ब्रह्माकुमारीज के मीडिया प्रभाग ने किया आयोजन
ओम शांति रिट्रीट सेंटर में हुआ कार्यक्रम
मीडिया में आध्यात्मिक मूल्यों के समावेश पर दिया गया जोर
शिवचरण/पटौदी। ब्रह्माकुमारीज के भोराकलां स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में जनसंपर्क एवं मीडिया कर्मियों के लिए आयोजित संगोष्ठी का समापन हुआ। संगोष्ठी में जनसंपर्क और मीडिया से जुड़ी नामचीन हस्तियों ने शिरकत की। कार्यक्रम के अलग-अलग सत्र में अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के महाप्रबंधक, गुरुमुख भावा ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पहले हमें स्पिरिचुअल एनरिचमेंट की जरूरत है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केवल भौतिक उन्नति का माध्यम है।
सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता, प्रियदर्शनी ने कहा कि आज हम एक ग्लोबल फैमिली हैं। इसलिए हमारे कंट्रोल में होना चाहिए कि हमें विश्व को क्या देना है। आज सबके पास नॉलेज है। लेकिन सही से उसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं हैं। स्पिरिचुअलिटी एक माध्यम है, जो अंदर से हमारा मार्गदर्शन करती है। जब तक हम संस्कृति और संस्कारों का सम्मान नहीं करते, तब तक चाहे कितनी भी भौतिक उन्नति कर लें कोई फायदा नहीं होगा।
मीडिया कंसल्टेंट, दिव्या मिगलानी ने कहा कि मीडिया एक माध्यम है, सूचनाओं के आदान-प्रदान का। आज हम एडवांस टेक्नोलॉजी के कारण न्यूज क्रिएट भी कर रहे हैं। मीडिया में हम जो भी देखते हैं, वो हमारे विचारों को प्रभावित करता है। इसलिए मीडिया की ये जिम्मेवारी है कि वो क्या दिखाता है। मीडिया सकारात्मक क्रिएटिविटी के साथ समाज को प्रेरित कर सकता है।
एयर इंडिया के पूर्व कार्यकारी निदेशक जितेंद्र भार्गव ने कहा कि उन्हें स्पिरिचुअल स्ट्रेंथ के कारण ही किताब लिखने की प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता आपको सच के रास्ते पर ले जाती है। और जहां सत्य है वहां जीवन से भय और डर समाप्त हो जाता है।
सेंटर फॉर कम्युनिकेशन की संस्थापक-निदेशक एवं राष्ट्रीय जनसंपर्क परिषद की अध्यक्ष, गीता शंकर ने कहा कि आज हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं, जहां हर कोई हमें प्रभावित कर रहा है। इसलिए हमें स्वयं को जागृत रखने की आवश्यकता है। वर्तमान परिस्थितियों का सामना करना एक बहुत बड़ी चुनौती है।
एडवाइजर एवं ट्रेनर, डॉ.अजय अग्रवाल ने कहा कि आज हर कोई खुशियों के पीछे भाग रहा है। लेकिन एक आध्यात्मिक व्यक्ति के पास खुशियों का खजाना होता है। खुशियां बाहर नहीं बल्कि हमारे भीतर हैं। जब जीवन में सत्यता, ईमानदारी और पारदर्शिता जैसे गुण आ जाते हैं तो खुशियों की महसूसता होती है। आज ज्यादातर लोग सिर्फ मूल्यों की बात करते हैं, लेकिन उन्हें जीते नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैं राजयोग का नियमित अभ्यास करता हूं। उन्होंने कहा कि मैंने 62 वर्ष की आयु में पीएचडी की। ये राजयोग का ही प्रभाव है, जिससे मैं मानसिक रूप से स्ट्रांग हुआ।
ब्रह्माकुमारीज, मीडिया प्रभाग के राष्ट्रीय संयोजक बीके सुशांत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में जी रहे हैं। आज हमने हर क्षेत्र में उन्नति के शिखर को छुआ है। लेकिन नैतिक मूल्यों में निरंतर गिरावट आई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ आवश्यकता है, सुप्रीम इंटेलिजेंस की। जोकि आध्यात्मिकता के माध्यम से ही संभव है।
माउंट आबू से पधारी बीके अदिति ने कहा कि पब्लिक रिलेशन से पहले हमारा खुद से अच्छा संबंध होना जरूरी है। जितना हम खुद को बेहतर ढंग से पहचानते हैं, उतना ही दूसरों को अच्छी तरह समझ सकते हैं।
दिल्ली, मंडावली सेवाकेंद्र प्रभारी बीके सुनीता ने सभी को राजयोग के अभ्यास से शांति की गहन अनुभूति कराई। कार्यक्रम के अंत में नेपाली कलाकारों द्वारा बहुत ही सुंदर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई। जिसमें कलाकारों ने प्रभु प्रेम के भावों से भरे गीतों पर नृत्य किया। साथ लोक नृत्य से भी कलाकारों ने सबका मन मोहा।