कोई भी किसी को भी बांध सकता है रक्षा सूत्र

रक्षाबंधन पर्व भाई बहन के स्नेह और विश्वास का प्रतीक

आज के परिवेश में राष्ट्र रक्षा सूत्र बांधे और लें संकल्प

फतह सिंह उजाला
पटौदी । 
सावन माह के अंतिम सोमवार और पूर्णिमा के मौके पर रक्षाबंधन पर्व निष्ठा और श्रद्धा भाव के साथ मनाया गया । हालांकि कोरोना कॉविड 19 को लेकर रक्षाबंधन पर्व का उत्साह पहले के मुकाबले बेहद कम महसूस हुआ । यह एक ऐसा पर्व है की विशेष रुप से बहने अपने-अपने भाइयों के घर अथवा आवास पर पहुंचकर विशेष रूप से राखी एवं रक्षा सूत्र बांधती हैं ।

पटौदी क्षेत्र में देहात से लेकर शहरी क्षेत्र पटौदी नगर पालिका और हेली मंडी नगर पालिका इलाके में भी रक्षाबंधन पर्व मनाया गया । अन्य वर्षो के मुकाबले बाजार में राखियों की जो विभिनता दिखाई देती थी , वह नहीं थी । बेहद साधारण और सामान्य , लेकिन सुंदर और आकर्षक राखियां बाजार में मौजूद रही।  मिष्ठान भंडारों की बात करें तो वहां भी अन्य वर्षो के मुकाबले खरीदारों की कमी महसूस की गई । यही कारण रहा मालिकों के द्वारा विभिन्न प्रकार के मिष्ठान बनाने में संयम ही बरता गया ।

इसी मौके पर आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय में अलग ही माहौल और नजारा देखने को मिला। आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय परिसर में मौजूद पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर धर्मदेव की कलाई पर राखी अथवा रक्षा सूत्र बांधने के लिए विभिन्न आयु वर्ग की महिला श्रद्धालु भक्त व अन्य श्रद्धालु भी पहुंचे। इस खास मौके पर महामंडलेश्वर धर्मदेव ने रक्षाबंधन पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पहला रक्षा सूत्र राजा बलि के समय में ही बांधा गया था । रक्षा सूत्र के पीछे बहुत ही गहरा संदेश छिपा हुआ है, समय बदलने के साथ यह त्यौहार अब भाई-बहन के बीच में ही राखी बांधने अथवा रक्षा सूत्र बांधने तक सिमटता आ रहा है । धर्मदेव ने कहा रक्षा सूत्र वास्तव में बहुत ही बड़ी जिम्मेदारी और दायित्व का एक बंधन है , बंधन से अधिक यह एक संकल्प है। जो भी कोई व्यक्ति रक्षा सूत्र बंधवाता है ,यह उसका दायित्व बनता है अथवा वह इतना सामर्थ होना चाहिए कि किसी भी आपदा विपदा और जरूरत के समय में रक्षा सूत्र बांधने वाले की रक्षा करें , मदद करें , सहयोग करें ।

इस त्योहार की वास्तव में यही परिभाषा है। उन्होंने बेबाक शब्दों में कहा कि सही मायने में आज जरूरत है की देश की रक्षा का संकल्प लेकर जहां भी मन हो श्रद्धा हो वहां एक रक्षा सूत्र अवश्य बांधा जाए।  देश की रक्षा का मतलब यह नहीं है कि सीमा पर ही पहरा दिया जाए या दुश्मनों से लड़ा जाए या फिर जब दुश्मन हमला करें तो दुश्मन पर हमला करके सबक सिखाया जाए। उन्होंने कहा हम सभी आज के माहौल में हमारा जो भी दायित्व है, समाज के प्रति, परिवार के प्रति, राष्ट्र के प्रति, उसका ईमानदारी से पालन करें। तो यह एक ऐसी कड़ी बन जाएगी जो सीधे-सीधे राष्ट्र रक्षा का कार्य करेगी । उन्होंने कहा कि रक्षा सूत्र किसी भी धर्म वर्ग संप्रदाय से संबंध रखने वाला आपस में बांध सकता है । यहां तक की पत्नी भी पति को रक्षा सूत्र बांध सकती है। इसका भावार्थ यही है कि कोई भी आपदा, विपदा हो तो पति अपनी  पत्नी की रक्षा करें । उन्होंने कहा कि आज के परिवेश में रक्षाबंधन के पीछे छिपे संदेश को फिर से समाज के सामने लाकर समझाने और बताने की जरूरत है, कि रक्षाबंधन पर का महत्व और रक्षा सूत्र बंधन का दायित्व सहित संकल्प क्या है ।

Previous Post Next Post