सावन के अंतिम सोमवार का धर्मशास्त्र के मुताबिक खास महत्व
श्रद्धालुओं ने मास्क पहने और सोशल डिस्टेंस का किया पालन
फतह सिंह उजाला
पटौदी । सावन माह की पूर्णिमा, रक्षाबंधन का पर्व और सावन माह का अंतिम सोमवार । यह एक अद्भुत संयोग ही रहा शिव भक्तों श्रद्धालुओं के लिए। धर्म शास्त्र के मुताबिक सावन माह में जब भी पांच सोमवार आते हैं तो उसका अपना एक अलग ही महत्व बताया गया । धर्म शास्त्र के मुताबिक ब्रह्मांड भी पांच तत्वों से बना है । जो भी जीव है, पांच तत्वों से बना है । यही पांच तत्व मानव जीवन का सार और ब्रह्मांड का आधार भी है ।
बहरहाल बात है सावन माह में पांचवे सोमवार की और सावन माह देवों के देव महादेव को समर्पित रहा है। सावन माह महादेव को समर्पित है, वहीं आदि और अंत के महादेव के शिव भक्त भी श्रद्धा और विश्वास के अभिभूत महादेव को समर्पित रहे हैं, रहेंगे । भगवान शंकर के बारे में सर्व विदित है कि वह भोले के नाम से भी जाने जाते हैं और इतने भोले हैं कि जो कोई भी बाबा भोले भगवान शंकर से मन्नत मांगता है, भगवान शंकर बिना संकोच, बिना देर किए उसकी मन्नत मनोकामना को पूर्ण करने का आशीर्वाद प्रदान कर देते हैं। शायद यही कारण रहा कि कोरोना महामारी के दौरान आई शिवरात्रि पर्व के मौके पर शासन प्रशासन के द्वारा तमाम शिवालयों के साथ-साथ अन्य धर्म स्थलों पर पूरी तरह से तालाबंदी के बाद सावन के अंतिम सोमवार को कुछ हद तक शिवालयों में राहत दिखाई दी ।
पौराणिक महत्व के 625 वर्ष पुराने इंछापुरी गांव में स्थित शिव मंदिर में दिल्ली, फरीदाबाद ,गुरुग्राम सहित अन्य दूरदराज के इलाकों से शिवभक्त श्रद्धालु पहुंचे । श्रद्धालुओं की संख्या कोरोना काल को देखते बहुत ही सीमित दिखाई दी । यहां मुख्य पुजारी ने बताया कि सोशल डिस्टेंस का सख्ती से पालन करवाया गया, बिना मास्क पहने और सैनिटाइजर किए हुए किसी भी श्रद्धालू को मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया गया । क्योंकि सभी देवी देवता अपने भक्तों श्रद्धालुओं का कभी भी अहित नहीं चाहते । इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए भगवान शंकर भोलेनाथ का आशीर्वाद लेने वाले श्रद्धालुओं ने भी पूरा सहयोग करते हुए संयम का परिचय दिया।
इंच्छापूरी पौराणिक महत्व के स्वयंभू स्थापित शिवलिंग के दर्शन करने के लिए और बाबा भोले के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए पहुंचे लव कुमार , शिवकुमार , हरि ओम , किशन कुमार सहित अन्य श्रद्धालुओं से जब बात की गई उन्होंने बताया कि सावन के अंतिम सोमवार को भगवान शंकर बाबा भोले के दर्शन के लिए मन में ऐसी भावना उठी की वह चाह कर भी स्वयं को नहीं रोक सके । मन में कहीं ना कहीं एक डर भी था की इंच्छापुरी शिव धाम परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ जरूरत से अधिक ना हो । लेकिन यहां आने पर ऐसा कुछ भी महसूस नहीं हुआ, न हीं दिखाई दिया। श्रद्धालुओं के द्वारा सरकार के द्वारा जो भी दिशा निर्देश जारी किए गए थे , उनका ईमानदारी और सख्ती के साथ से पालन किया गया ।
भगवान शंकर के दरबार में यहां आने वाले तमाम शिव भक्तों ने मन्नत मांगी और मन्नत पूरी होने पर आने वाले शिवरात्रि पर पर फिर से हाजिरी लगाने की बात कही । बहरहाल रक्षाबंधन का पर्व सावन माह की पूर्णिमा और सावन माह का ही पांचवा सोमवार यहां आने वाले शिव भक्तों श्रद्धालुओं के मुताबिक सभी के लिए कल्याणकारी साबित होगा । अनेक शिव भक्तों ने बातचीत में बताया उन्होंने भगवान शंकर से यही कामना की है की समुंद्र मंथन के समय निकले जहर को जिस प्रकार से भगवान शिव ने ग्रहण कर लिया था अथवा कंठ में धारण कर लिया था । उसी प्रकार से कोरोना कोविड-19 महामारी को भी अपने प्रताप अपने चमत्कार से समाप्त कर समस्त मानव जाति का कल्याण करें ।
श्रद्धालुओं ने मास्क पहने और सोशल डिस्टेंस का किया पालन
फतह सिंह उजाला
पटौदी । सावन माह की पूर्णिमा, रक्षाबंधन का पर्व और सावन माह का अंतिम सोमवार । यह एक अद्भुत संयोग ही रहा शिव भक्तों श्रद्धालुओं के लिए। धर्म शास्त्र के मुताबिक सावन माह में जब भी पांच सोमवार आते हैं तो उसका अपना एक अलग ही महत्व बताया गया । धर्म शास्त्र के मुताबिक ब्रह्मांड भी पांच तत्वों से बना है । जो भी जीव है, पांच तत्वों से बना है । यही पांच तत्व मानव जीवन का सार और ब्रह्मांड का आधार भी है ।
बहरहाल बात है सावन माह में पांचवे सोमवार की और सावन माह देवों के देव महादेव को समर्पित रहा है। सावन माह महादेव को समर्पित है, वहीं आदि और अंत के महादेव के शिव भक्त भी श्रद्धा और विश्वास के अभिभूत महादेव को समर्पित रहे हैं, रहेंगे । भगवान शंकर के बारे में सर्व विदित है कि वह भोले के नाम से भी जाने जाते हैं और इतने भोले हैं कि जो कोई भी बाबा भोले भगवान शंकर से मन्नत मांगता है, भगवान शंकर बिना संकोच, बिना देर किए उसकी मन्नत मनोकामना को पूर्ण करने का आशीर्वाद प्रदान कर देते हैं। शायद यही कारण रहा कि कोरोना महामारी के दौरान आई शिवरात्रि पर्व के मौके पर शासन प्रशासन के द्वारा तमाम शिवालयों के साथ-साथ अन्य धर्म स्थलों पर पूरी तरह से तालाबंदी के बाद सावन के अंतिम सोमवार को कुछ हद तक शिवालयों में राहत दिखाई दी ।
पौराणिक महत्व के 625 वर्ष पुराने इंछापुरी गांव में स्थित शिव मंदिर में दिल्ली, फरीदाबाद ,गुरुग्राम सहित अन्य दूरदराज के इलाकों से शिवभक्त श्रद्धालु पहुंचे । श्रद्धालुओं की संख्या कोरोना काल को देखते बहुत ही सीमित दिखाई दी । यहां मुख्य पुजारी ने बताया कि सोशल डिस्टेंस का सख्ती से पालन करवाया गया, बिना मास्क पहने और सैनिटाइजर किए हुए किसी भी श्रद्धालू को मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया गया । क्योंकि सभी देवी देवता अपने भक्तों श्रद्धालुओं का कभी भी अहित नहीं चाहते । इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए भगवान शंकर भोलेनाथ का आशीर्वाद लेने वाले श्रद्धालुओं ने भी पूरा सहयोग करते हुए संयम का परिचय दिया।
इंच्छापूरी पौराणिक महत्व के स्वयंभू स्थापित शिवलिंग के दर्शन करने के लिए और बाबा भोले के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए पहुंचे लव कुमार , शिवकुमार , हरि ओम , किशन कुमार सहित अन्य श्रद्धालुओं से जब बात की गई उन्होंने बताया कि सावन के अंतिम सोमवार को भगवान शंकर बाबा भोले के दर्शन के लिए मन में ऐसी भावना उठी की वह चाह कर भी स्वयं को नहीं रोक सके । मन में कहीं ना कहीं एक डर भी था की इंच्छापुरी शिव धाम परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ जरूरत से अधिक ना हो । लेकिन यहां आने पर ऐसा कुछ भी महसूस नहीं हुआ, न हीं दिखाई दिया। श्रद्धालुओं के द्वारा सरकार के द्वारा जो भी दिशा निर्देश जारी किए गए थे , उनका ईमानदारी और सख्ती के साथ से पालन किया गया ।
भगवान शंकर के दरबार में यहां आने वाले तमाम शिव भक्तों ने मन्नत मांगी और मन्नत पूरी होने पर आने वाले शिवरात्रि पर पर फिर से हाजिरी लगाने की बात कही । बहरहाल रक्षाबंधन का पर्व सावन माह की पूर्णिमा और सावन माह का ही पांचवा सोमवार यहां आने वाले शिव भक्तों श्रद्धालुओं के मुताबिक सभी के लिए कल्याणकारी साबित होगा । अनेक शिव भक्तों ने बातचीत में बताया उन्होंने भगवान शंकर से यही कामना की है की समुंद्र मंथन के समय निकले जहर को जिस प्रकार से भगवान शिव ने ग्रहण कर लिया था अथवा कंठ में धारण कर लिया था । उसी प्रकार से कोरोना कोविड-19 महामारी को भी अपने प्रताप अपने चमत्कार से समाप्त कर समस्त मानव जाति का कल्याण करें ।