थाने का जर्जर भवन, जर्जर रिहायसी भवन में खतरा ही खतरा
 
मंग करने करने पर थमा दिया जाता है नोटिस या तबादला

फतह सिंह उजाला
पटौदी। 
फर्रुखनगर क्षेत्र की करीब 2 लाख की आबादी की सुरक्षा का जिम्मा अपने कंधे पर लिए अपराधियों के पीछे दौडने वाले पुलिस कर्मचारी फर्रुखनगर थाने में ही महफूज नहीं है। थाने का जर्जर भवन, जर्जर रिहायसी भवन के कारण मौत का भय और साया मंडरा रहा है। हैरत की विषय तो यह है कि  सेवा, सुरक्षा और सहयोग का नारा देने वाले पुलिस कर्मचारी अपनी समस्या के समाधान के लिए उच्च अधिकारियों को लिखित तो दूर मौखिक शिकायत करने का भी सहास नहीं जुटा पा रहे हे। अगर किसी थाना प्रभारी ने जर्जर थाने के भवन की मरम्मत या नया बनाने की मांग की भी है तो उसे तोहफे में विभागीय अधिकारियों द्वारा नोटिस या तबादला मिलता है। जिसके चलते वह अपनी जुबान भी नहीं खोल पाते है।

थाना फर्रुखनगर के जर्जर भवन, जर्जर रिहायसी भवन को नया बनाने की मांग रविवार को क्षेत्र के विधायक राकेश दौलताबाद के खुले दरबार में रखा गया तो मौके पर मौजूद डीसीपी साउथ डा. धीरज सेतिया  ने क्षेत्र की जनता के समक्ष्र थाने के भवन का 12 अक्टूबर को मौका निरीक्षण करने का आश्वासन दिया है। सरपंच चैधरी  धर्मपाल गुरावलिया,  इंद्रजीत शर्मा सरपंच सैहदपुर, बीजेपी मंडील अध्यक्ष दौलतराम गुर्जर, ईश्वर पहलवान, पूर्व नगर पार्षद नीरु शर्मा आदि ने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा है कि जिनके कंधे पर क्षेत्र की सुरक्षा का भार हो और उन्हे दो वक्त की रोटी , नहाने, सोने आदि के लिए हमेशा मौत के साय में रहना पडे। ऐसे पुलिस कर्मचारियों की जीवन रक्षा के लिए क्षेत्र के लोगों को आगे आना चाहिए । ताकि उन बहादूर पुलिस कर्मचारियों के हौंसले बुलंद हो।
उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि जल्द से जल्द फर्रुखनगर थाना के जर्जर रिहायसी और थाना भवन को डेंजर घोषित करके तुडवाया जाये और नये थाने का भवन तैयार किया जाए। थाने में पुलिस कर्मवचारी ही नही अपितु आने वाला हर वह फरियादी मौत के मुंह में दस्तक देता है जो अपनी जानमाल की सुरक्षा की गुहार लगाने आता है। हैरत की बात तो यह है कि पुलिस खुद अपने आपको ही महफूज नहीं समझ रही है। फिर जनता की सुरक्षा कैसे करेंगे। थाने का भवन के कमरो , गेट, अलमारी, छज्जों का कब पलस्तर उतर कर किसको अपना शिकार बना ले कुछ कहा नहीं जा सकता है। थाना परिसर में ही बने रिहायसी भवनों की तो छत भी जर्जर होकर गिर चुकी है। बावजूद इसके भी पुलिस कर्मचारी और अधिकारी उन क्वाटरों में रह रहे हे। दिन तो वह पेडों के नीचे बैठ कर लोगों  की फरियाद सुन कर काट देते है लेकिन रात्रि के समय में उन्हे जर्जर भवन में ही मौत के साये में सोने पर मजबूर होना पड़ता हे।  

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