यूजीसी के द्वारा सितंबर के अंत तक परीक्षाएं करवाने का निर्देश
18 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
ज्योति जांगड़ा, हिसार
अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षाओं को लेकर पिछले कुछ दिनों से सर्वोच्च न्यायालय, यूजीसी और याचिकाकर्ताओं के बीच कहासुनी चल रही है। लेकिन विद्यार्थी और कुछ अभिभावक चाहते हैं कि परीक्षा करवाए बिना ही अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को पास कर दिया जाए। इस पर यूजीसी का कहना है कि बिना परीक्षा करवाए पास करना स्टूडेंट के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना है। इससे विद्यार्थियों को ही नुकसान होगा। अंतिम वर्ष की परीक्षाएं ना करवाई जाए इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाकर्ताओं के द्वारा याचिकाएं दायर की गई है। परंतु यूजीसी ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए हमेशा से ही परीक्षा करवाने पर जोर दिया है। यूजीसी ने 14 अगस्त यानी आज की सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए सितंबर के अंत तक परीक्षाएं करवाने के लिए निर्देश दिए हैं। परंतु सर्वोच्च न्यायालय ने कोई अंतिम निर्णय ना लते हुए 18 अगस्त तक सुनवाई को टाल दिया है। अब अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी। भारत भर के 755 विश्वविद्यालयों में से 366 विश्वविद्यालय यूजीसी द्वारा जारी संशोधित दिशा निर्देशों के अनुसार सितंबर में परीक्षाएं आयोजित करवाने की योजना बना रहे हैं। साथ ही यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने कहा है कि हेल्थ मिनिस्ट्री के दिशा निर्देशों को मद्देनजर रखते हुए ही परीक्षा करवाई जाएगी। फिलहाल भारत में अनलॉक 3 के तहत जारी नई गाइडलाइन्स में 31 अगस्त तक स्कूल-कॉलेज खुलने पर प्रतिबंध है।
याचिकाकर्ता का यात्रा को लेकर प्रश्न
परीक्षा में शामिल होने वाले विद्यार्थियों को दूर दराज के स्थानों की यात्रा करके शिक्षा संस्थानों पर पहुंचना होता है। कोरोना महामारी के समय में यात्रा करना विद्यार्थियों के लिए खतरे से खाली नहीं है और ना ही उनके रहने खाने की कोई व्यवस्था मौजूद है। यातायात परिवहन भी कई क्षेत्रों में बंद है इसलिए शिक्षा संस्थानों तक पहुंचना जोखिम से भरा कार्य हैं।
यूजीसी के दिशा निर्देश
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने शुरुआत से ही परीक्षाएं करवाने के लिए कहा है। यूजीसी का कहना है कि बिना परीक्षा के छात्रों को डिग्री नहीं दी जाएगी, यह छात्रों के शैक्षणिक भविष्य को प्रभावित करेगा और नई शिक्षा नीति को मध्य नजर रखते हुए बिना परीक्षा उपाधि देना अनिवार्य नहीं है।
14 अगस्त की सुनवाई
आज की सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रस्तुत प्रश्न को संबोधित करते हुए डॉ एएम. सिंघवी ने कहा कि यूजीसी दिशा निर्देश से मनमानी के पहलू के तहत अनुच्छेद 14 का उल्लंघन कर रही है। साथ ही सिंघवी ने विद्यार्थियों के भविष्य और स्वास्थ्य को मध्य नजर रखते हुए राइट टू लाइफ और आपदा प्रबंधन अधिनियम तक की बात कही। परंतु यूजीसी अभी भी अपने परीक्षाएं करवाने के निर्णय पर अटल है।
कोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगते हुए यूजीसी से पूछा था कि क्या दिशानिर्देश आपदा प्रबंधन अधिनियम की अधिसूचना के तहत हैं?
गुरुवार को दायर किये गए यूजीसी के हलफ़नामे में कहा गया है कि परीक्षा कराने का फ़ैसला मानव संसाधन विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 10 (2) (1) के तहत जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं।
10 अगस्त की सुनवाई
10 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय में हुई सुनवाई में यूजीसी ने दिल्ली और महाराष्ट्र राज्य के अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करवाने के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा था कि एक और महाराष्ट्र सरकार छात्रों के हित के लिए शैक्षणिक सत्र शुरू करवाने पर जोर दे रही है, वहीं दूसरी ओर अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द करवाने और बिना परीक्षा उपाधि देने की बात कर रही है। इससे सरकार विद्यार्थियों के शैक्षणिक भविष्य को क्षति पहुंचा रही है।
याचिकाकर्ताओं की दलील
1. छात्रों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि जब शिक्षा संस्थान बंद हुए थे उस समय सिलेबस पूर्ण रूप से पूरा नहीं हुआ था। उसके बाद विश्वविधालय और विद्यालयों के द्वारा कई बार ऑनलाइन कक्षाएं भी ली गई परंतु सभी विद्यार्थी इस ऑनलाइन कक्षा में भाग नहीं ले सके। इसलिए उनका सिलेबस पूर्ण रूप से पूरा नहीं हुआ, जिसके कारण विद्यार्थियों को ऑनलाइन या ऑफलाइन परीक्षा देने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
2. दूसरा विद्यार्थियों का कहना है कि ऑनलाइन परीक्षा देने में उनको बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, एक तो उनके पास पूर्ण रूप से नेटवर्क उपलब्ध नहीं है। कई छात्रों के पास मोबाइल फ़ोन ही नहीं हैं जिसके माध्यम से ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले सके।
3. जुलाई के अंत माह में यूजीसी ने भी कहा था कि ऑनलाइन एग्जाम लेना हमारे लिए अभी पॉसिबल नहीं है। यूजीसी ने कहा था कि भविष्य में हम ऑनलाइन एग्जाम या ऑफलाइन एग्जाम के लिए एक पैटर्न तैयार करेंगे जो अभी तक तैयार भी नहीं हुआ है। छात्रों का कहना है कि जब यूजीसी के पास है एग्जाम पैटर्न नहीं है तो वह हमारी परीक्षा कैसे और कब लेगा।
4. एक तरफ रेल सेवा और यातायात परिवहन बंद हैं, तो सभी छात्र कैसे अपनी शिक्षा संस्थानों तक पहुंच पाएंगे और कैसे अपनी परीक्षा दे पाएंगे। दूसरा अनलॉक 3 के गाइडलाइंस के अनुसार सभी शिक्षा संस्थान 31 अगस्त तक बंद है।