सऊदी ने पाकिस्तान से 1 बिलियन डॉलर का कर्ज़ चुकाने की मांग की है। 

मनीषबलवान सिंह जांगड़ा,हिसार
कोरोना संकट व गलत आर्थिक नीतियों के चलते पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति ख़राब चल रही थी लेकिन इसी बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के एक बयान ने दशकों से पाकिस्तान के साथी देश सऊदी अरब को नाराज कर दिया है। दोनों देशों के रिश्तों में आई कड़वाहट को ख़त्म करने के लिए पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने पहल की है। सेना प्रमुख इस हफ़्ते के अंत में सऊदी अरब का दौरा करने जा रहे हैं। इस दौरे को सऊदी की नाराजगी को दूर करने की एक पहल के तौर पर देखा जा रहा है।

बता दे कि एक शो के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा,"मैं एक बार फिर सम्मान के साथ ओआईसी को विदेश मंत्रियों की काउंसिल की बैठक बुलाने का अनुरोध कर रहा हूं। अगर आप इसे योजित नहीं करते हैं, तो मैं प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को उन इस्लामी देशों की बैठक बुलाने को कहने के लिए मजबूर हो जाऊंगा, जो कश्मीर के मुद्दे पर हमारे साथ हैं और उत्पीड़ित कश्मीरियों का समर्थन करते हैं।”

पाकिस्तान के विदेश मंत्री के इस बयान पर सऊदी अरब ने कड़ी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की थी। इस बयान के बाद सऊदी ने पाकिस्तान से 1 बिलियन डॉलर का कर्ज़ चुकाने की मांग की है। 

ग़ौरतलब है कि पाकिस्तान ने 2018 में आईएमएफ की चेतावनी के बाद आर्थिक संकट से बचने के लिए सऊदी अरब से 3.2 बिलियन डॉलर तेल के लिए व 3 बिलियन डॉलर लोन के रूप में कर्ज़ लिया था लेकिन कर्ज़ नही चुका पाने की वजह से सऊदी ने मई में पाकिस्तान को तेल की सप्लाई बंद कर दी थी।

पाकिस्तान ने दो हफ़्ते पहले चीन की मदद से 1 बिलियन डॉलर सऊदी अरब को अदा कर चुका है लेकिन सऊदी ने पाकिस्तान से अतरिक्त 1 बिलियन डॉलर चुकाने की मांग की है।

पाकिस्तान ने सेना प्रमुख के दौरे को पहले से सुनियोजित कहा।

वहीं पाकिस्तान ने सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा
के सऊदी अरब के दौरे को पाक-सऊदी के बीच तक़रार को शांत करने वाली ख़बर से इनकार किया है। 

सेना प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने रावलपिंडी में मीडिया को बताया कि पाकिस्तान के लोगों का दिल सऊदी के लोगों के साथ धड़कता है, इसलिए रिश्तों में कड़वाहट की बात को लेकर किसी भी प्रकार का सवाल नही उठता।
उन्होंने कहा की जनरल बाजवा का सऊदी दौरा पहले से ही तय किया गया था यह पाक व सऊदी सेना की नियमित मीटिंग का हिस्सा है।

दशकों से इस्लामिक देश पाकिस्तान व सऊदी में रिश्ते मधुर रहे हैं लेकिन अब समीकरण बदल रहे हैं।

इस्लामिक देश सऊदी व पाकिस्तान के रिश्ते शुरू से ही अच्छे रहे हैं। सऊदी अरब की राजशाही को तख्तापलट से बचाने के लिए विदेशी सेनाओं की जरूरत होती है ऐसे में पाकिस्तान की आर्मी सुल्तान को सुरक्षा प्रदान करती है। 

अमेरिका व सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध में पाकिस्तान व सऊदी अरब ने अमेरिका के सहयोगी देशों की भूमिका निभाई थी लेकिन अब समीकरण बदल रहे हैं। एशिया में चीन तेज़ी से उभर रहा है व अमेरिका को भी चुनौती दे रहा है। इस कड़ी में भारत भी आता है क्योंकि एशिया में चीन को सबसे बड़ी चुनौती भारत से ही है ऐसे में चीन भारत के प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को आर्थिक व सैन्य सहायता दे रहा है। 
सऊदी अरब इस्लामिक दुनिया का नेतृव करना चाहता है लेकिन सऊदी को ईरान से चुनौती मिलती रही है। इसी कड़ी में सऊदी को अमेरिका का समर्थन हासिल है। 

अमेरिका व चीन में अप्रत्यक्ष शीत युद्ध में सऊदी व पाकिस्तान अलग-अलग ख़ेमे में विभाजित हो गए हैं। एक तरफ अमेरिका का मध्य एशिया में साथी है जो ईरान व शिया बहुल देश इराक, यमन व सीरिया है दूसरी तरफ चीन का सहयोगी देश जो भारत जैसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर चुनौती देता जा यानि पाकिस्तान। अमेरिका द्वारा सख़्त प्रतिबंधों के बाद ईरान अपने कच्चे तेल को बेचने के लिए बाजार की तलाश कर रहा है ऐसे में चीन ने ईरान को लुभाया है व ईरान में बड़ी मात्रा में निवेश का वायदा किया है जिससे अलग-थलग पड़े ईरान की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। ईरान व सऊदी अरब एक-दूसरे के कड़े प्रतिद्वंद्वी है ऐसे में सऊदी को चीन का निवेश बिल्कुल भी नही रास नही आएगा। दूसरी ओर भारत की सयुक्त अरब अमीरात व सऊदी से बढ़ती नजदीकियां पाकिस्तान के लिए चिंता का सबब है। 

इस बदलते समीकरण में पाकिस्तान व सऊदी अरब दोनों ही अलग-अलग धड़ों में बंट गए हैं। आईओसी(इस्लामी सहयोग संगठन) को लेकर पाकिस्तान के विदेश मंत्री की टिप्पणी दोनों देशों में दूरियां बढ़ाने वाली है। लेकिन पाकिस्तानी मीडिया व सेना ने भी इस बयान की निंदा की है। अब पाकिस्तानी सरकार व सेना बिगड़े रिश्तों को सुधारने में जुटी है।

क्या है इस्लामी सहयोग संगठन।

आईओसी(इस्लामी सहयोग संगठन) मुस्लिम देशों के बीच आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक संबधों को मजबूत करने व मुस्लिम देशों में एकता व एक मंच प्रदान करने के लिए बनाया गया था। इसका गठन 1969 में किया गया था जिसमें पाकिस्तान समेत 24 देशों को शामिल किया गया था।

वर्तमान में आईओसी में 57 सदस्य देश हैं। सयुंक्त राष्ट्र के बाद आईओसी दूसरा सबसे बड़ा संगठन है जिसकी सदस्य देशों में कुल आबादी 180 करोड़ लोग हैं। आईओसी में अधिकतर देश अरब देश हैं वही अफ्रीका व दक्षिण अमेरिका के देश भी शामिल है। अरब दुनिया से 22 देश व तुर्की ईरान व पाकिस्तान जैसे अन्य देश भी हैं। मार्च 1970 में सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की पहली इस्लामिक कॉन्फ्रेंस सऊदी अरब के जद्दा में हुई।

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