गुरूग्राम किसान मोर्चा ने दीनबंधु चैधरी छोटूराम की जयंती मनाई  

नमन किया तथा दीनबंधु छोटूराम अमर रहे के नारे भी लगाए

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम।
   किसानों की माँगो के समर्थन में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे संयुक्त किसान मोर्चा गुरुग्राम के द्वारा किसान,  मजदूर, कमेरे वर्ग के हितकारी दीनबंधु चैधरी छोटूराम की जयंती मनाई।  सभी ने दीनबंधु छोटूराम के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करके उनको नमन किया तथा दीनबंधु छोटूराम अमर रहे के नारे लगाए। दीनबंधु चैधरी छोटूराम ने किसान मजदूर और गरीब आदमियों को कर्ज से मुक्ति दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

विभिन्न वक्ताओं ने कहा दीनबंधु चैधरी छोटूराम के प्रयासों से कृषि उत्पाद मंडी अधिनियम 1938 बना। इसके तहत नोटिफाइड एरिया में मार्किट कमेटियों का गठन किया गया। एक कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार किसानों को अपनी फसल का मूल्य एक रुपये में से 60 पैसे ही मिल पाता था। अनेक कटौतियों का सामना किसानों को करना पड़ता था। आढ़त, तुलाई, रोलाई, मुनीमी, पल्लेदारी और कितनी ही कटौतियां होती थीं। इस अधिनियम के तहत किसानों को उसकी फसल का उचित मूल्य दिलवाने का नियम बना।

  जमीनें किसानों को वापिस दिलवाई  

गुरूग्राम किसान मोर्चा अध्यक्ष चैधरी संतोख सिंह ने बताया कि किसान आंदोलन के 83वें दिन किसान,मजदूर,गुरुग्राम के विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रमुख व्यक्ति धरने पर बैठे। किसान मोर्चा अध्यक्ष चैधरी संतोख सिंह,राव कमलबीर सिंह,आर एस राठी,गजे सिंह कबलाना तथा बीरू सरपंच ने संयुक्त बयान में कहा कि सरकार काले कानूनों द्वारा खेत खलिहान को पूंजीपतियों के हाथ में गिरवी रखने का षड्यंत्र रच रही है। उन्होंने कहा कि दीनबंधु चैधरी छोटूराम के प्रयासों से साहूकार पंजीकरण अधिनियम 1938 बना।इसके अनुसार कोई भी साहूकार बिना पंजीकरण के किसी को कर्ज नहीं दे पाएगा और न ही किसानों पर अदालत में मुकदमा कर पायेगा। इस अधिनियम के कारण साहूकारों की एक फौज पर अंकुश लग गया। उनके प्रयासों से गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी अधिनियम 1938 बना।इस अधिनियम के जरिए जो जमीनें 8 जून 1901 के बाद कुर्की से बेची हुई थी तथा 37 सालों से गिरवी चली आ रही थीं, वो सारी जमीनें किसानों को वापिस दिलवाई गईं। इस कानून के तहत केवल एक सादे कागज पर जिलाधीश को प्रार्थना-पत्र देना होता था। इस कानून में अगर मूलराशि का दोगुणा धन साहूकार प्राप्त कर चुका है तो किसान को जमीन का पूर्ण स्वामित्व दिये जाने का प्रावधान किया गया।

  कानून पूंजीपतियों के कहने से बनाए  
उन्होंने कहा कि अब केंद्र सरकार ने तीनों काले कृषि कानून पूंजीपतियों के कहने से बनाए हैं।इन कानूनों से पूंजीपतियों का पोषण होगा और किसान मजदूर वे गरीब आदमी का शोषण होगा। उन्होंने कहा कि तीनों काले कानूनों से महँगाई बढ़ेगी तथा किसान मजदूर तथा गरीब आदमी कर्जे में दब जाएगा और पूंजीपति कंपनियों का देश की अर्थव्यवस्था पर कब्जा हो जाएगा।उन्होंने कहा कि जब तक सरकार तीनों काले कानूनों को वापस नहीं ले लेती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

धरने पर बैठने नवनीत रोजखेड़ा,अमित पंवार,रणसिंह,कंवलजीत सिंह, मुकेश डागर,पंजाब सिंह,कमल सिंह गढ़ौली, ओमप्रकाश ठाकरान,सतबीर सिंह संधु,चंदर सिंह सिवाच,देविका सिवाच,रेखा यादव,अमित अत्रि एडवोकेट, दिनेश नारा एडवोकेट,अरुण शर्मा एडवोकेट,फूल कुमार,बलकेश बाल,विंग कमांडर एम एस मलिक,डॉक्टर धर्मबीर राठी,धरम राज भारद्वाज,आर सी हुड्डा,नरेंद्रपाल किलहोड,बलवान सिंह दहिया, अमित शर्मा, शुभम शर्मा,योगेश्वर दहिया,दलबीर सिंह मलिक,आर के देशवाल,मनोज शोराण,मनीष मक्कड़, हरि सिंह चैहान,बीरेंद्र सिंह कटारिया सहित अन्य शामिल हुए।

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