शिक्षकों व प्रचार्यों के बीच लैपटॉप दूसरा पसंदीदा विकल्प।

मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
कोरोना संकट ने विश्वभर में ऑनलाइन पढ़ाई को एक विकल्प के तौर पर शुरू करने की बहस को एक नया आयाम दिया है। भारत में भी केंद्र व राज्य सरकारें लॉकडाउन में डिजिटल पढ़ाई को बढ़ावा दे रही हैं। 
हाल ही केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा सरकारी स्कूलों में भी ऑनलाइन पढ़ाई को शुरू करने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं। लेकिन इन सभी के बीच एनसीआरटी(नेशनल कॉउन्सिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग) द्वारा किए गए सर्वे में स्थिति कुछ और ही नज़र आ रही है। एनसीआरटी द्वारा किए गए सर्वे में पाया गया कि 27 फ़ीसदी विद्यार्थियों के पास स्मार्टफोन व लैपटॉप की पहुंच नही है। जबकि 28 फीसदी विद्यार्थी व अभिवावक बिजली में व्यवधान या कमी को पढ़ने में प्रमुख रुकावट मानते हैं।

34 हज़ार विद्यार्थियों, अभिवावकों व शिक्षकों ने सर्वे में हिस्सा लिया।

एनसीआरटी द्वारा किए गए सर्वे में केंद्रीय विद्यालय,नवोदय विद्यालय व सीबीएसई से सम्बंधित 34 स्कूलों के विद्यार्थियों, अभिवावकों व शिक्षकों समेत 34 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि प्रभावी शैक्षणिक उद्देश्य के लिए उपकरणों के उपयोग की जानकारी की कमी व शिक्षकों को ऑनलाइल पढ़ाई के अनुभव की कमी के कारण ऑनलाइन पढ़ाई में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

शिक्षकों व प्रचार्यों के बीच लैपटॉप दूसरा सबसे अधिक पसंदीदा विकल्प।

सर्वे में भाग लेने वाले अधिकतर विद्यार्थियों ने कोविड-19 में मोबाइल फ़ोन के उपयोग करने की जानकारी दी। 36 फ़ीसदी विद्यार्थी पाठ्यपुस्तक व उनके पास उपलब्ध किताबों का पढ़ाई के दौरान उपयोग कर रहे हैं। शिक्षकों व प्रचार्यों के बीच लैपटॉप दूसरा सबसे पसंदीदा विकल्प है। ऑनलाइन पढ़ाई में रेडियो व टेलीविजन सबसे कम उपयोग होने वाला उपकरण है। शिक्षकों व विद्यार्थियों के बीच बेहतर सवांद की कमी को भी पढ़ाई के दौरान आने वाली बाधा के रूप में बताया है।

विद्यार्थियों के बीच ई-पाठ्यक्रम की जागरूकता की कमी दिखी।

सर्वे में पाया गया कि सबंद्ध राज्यों में शिक्षण प्राप्त करने वालों की प्रगति पर नज़र रखने के लिए ग़ैर-डिजिटल व भौतिक साधनों का उपयोग हो रहा है। अधिकतर राज्यों में शिक्षक विद्यार्थियों के घर जाते हैं या फ़ोन द्वारा मूल्यांकन करते हैं। क़रीब 50 फ़ीसदी से अधिक विद्यार्थियों के पास पाठ्यपुस्तक नही हैं। हालांकि एनसीआरटी द्वारा इंटरनेट पर ई-पाठ्यक्रम मौजूद है। विद्यार्थियों के बीच ई-पाठ्यक्रम की जागरूकता की कमी भी देखी गई। 17 फ़ीसदी विद्यार्थियों ने बताया कि भाषा की पढ़ाई ऑनलाइन पढ़ाई से कठिन है।
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