एमएलए और एसडीएम के आदेश की कर रहे रही अनदेखी

एक से दूसरे ऑफिस में लगवा रहे हैं आम लोगों के चक्कर

समस्या से परेश्परेषान जनता पूछे सवाल हमारा क्या कसूर

फतह सिंह उजाला
पटौदी । 
  सूबे में बीजेपी की सरकार और सरकार के मुखिया सीएम मनोहर लाल खट्टर ई गवर्नेंस की वकालत करते हुए आम लोगों की समस्याओं का समाधान ई गवर्नेंस के माध्यम से करने को ही प्राथमिकता दे रहे हैं । सरकार पारदर्शिता और समय पर काम के लिए अधिकारियों को भी ई गवर्नेंस पर अमल करने के लिए हिदायत देती आ रही है । लेकिन कथित लापरवाह और काम टरकाऊ लापरवाह अधिकारियों ने आम जनता को फुटबॉल बना के रखा हुआ है । अपनी-अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ समस्याओं के समाधान की तरफ ध्यान न देकर एक दूसरे के विभाग पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेल कर जनता को शब्द जाल में उलझा कर बरगलाया जा रहा है ।
अधिकारी कितने संजीदा हैं,  कि एमएलए और एसडीएम के निर्देशों की भी परवाना करके अपनी ही मनमानी करने की ठाणे बैठे हैं । अधिकारियों कि इसी मनमानी और जवाबदेही से पीछे हटने से गुस्साए हेलीमंडी-जाटोली के लोगों का गुस्सा आखिर टूट ही गया। दर्जनों की संख्या में जाटोली क्षेत्र के दलित बहुल वार्ड के निवासी हेली मंडी नगरपालिका कार्यालय में पहुंचे और यहां जमकर नारेबाजी की।  फरियाद लेकर पहुंचे लोगों के साथ महिलाओं को भी इतना सम्मान नहीं दे सके कि कार्यालय परिसर में ही महिलाओं को बैठने की सुविधा उपलब्ध करवाई जा सके । हेली मंडी पालिका के सचिव सहित अन्य जवाब देय अधिकारियों के अड़ियल रवैए से गुस्साए लोगों ने पालिका सचिव के खिलाफ भड़ास निकालते हुए खूब नारेबाजी की , फिर भी पालिका सचिव फरियादियों की फरियाद सुनने के लिए फरियादियों के बीच आने से कन्नी काट अपने ही ऑफिस में जमे रहे ।

मामला जाटोली क्षेत्र के विभिन्न वार्डों का है, जहां बीते 1 वर्ष से और हाल ही में किए गए विकास कार्यों में अनियमितताओं को लेकर स्थानीय नागरिक अनेकों बार पालिका कार्यालय से लेकर जिला उपायुक्त कार्यालय तक फरियाद कर चुके हैं। लेकिन समस्याओं का समाधान ही नहीं हो पा रहा है । इधर सरकार के द्वारा डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट भी लागू किया हुआ है । इसके तहत जो भी संबंधित अधिकारी अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करता या जनता के काम करने में आनाकानी दिखाता है, उसके खिलाफ सीधे-सीधे डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत कठोर कार्यवाही किए जाने का प्रावधान भी है । लेकिन लगता है हेली मंडी पालिका कार्यालय सरकार के द्वारा लागू डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के दायरे में से अपने को अलग ही रखे हुए हैं । जाटोली के निवासी अपने अपने वार्ड गली मोहल्ले में पेयजल की समस्या सीवरेज की समस्या अथवा गली निर्माण में अनियमितता की शिकायतों को लेकर कार्यालय में पहुंचें तो बड़ी संख्या में पुलिस बल को भी मौजूद देखा गया ।


फरियादियों की माने तो पालिका अधिकारियों ने आरोप लगाया की लोगों की भीड़ पालिका कार्यालय में अधिकारियों को बंधक बनाने के लिए पहुंची , इतना ही नहीं अधिकारियों ने फरियादियों को कोरोना का डर और भय दिखाते हुए कहा कि तुम लोग यहां कोरोना फलाने के लिए आए हो । इससे पीड़ित लोगों का गुस्सा और अधिक भड़क गया। इसी बीच हेली मंडी नगरपालिका के चेयरमैन , वाइस चेयरमैन भी पालिका कार्यालय में पहुंच गए। फरियादियों के मुताबिक वे अपनी अपनी समस्या के समाधान के लिए बीते 1 वर्ष से पालिका कार्यालय और अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं । खुले दरबार में भी विधायक और एसडीएम को अपनी अपनी शिकायतें दे चुके , लेकिन एसडीएम और विधायक के निर्देशों को भी पालिका के अधिकारी मानने के लिए जल्दी से तैयार ही नहीं हो रहे हैं ।

पालिका सचिव फरियादियों को उनके द्वारा किए गए सवालों से संतुष्ट ही नहीं कर सके, इसी बीच पालिका चेयरमैन पालिका सचिव की ढाल बनकर सामने आ गए और एक कुशल राजनेता की तरह फरियादियों को इस हिसाब से बातों के जाल में उलझा कर रख दिया कि फरियादी अपनी सही समस्या को रखने से भूल गए और यहां तक कह दिया कि जैसा भी उचित लगे वैसी ही कार्यवाही करके हमारी समस्याओं का समाधान कराया जाए। पालिका के सचिव और पालिका के चेयरमैन ने पीने के पानी और सीवरेज की समस्या के समाधान के लिए जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग को जिम्मेदार ठहराया। फरियादियों को सलाह देकर जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग पटौदी के कार्यालय भेज दिया गया। फरियादी जब पटौदी जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग कार्यालय पहुंचे तो वहां कोई भी जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी नहीं मिला, जो उनकी फरियाद को सुन सकता था ।

फरियादियों को साफ-साफ कहा गया कि जिस समस्या के समाधान के लिए वे लोग पालिका कार्यालय पहुंचे हैं उसके लिए केवल और केवल जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग ही जिम्मेदार और जवाब देय है। कितना सच और कितना झूठ बना रहे थे,  अपनी-अपनी समस्या रखते हुए फरियादियों ने जब पालिका सचिव और पालिका चेयरमैन को अवगत कराया कि पटौदी के विधायक के द्वारा शिकायतें समाधान के लिए पालिका सचिव को मार्क की हुई है तो इस पर गोलमाल जवाब देते हुए पालिका सचिव ने टऱका दिया की विधायक किसी को भी शिकायत समाधान के लिए फॉरवर्ड कर सकते हैं । सवाल यह है यदि नगरपालिका से संबंधित शिकायत नहीं थी तो क्या नगरपालिका सचिव उस शिकायत को जन स्वास्थ्य विभाग पटौदी कार्यालय तक अपने रिकमेंडेशन करके नहीं दे सकते थे ? कि यह शिकायत अथवा समस्या जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकार क्षेत्र की है और इसका समाधान किया जाना है । हैरानी तब हुई थी जब करीब 3 माह पहले विधायक के खुले दरबार की शिकायत को भी अभी तक पालिका सचिव के द्वारा विधिवत रूप से संबंधित विभाग तक नहीं भेजा गया । उन्होंने कहा कि संबंधित शिकायत के विषय में एसडीएम साहब को बता दिया जाएगा कि यह समाधान जन स्वास्थ्य विभाग के द्वारा ही किया जाना है । जबकि इस प्रकार की तमाम शिकायतों को 15 दिन में समाधान करने का निर्देश खुले दरबार में दिया गया था ।

सरकार और एमएलए की छवि को लगा रहे बट्टा
मुख्य समस्या पीने के पानी और सीवरेज की ही है, सबसे बड़ा सवाल यह है कि दोनों विभागों के बीच में और दोनों विभागों के अधिकारियों के बीच में आखिर समस्या के समाधान के लिए तालमेल क्यों नहीं बन रहा या फिर यह मान लिया जाए अधिकारी समस्याओं को लटका कर जनता को परेशान ही रखना चाहते हैं ? जिससे कि आम जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधि एमएलए और मौजूदा बीजेपी सरकार की छवि लोगों की नजरों में नकारा अथवा ना काम करने वाली बनी रहे । क्योंकि जब अधिकारी समस्याओं का समाधान नहीं करेंगे तो फिर यह स्वभाविक ही बात है लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे , नारेबाजी करेंगे और इससे सरकार की नकारात्मक छवि उभरकर ही सामने आएगी।  पटौदी के विधायक सत्य प्रकाश जरावता बेहद संजीदा और सकारात्मक सोच वाले जनप्रतिनिधि हैं , उनका एक ही मकसद है कि जनता के काम तय समय में किए जाएं । समस्याओं का समाधान हो , लेकिन अधिकारी हैं कि मानते ही नहीं है। अब देखना यह है की फुटबॉल बनी जनता का समस्याओं का समाधान किस प्रकार से करवाया जा सकेगा ।

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