शिवचरण/पटौदी ! आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता, प्रवक्ता एवं पूर्व प्रत्याशी पटौदी विधानसभा सुखबीर तंवर ने केंद्र सरकार दुवारा प्रस्तुत 45 लाख करोड़ के बजट अनुमानों को डॉलर के मुकाबले निरंतर गिरते हुए भारतीय रुपया के परिप्रेक्ष्य में आंकड़ो और शब्दों की बाजीगरी परिभाषित किया है। राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए कोई व्यावहारिक रणनीति प्रस्तुत नही की गई। आयकर व्यवस्था में कोई बदलाव नही किया गया। आयकर की सीमा  5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख करना ऊंट के मुँह में जीरा समान है। वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को बचाने वाले एकमात्र क्षेत्र "कृषि" के बजट में कमी अत्यंत निराशाजनक और आत्मघाती कदम है। मनरेगा के बजट में 30% कटौती गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम पर एक निकृष्टतम प्रहार है।

 राष्ट्र के प्रगतिशील फार्मास्युटिकल उद्योग और निर्यात के बावजूद जीवन रक्षक दवाइयों और उपकरणों के निरंतर बढ़ते दाम चिंता का सबब है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अनुसार 2022 तक  सभी को घर देने का वायदा अपेक्षित सफलता प्राप्त नही कर पाया। वैश्विक पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत इलेक्ट्रिक वाहन प्रोधोगिकी में अपेक्षित निवेश नही किया जाना भविष्य की योजनाओं पर कुठाराघात है। शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, जनसंख्या नियंत्रण, नारी सशक्तिकरण को अपेक्षित अधिमान नही दिया गया है। सभी बुद्धिजीवियों को विगत के 30 वर्षों के विभिन्न सरकारों के कालखंडों के बजट अनुमानों और धरातल की सच्चाई का निष्पक्ष आकलन करना चाहिए। निर्विवाद सच यह है कि विगत करीब 9 वर्षों में मोदी नीत भारतीय जनता पार्टी सरकार दुवारा राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को बर्बाद किया गया है। विभिन्न लाभकारी सरकारी उपक्रमों की बिक्री इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य किसी भी विकसित राष्ट्र का प्राथमिक दायित्व है। वैश्विक सूचकांक में राष्ट्र शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में बेहद पिछड़ा हुआ है।
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