मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
दसवीं पास कर बीएसफ़ जॉइन की थी।
औमप्रकाश ने गांव के सरकारी स्कूल में हीं दसवीं तक कि पढ़ाई की। इसके बाद देश की सेवा के लिए बीएसफ़ जॉइन की। 7 अगस्त 1989 को दिल्ली में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात हुए।
परिवार को कड़ी मेहनत से खड़ा किया।
शहीद औमप्रकाश देश की सेवा करते-करते परिवार में अपनी पत्नी व दो बेटों को छोड़कर गए हैं। औमप्रकाश की पत्नी सोना देवी(48) घरेलू महिला हैं। बड़ा बेटा हिसार के गवर्नमेंट कॉलेज से एमए व छोटा बेटा संजोग उर्फ संजू पत्राचार से पढ़ाई कर रहा है। उनके गांव से ही सेवानिवृत्त हो चुके जवान रामचन्द्र के मुताबिक औमप्रकाश ने कड़ी मेहनत से परिवार को खड़ा किया। परिवार में ग़रीबी होने के बावजूद उन्होंने कड़ी मेहनत की और कभी पीछे मुड़ के नही देखा।
फरवरी में अपनी मां के देहांत पर घर आये थे।
औमप्रकाश के बड़े बेटे ने बताया कि उनके पिता इसी साल फरवरी में अपनी मां के देहांत पर एक महीने की छुट्टी पर घर आये थे। एक महीने के छुट्टी के बाद जम्मू कश्मीर में अपनी ड्यूटी पर लौट गए थे।
शहीद का पार्थिव शरीर घर पहुंचा।
शहीद औमप्रकाश का पार्थिव शरीर सम्मान से उनके गांव समैण पहुंचा है, कुछ समय के बाद राजकीय सम्मान से उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। हेड कांस्टेबल औमप्रकाश के माता-पिता का स्वर्गवास हो चुका है।