श्रीराम जन्म भूमि की आजादी के लिए 70-72 युद्ध भी हुए

मुगलों के शासन काल में पांच लाख रामसेवकों ने दी कुर्बानी

तीन हजार महिलाओं ने भी राम मंदिर के लिए दिया बलिदान

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
एक दिन के उपरांत अयोध्या में बहुत लंबी प्रतीक्षा के बाद भगवान श्री राम मंदिर से निर्माण का कार्य आरंभ होगा । यह सनातन धर्मावलंबियों के लिए एक ऐतिहासिक लम्हा और दिन होगा। जिसका सैकड़ों वर्षो से सनातनी इंतजार करते आ रहे हैं। राम मंदिर निर्माण को लेकर जो समय और मुहूर्त तय किया गया है, उसको लेकर कथित विवाद पर आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय संस्थान के संचालक पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर धर्म देव ने आलोचकों को आड़े हाथों लिया है।

महामंडलेश्वर धर्मदेव ने राम मंदिर निर्माण के मुहूर्त और दिन को लेकर खास बातचीत के दौरान कहा भगवान श्री राम के मंदिर के निर्माण का मुहूर्त समय अभिजीत मुहूर्त काल का है । उन्होंने कहा कि यह अपने आप में एक अद्वितीय लम्हा होगा और किसी को रत्ती भर भी किसी भी प्रकार का शक नहीं होना चाहिए कि जब भगवान श्री राम की जन्मस्थली पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए पहली शिला रखी जाएगी तो समस्त देवी-देवता भी उस यादगार पल के साक्षी बनेंगे । उन्होंने कहा साक्षी ही नहीं बनेंगे बलिक समस्त देवलोक में भी अनंत खुशियां होंगी । इस पवित्र कार्य के लिए जिस-जिस भी व्यक्ति ने अपना सहयोग दिया ,बलिदान दिया ,उसको सभी देवताओं की तरफ से आशीर्वाद भी प्राप्त होगा । स्वामी धर्मदेव ने कहा की भगवान श्री राम प्रत्येक सनातनी के आराध्य देव हैं।  उन्होंने भगवान श्री राम मंदिर के निर्माण को लेकर मुगल शासन काल से लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले पर विस्तार से चर्चा की और कई ऐसी बातों का खुलासा भी किया। जिनका शायद बहुत कम लोगों को मालूम हो ।

स्वामी धर्मदेव ने कहा आज के समय यदि कोरोना कॉविड 19 महामारी का प्रकोप नहीं होता तो 5 अगस्त 2020 की तिथि जिस दिन भगवान श्री राम के मंदिर अथवा उनके जन्म स्थान पर एक प्रकार से उनके आवास के पुर्न निर्माण का शिलान्यास के मौके पर देश ही नहीं पूरी दुनिया से राम के भक्त पहुंचते। लेकिन जैसा भगवान श्रीराम को मंजूर है और वैसा ही होगा । समय और हालात के मुताबिक भव्य कार्यक्रम में बहुत ही सीमित संख्या में प्रबुद्ध लोग शामिल होंगे। जिनमें देश के यशस्वी प्रधान सेवक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा तमाम प्रकांड विद्वान ,साधु-संत और राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के सदस्य ही इस मौके पर मौजूद रह सकेंगे ।

उन्होंने बताया कि अपने गुरु जनों से सुना था की मुगल शासनकाल के दौरान से ही राम मंदिर अथवा भगवान श्री राम की जन्म स्थली को आजाद कराने के लिए संघर्ष चलता आ रहा है। उन्होंने बताया की मुगलों के शासन काल में भगवान श्री राम की जन्म स्थली की रक्षा करते करते हुए पांच लाख राम सेवकों ने अपनी कुर्बानी दी थी। स्वामी धर्मदेव के मुताबिक यह भी बताया जाता है कि भगवान श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या में जन्मभूमि की रक्षा के हितार्थ 3000 महिलाओं ने भी अपना बलिदान दे दिया था। इतना ही नहीं राम जन्म भूमि रक्षा और मुगलों से इसकी आजादी के लिए 70-72 युद्ध भी हुए हैं। उन्होंने कहा इतना सब होने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में चला और तमाम साक्ष्यों पर चिंतन-मंथन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के द्वारा फैसला दिया गया कि विवादित ढांचे के स्थान पर भगवान श्री राम का जन्म स्थान ही रहा है । बहरहाल यह समय सैकड़ों वर्ष के संघर्ष के बाद में आ ही गया है, जिसका की प्रत्येक भारतवासी सनातन धर्म को मानने वाले धर्मावलंबी को इंतजार था। यह मंदिर अपने आप में दुनिया का सबसे भव्य मंदिर होगा और जितने भी आश्चर्य कहे जाते हैं, निर्माण के बाद में यह मंदिर दुनिया का सर्वश्रेष्ठ आश्चर्य भी बन जाएगा । राम मंदिर बनने के साथ ही देश में पर्यटन क्षेत्र में अविश्वसनीय तरक्की होगी और इसका सीधा-सीधा आर्थिक लाभ देश के विकास के हित में ही काम आएगा।

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