हरियाणा के सीएम, स्वास्थ्य मंत्री, शिक्षा मंत्री से प्राइमरी स्कूल खोलने की मांग

आईएपी ने अभिभावकों का किया आह्वान अअपने बच्चों को भेजें सकूल

शिवचरण ( शिवा )
पटौदी ।
 कोरोना कॉविड 19 जैसी वैश्विक महामारी की पहली और दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर की तमाम आशंकाओं के बीच भारतीय बाल रोग विशेषज्ञ आईएपी के द्वारा दावा किया गया है कि नन्हे बच्चों में बड़ों के मुकाबले रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक मजबूत होती है । कथित रूप से कोविड-19 की तीसरी लहर को लेकर सबसे अधिक छोटे बच्चों पर इसके प्रभाव की संभावनाओं को खारिज करते हुए विभिन्न बाल रोग विशेषज्ञों के द्वारा दावा किया गया है कि नन्हे बच्चों में व्यस्क और बड़ों के मुकाबले रोग प्रतिरोधक क्षमता कहीं अधिक और मजबूत होती है । इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए आईएपी के द्वारा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर , स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर के साथ-साथ शिक्षा निदेशालय से अपील की गई है कि नन्हे अथवा छोटे बच्चों सर्वांगीण विकास सहित बेहतर भविष्य के लिए जितना जल्दी हो सके प्राथमिक स्तर तक स्कूलों में पठन-पाठन आरंभ करवाया जाए। आईएपी के प्रदेशाध्यक्ष डा. अजय अरोड़ा, आरटीएमएस अस्पताल के वरिष्ठ बाल व नवजात रोग विशेषज्ञ डा. प्रभात महेश्वरी, अकादमी के पूर्व जिलाध्यक्ष पटौदी निवासी डा. नरेंद्र यादव के अनुसार छोटे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों से अधिक होती है।

प्रख्यात बाल रोेग विशेषज्ञ डा नरेेंद्र सिंह यादव के मुताबिक अमेरिका में हाल ही में हुई एक शोध में पाया गया है कि कोरोना का विद्यर्थियों को स्कूल में घर से अधिक खतरा नहीं होता है। इधर आईसीएमआर के हालिया चैथे दौर के सीरो सर्वे में भी पाया गया है कि 6 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के दो तिहाई लोगों में कोरोना की एंटीबाडी बन चुकी हैं। ऐसे में उनमें दुबारा कोरोना होने का खतरा एक प्रतिशत से भी कम है। उन्होंने कहा कि  दूसरी लहर अभी गई नहीं है, चाहे देश के केरल व पूर्वोत्तर आदि क्षेत्रों के लिए बेशक सही हो , परन्तु हरियाणा व उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के लिए सही नहीं है। उन्होंने कहा कि आजकल लोग तीसरी लहर का अनुमान लगा रहे हैं । परन्तु यह केवल लोगों का अनुमान  ही है। उनके अनुसार यदि तीसरी लहर आई भी तो यह दूसरी लहर जितनी घातक नहीं होगी , क्योंकि एक तरफ तो दो तिहाई लोगों में कोरोना के प्रति एंटीबाडी बन चुकी हैं ।

आईएपी के प्रदेशाध्यक्ष डा. अजय अरोड़ा का कहना है कि दूसरी तरफ वैक्सीन लगाने का कार्य भी तेजी से चल रहा है। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर ने तो प्राइमरी स्कूलों को भी खोलने की सिफारिश की है। वैसे भी स्कूल में बच्चे केवल पढ़ाई ही नहीं करते अपितु स्कूल बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक बनते हैं। इसलिए अभिभावकों को झिझक छोड़कर अपने बच्चों को स्कूल अवश्य भेजना चाहिए। यधपि मास्क पहनना, शरीरिक दूरी रखना व साबुन से हाथ धोना आदि नियमों का पालन किया जाना चाहिए।  बीतेे काफी लंबे समय सेे छोटेे बच्चेे एकक प्रकार सेे घरों में एक ही जैैसेे माहौल में रहते हुए अपना बचपन भी खोेते हुुए महसूस किए जाा रहे हैं। बच्चोें के स्वभाव में भी बदलाव महसूस किया जाने लगा हैै।
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