100 ग्राम हल्दी पाउडर के चलते काटे 38 साल कोर्ट के चक्कर।

मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
अदालतों में जजों की कमी व लचर कानून व्यवस्था के चलते लाखों केस लंबित पड़े हैं। अदालतों के चक्कर लगाते लगाते लोग बूढें हो जाते हैं लेकिन हरियाणा के प्रेमचंद ने कभी नही सोचा था की 100 ग्राम हल्दी पाउडर उसे 38 साल अदालतों के चक्कर लगवाने पर मजबूर कर देगा। प्रेमचंद को खुद को निर्दोष साबित करने में 38 साल लग गए।

हल्दी पाउडर में मिलावट के आरोप में केस हुआ था।

हरियाणा के प्रेमचंद की परचून की दुकान थी। सुबह 11 बजे एक शख्स प्रेमचंद से 100 ग्राम हल्दी पाउडर लेकर गया लेकिन उसे नही पता था कि वो शख्स खाद्य विभाग में हक़ीम है। 100 ग्राम हल्दी पाउडर की जांच हुई, विभाग ने 10 किलो हल्दी पाउडर जब्त किया। खाद्य विभाग ने हल्दी पाउडर में कीड़े होने का आरोप लगा प्रेमचंद पर खाद्य पदार्थों में मिलावट का मुकद्दमा दर्ज़ करवाया।

निचली अदालत में चला 14 साल मुकद्दमा।

खाद्य विभाग ने जब्त हल्दी पाउडर में कीड़े होने का आरोप लगा निचली अदालत में 18 अगस्त 1982 को प्रेमचंद के ख़िलाफ़ मुकद्दमा दर्ज़ करवाया। निचली अदालत में मुकद्दमा 14 साल चला। खाद्य विभाग ये साबित नही कर पाया कि सैम्पल उठाने के 18 दिन बाद लैबोरेटरी में पहुंचने से पहले सैम्पल के साथ छेड़छाड़ नही हुई। 14 साल बाद 1998 में प्रेमचंद को अदालत ने निर्दोष साबित करार दिया। इसके बाद सरकार ने पंजाब व हरियाणा हाइकोर्ट में केस दायर किया। हाइकोर्ट ने 11 साल बाद 9 दिसम्बर 2009 को प्रेमचंद को दोषी क़रार देते हुए 6 महीने का कारावास व 2 हज़ार रुपये जुर्माना लगाया।

सुप्रीम कोर्ट में लगे साढ़े नौ साल।

प्रेमचंद ने देश की सर्वोच्च अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट में भी खाद्य विभाग ये साबित नही कर पाया की हल्दी पाउडर के साथ लेबोरेटरी में पहुंचने से पहले छेड़छाड़ नही हुई थी। पब्लिक एनलिस्ट ने भी जिक्र नही किया की हल्दी में कीड़े होने के वजह से वह इंसानों के उपयोग के लिए सुरक्षित नही थी। अदालत में जिरह के दौरान विभाग ये साबित ही नही कर पाया कि हल्दी पाउडर में कीड़े थे या नही। 

जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस कृष्नमुरारी की बैंच ने प्रेमचंद के पक्ष में फ़ैसला सुनाते हुए उसे निर्दोष क़रार दिया सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसले सुनाने में क़रीब साढ़े नौ साल लगा दिए। तब जाकर प्रेमचंद को बुढ़ापे में चैन आया। ख़ैर प्रेमचंद को बुढ़ापे में ये तसल्ली मिली होगी कि उसके बेटों को जिंदगी भर ये ताने नही सुनने उनके पिता ने हल्दी में मिलावट के चलते जेल की हवा खाई थी।
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