पटौदी दैनिक यात्री संघ ने उत्तर रेलवे जीएम को सौंपा मांग पत्र

अनेक हो चुके बेरोजगार और अनेक बेरोजगार की कतार में शामिल

रेवाड़ी-दिल्ली के बीच में लोगों वास्ते पैसेंजर ट्रेन है लाइफ लाइन

शिवचरण
पटौदी ।
   बीते वर्ष मार्च माह के दौरान कोरोना कोविड-19 महामारी को लेकर तमाम ट्रेनों के पहिए रोक दिए गए । समय बीतने के साथ हालात सामान्य हुए , कोरोना से बचाव के लिए 2-2 वैक्सीन भी देश में अब लोगों को लग रही है ।

ऐसे में लाख टके के सवाल के साथ-साथ पापी पेट का भी सवाल है कि आखिर अहीरवाल कहलाने वाले क्षेत्र के लंदन रेवाड़ी से लेकर दिल्ली के बीच में पैसेंजर ट्रेन कब से दौड़ेगी या फिर ऐसा क्या कारण है की रेवाड़ी और दिल्ली के बीच में पैसेंजर ट्रेनों को चलाने के लिए न तो राजनेता गंभीर हैं और ना ही किसान, गरीब , कमेरे, छात्र वर्ग के हितैषी होने की दावेदार राज्य और केंद्र सरकार को चिंता भी है अथवा नहीं है । शनिवार को दिल्ली डिवीजन उत्तर रेलवे के जीएम आशुतोष गंगल एशिया के सबसे बड़े रेलवे जंक्शन कहलाने वाले और अहीरवाल के लंदन की पहचान वाले रेवाड़ी जंक्शन पहुंचे थे । इसी दौरान दिल्ली लौटते समय वह कुछ समय के लिए पटौदी रेलवे स्टेशन पर भी ठहरे । यहां पर पटौदी दैनिक यात्री संघ के योगेंद्र चैहान , सुरेंद्र चैहान, सुरेश भाटिया सहित अन्य के द्वारा उत्तर रेलवे दिल्ली डिवीजन के जीएम को एक मांग पत्र सौंप कर जबरदस्त और पुरजोर तरीके से मांग की गई है कि रेवाड़ी और दिल्ली के बीच में सभी पैसेंजर ट्रेनों को पहले की तरह से ही जनहित में जल्द से जल्द चलाया जाए।

दैनिक यात्री संघ के प्रधान योगेंद्र चैहान के मुताबिक दिल्ली डिवीजन उत्तर रेलवे के जीएम आशुतोष गंगल के द्वारा मौके पर ही उत्तर रेलवे दिल्ली डिवीजन के डीआरएम को रेवाड़ी-दिल्ली के बीच में पैसेंजर ट्रेन चलाने की संभावनाओं पर विचार करते इस दिशा में ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया गया । अब यह तो भविष्य के गर्भ में है कि रेलवे अधिकारी और रेलवे प्रशासन इस मांग के प्रति कितनी ईमानदारी और गंभीरता को दिखाता है।

50 से 60 परिवार बुरी तरह प्रभावित
बहरहाल सीधी और खरी बात यही है कि कोरोना महामारी को लेकर लोक डाउन के बाद से रेवाड़ी और दिल्ली के बीच में विभिन्न पैसेंजर ट्रेनों को बंद किए जाने से करीब 50 से 60 परिवार बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। फर्रुख नगर-गढ़ी हरसरू और दिल्ली रूट की बात की जाए तो इस रूट के दैनिक यात्री अलग से प्रभावित हो रहे हैं । सीधे और सरल शब्दों में पिछड़े कहलाने वाले दक्षिणी हरियाणा और अहीरवाल बहुल क्षेत्र रेवाड़ी से लेकर गुरूग्राम तक अनेकानेक परिवारों के लिए पैसेंजर ट्रेनें लाइफ लाइन से कम नहीं है । वही  स्कूल भी खुल चुके हैं,  ट्रेनें से सस्ता और सुगम आवागमन का अन्य कोई साधन भी उपलब्ध नहीं है ।ं स्कूलों में आवागमन करने के लिए छात्र-छात्राओं के सामने छोटे-छोटे स्टेशन से आवागमन का जो एकमात्र साधन है , वह एकमात्र पैसेंजर ट्रेन ही है । सड़क मार्ग से आवागमन करना आज के दौर में गरीब छात्र वर्ग के लिए महंगा ही नहीं असंभव भी साबित हो रहा है । आम जनमानस की चर्चा के मुताबिक सबसे अधिक हैरानी इस बात को लेकर है की रेवाड़ी और दिल्ली के बीच में 15 से अधिक ऐसे रेलवे स्टेशन हैं जहां से अनेक दैनिक कामकाजी, सरकारी कर्मचारी, सरकारी अधिकारी यहां तक कि रेलवे के ही कर्मचारी और अधिकारी भी प्रतिदिन आवागमन करने वालों में शामिल हैं । रेलवे ने तो अपने स्टाफ के लिए स्पेशल ट्रेन की सेवा उपलब्ध उपलब्ध करवा दी है और मजे की बात यह है कि ऐसी ट्रेन में आवागमन करना रेलवे के कर्मचारियों के लिए निशुल्क ही है । क्योंकि जब रेल का कर्मचारी है तो रेलवे आवागमन का कोई पैसा भी नहीं देना है । रेलवे प्रशासन - रेलवे अधिकारी और रेलवे संचालन के रणनीतिकार इस तरफ ध्यान क्यों नहीं दे रहे की जहां से रेलवे को राजस्व मिलना तय है , ऐसे सभी स्टेशनों पर से यात्रा करने वाले तमाम यात्रियों की सुविधा के लिए पैसेंजर ट्रेनों को जल्द से जल्द दौड़ाया जाए । इसका एक नहीं अनेक लाभ हैं, रेलवे को राजस्व मिलेगा , आम जनमानस को रोजगार मिलेगा, छोटे-मोटे दुकानदार और उद्योगपति हैं उनको अपने यहां काम करने वाली लेबर मिल जाएगी ।


रेलवे को राजस्व लोगों को रोजगार
दैनिक रेल यात्री संघ के द्वारा एक जायज सवाल भी उठाया गया की केंद्र सरकार और रेलवे मंत्रालय के द्वारा हाल ही में रेवाड़ी-दिल्ली रूट को छोड़कर अन्य तीन दिशाओं में करीब 45 ट्रेनें आम यात्रियों के लिए चलाई गई हैं । वही बिहार ,महाराष्ट्र ,राजस्थान ,पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश में भी अनेक ट्रेनों का संचालन आरंभ किया गया है । तो ऐसी क्या रेलवे मंत्रालय और रेलवे अधिकारियों सहित यहां के चुने हुए जनप्रतिनिधियों की मजबूरी है कि वह रेवाड़ी से लेकर दिल्ली के बीच में आम जनमानस की सुविधा के लिए पैसेंजर ट्रेनों का संचालन करने में कोई भी रुचि नहीं दिखा रहे ? वही  एक अनुमान के मुताबिक प्रतिदिन रेवाड़ी से दिल्ली के बीच में लगभग 100000 यात्री आवागमन करते हैं । यह केवल मात्र यात्री ही नहीं है, यह मतदाता भी हैं जिन्होंने अपना वोट देकर अपनी सुविधा के लिए जनप्रतिनिधि चुनने के साथ-साथ सरकार के गठन में भी अपनी हिस्सेदारी निभाई हुई है । अब देखना यह है कि शनिवार को दिल्ली डिवीजन उत्तर रेलवे के जीएम आशुतोष गंगल को सौपे गए मांग पत्र का क्या असर और कितना प्रभाव रेलवे प्रशासन पर हो सकेगा ? पटौदी दैनिक रेल यात्री संघ के द्वारा सबसे महत्वपूर्ण मांग की गई है कि रेवाड़ी-दिल्ली के बीच में चल रही आरएनटी जिसे कि पार्लियामेंट्री ट्रेन भी पुकारा जाता है , इस ट्रेन को पैसेंजर ट्रेन का दर्जा अविलंब देकर दिल्ली और रेवाड़ी के बीच में सभी रेलवे स्टेशन पर टिकट काउंटर खोल कर आम यात्रियों की सुविधा के लिए रेल की टिकटों की बिक्ऱी आरंभ की जाए। वही मासिक सीजन टिकट एमएसटी पर यात्रा करने की भी दैनिक यात्रियों को छूट प्रदान की जाए।

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