गहरा मानसिक- दिमागी आघात लगा है। जिसके कारण वह तीसरे दिन भी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है । जीवन भर की जो कुछ भी जमा पूंजी थी वह यहां सरकार के नियमानुसार रजिस्ट्री करवा कर मकान का निर्माण करवाया जा रहा था । वहीं आसपास में अनेकों निर्माण भव्य मकान बने हुए हैं । अब इतना पैसा भी नहीं बचा कि यहां रह कर पत्नी का महंगा उपचार करवाया जा सके । ऐसे में जिला प्रशासन और यहां की सरकार के व्यवहार को देखते हुए वह अपनी पत्नी को उपचार के लिए लेकर उत्तराखंड रवाना हो चुका है ।
अब लाख टके का सवाल यह है कि जब यह मकान बीते 1 वर्ष से बनाया जा रहा था तो इस दौरान संबंधित विभाग के अधिकारियों के आंख और कान क्या पूरी तरह से बंद थे ? कि समय रहते ही मकान निर्माण मकान निर्माता को क्यों नहीं रोका गया । या फिर इस बात का इंतजार किया जा रहा था कि जब एक फौजी जिसने सारी जिंदगी देश की सीमा पर खड़े होकर आम नागरिक से लेकर देश की संसद तक के लिए रात दिन अपनी जान की बाजी लगाई रखी उसका मकान जब पूरा होने को आए तो उसी समय ही पीला पंजा चलाकर जमींदोज किया जाना जरूरी है । बहरहाल फौजी चंचल नेगी सहित परिवार के सदस्य इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सकते में हैं और यही सोच रहे हैं क्या देश की रक्षा करने वाले एक सैनिक के आशियाने को नेस्ताबूत करके संबंधित विभाग और अधिकारी अब अपनी पीठ थपथपा आएंगे। 

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