यह मामला पटौदी के नागरिक अस्पताल से जुड़ा हुआ

लापरवाही सार्वजनिक होने पर बौखलाया स्वास्थ्य विभाग

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 क्या अब सच और सच्चाई का गला दबाने के लिए पटौदी प्रशासन एफआईआर को हथियार बनाएगा ? यह है मौजूदा भ्रष्टाचार , जीरो टोलरेंस और जनहित के कार्य करने वाली सूबे की बीजेपी सरकार जिसका नेतृत्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के द्वारा किया जा रहा है । उस सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान कार्यरत अधिकारियों की कथित यही कसरत सहित हसरत है ?  यह मामला भी एकाएक चर्चा का विषय बन गया है या फिर यूं कहें की प्रशासन और प्रशासन के अधिकारी यह बात सहन नहीं कर पा रहे कि किसी भी विभाग में जो भी कमियां या लापरवाही है , वह संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों, मंत्रियों और सरकार के सामने आए।

मामला पटौदी के नागरिक अस्पताल से जुड़ा हुआ है । कथित रूप से संबंधित प्रकरण को लेकर सच्चाई उजागर करने वाले मीडिया पर या मीडिया सूत्रों पर दवाब बनाने के लिए एफ आई आर दर्ज करवाने की पटकथा भी तैयार की जाने की तैयारी की जानकारी विश्वसनीय सूत्रों से ही प्राप्त हुई है । यह सूत्र भी  संबंधित विभाग से ही जुड़े हुए हैं । घटना के मुताबिक एक दिन पहले ही पटौदी नागरिक अस्पताल में एक ही बेड पर दो नवजात शिशु और प्रसूता की खबर प्रकाशित की गई थी । एक तरफ अभी कोविड-19 महामारी का दौर चल रहा है , सोशल डिस्टेंस का पालन किया जाना बहुत जरूरी है । यह गाइडलाइन केंद्र सरकार, राज्य सरकार के साथ-साथ स्वयं स्वास्थ्य विभाग की भी है । हालांकि इस समाचार के संदर्भ में स्वास्थ्य विभाग के जिला स्तर से लेकर स्थानीय अधिकारियों को व्हाट्सएप पर मैसेज भेज कर पक्ष जानने की कोशिश की गई , लेकिन आज तक भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी विभाग के द्वारा कुछ भी नहीं कहा गया है ।
इसी बीच बेहद विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई कि कथित रूप से यह मामला पटौदी के एसडीएम के संज्ञान में लाया गया और कथित रूप से मामले की लापरवाही को उजागर करने सहित संबंधित सूत्र के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने की पटकथा तैयार की जा रही है । एफ आई आर दर्ज करवाई जाएगी अथवा नहीं यह भविष्य के गर्भ में है ?

इसी बीच स्थानीय नागरिक अस्पताल की एक और लापरवाही सामने आई । एक दिन पहले ही नवजात शिशु और प्रसूता को डिस्चार्ज कर दिया गया। कथित रूप से डिस्चार्ज करते समय जरूरी दस्तावेज नहीं दिए गए । मंगलवार को नवजात शिशु की अचानक तबीयत खराब होने पर प्रसूता और परिजन जब पुनः नवजात के उपचार और जांच के लिए नागरिक अस्पताल पहुंचे तो कथित रूप से उनके साथ  अमानवीय व्यवहार किया गया । हैरानी की बात यह है कि सोमवार को इस जच्चा-बच्चा को जब डिसचार्ज किया गया तो यह प्राइवेट वाहन से अपने गांव पहुंचे और मंगलवार को नवजात शिशु और प्रसूता मां के साथ नागरिक अस्पताल में तो अमानवीय व्यवहार किया गया । इसकी जानकारी एक बार फिर से मीडिया तक पहुंचने पर जब संबंधित प्रसूता और नवजात के फोटो सहित स्वास्थ्य विभाग के स्थानीय और जिला स्तर के अधिकारियों को व्हाट्सएप भेज कर अवगत कराया गया तो बिना किसी विलंब के नवजात शिशु और प्रसूता को एंबुलेंस के द्वारा उसके गांव पहुंचाया गया। विभागीय सूत्रों के मुताबिक नवजात शिशु और प्रसूता को डिस्चार्ज किया जाते समय संबंधित दस्तावेजों पर जाते हैं और एंबुलेंस के द्वारा घर तक छोड़ा जाता है।

अब सवाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग, सरकार और स्वास्थ्य मंत्री सहित स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों के मुताबिक जारी गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए नियमानुसार कार्य करें तो फिर किसी भी रोगी, पीड़ित अथवा प्रसूता को बेवजह परेशानी का सामना ही ना करना पड़े । इससे महत्वपूर्ण बात यह है कि  मामले भी मीडिया के सामने आने से बचे रह  सकेंगे । जब मीडिया सच दिखाएगा तो क्या विभाग अपनी लापरवाही को सही साबित करने के लिए या फिर मीडिया को गलत ठहराये जाने के लिए एफ आई आर का डर दिखाने का प्रयास करते हुए सच्चाई का गला दबाने का प्रयास करेगा ? कम से कम लोकतंत्र में ऐसा किया जाना शोभनीय कार्य नहीं हो सकता । कमियां-खामियां सामने आने के बाद उनको सुधार करना ही संबंधित विभाग  का बड़प्पन और बड़ा दिल साबित कर सकता है ।

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