गौचर भूमि में नियमों को ताक पर रखकर डाला जा रहा कूड़ा

माननीय उच्च न्यायालय में भी मामला अभी भी विचाराधीन

फतह सिंह उजाला
पटौदी।
 विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 संक्रमण से जंग में जूझ रहे इलाके के लोगों को अब अन्य बिमारियां फैलने का डर सताने लगा है ।यह डर नगर पालिका प्रशासन द्वारा चांदनगर रोड़ पर स्थित गौचर भूमि में नियमों को ताक पर रखकर डाले जा रहे कूड़े के साथ सड़ते मृत मवेशी ,कांच का बेहिसाब सामान ,प्लास्टिक,फ्लोरेसेंट ट्यूब,ब्लेड,इस्तेमाल किए गए डिस्पोजेबल मास्क के अलावा बायोमैडीकल वैस्ट से बढ रहा है ।

गौचर भूमि में कूड़ा निस्तारण को लेकर कुछ बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों के अलावा कस्बे के जागरूक नागारिकों पूनम राव एडवोकेट,पूर्व पार्षद नीरू शर्मा ,जयमगवान नम्बरदार,  उमेश चैहान ,राव रामनिवास निर्बाण,सोनस शर्मा,जेपी यादव एडवोकेट,ऋषिकुमार ,पवन यादव , आदि का आरोप है कि गौचर भूमि में कूड़ा नियमों को ताक पर रखकर डाला जा रहा है।
एनजीटी और एसडब्ल्यूएम रुल्स 2016की पूर्णतः अनदेखी की जा रही है।नपा प्रशासन ने आज तक चारागाह में कूड़ा डालने बाबत प्रोजैक्ट का क्लीयरेंस  पत्र  नहीं लिया है और न ही पर्यावरण विभाग से अनुमति ली गई है ।इससे गौवंश सहित पशुओ की जान को खतरा तो बढ ही रहा है ,बरसात में किटाणु,मक्खी,मच्छरो व वायरस से इंफैक्सन का खतरा बढ रहा है । पहले ही कोरोना महामारी का भय सता रहा है। अगर इसी प्रकार लापरवाही और नियम कानूनों की धज्जियां उडती रही मौसमी बिमारियां बढने के साथ साथ कोरोना बढने की आशंका बढ सकती है । इससे पर्यावरण सन्तुलन बिगड सकता है ।जहाँ देश में जीरो वैस्ट के कदम की ओर बढत है,वहीं यहाँ मवेशियों और मानव जीवन के स्वास्थ्य से खिलवाड किया जा रहा है ।गौचर भूमि में कूडा डालना गलत है, इस बाबत माननीय उच्च न्यायालय में भी मामला विचाराधीन है।यहाँ यह बताना भी जरूरी  है कि नपा प्रशासन पहले कई बार मान चुकी है कि इस गौचर भूमि को अन्य कार्यो के लिए प्रयोग में नहीं लाया जा सकता।

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