शिवचरण (शिवा)
 गुरुग्राम ! हरित क्रान्ति का सिरमौर रहा हरियाणा प्रदेश अब नील क्रान्ति को पंख लगाने की ओर अग्रसर हो गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में नील क्रान्ति लाने की आवश्यकता बताने के बाद केंद्र सरकार ने एक नई योजना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की घोषणा कर इसकी शुरुआत की है ताकि समुद्री व अन्य जल संपदाओं का देश की अर्थव्यवस्था में सहयोग बढ़े। हरियाणा ने जमीनी स्तर पर नील क्रान्ति को सफल बनाने की शुरुआत सिरसा जिले से झींगा पालन के क्लस्टर प्रदर्शन फ़ार्म व प्रगतिशील झींगा किसानों की कार्यशाला के आयोजन के साथ की है। कार्यशाला में मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने स्वयं  सिरसा जिले के किसानों की खारे पानी से झींगा पालन व्यवसाय आरम्भ करने के लिए सराहना की है। 

उल्लेखनीय है कि कृषि एवं किसान कल्याण तथा मत्स्य पालन मंत्री श्री जेपी दलाल ने मुख्यमंत्री  श्री मनोहर लाल की पहल पर प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को प्रदेश में अमलीजामा पहनाने की शुरुआत की है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत वर्ष 2014 -15  में हरियाणा में सफेद झींगा पालन की शुरुआत 70 एकड़ क्षेत्रफल के  साथ की गई थी। इसकी सफलता के बाद करनाल, सोनीपत, फरीदाबाद, गुरुग्राम, मेवात, पलवल, रोहतक, जींद, भिवानी, हिसार, सिरसा, रेवाड़ी, झज्जर, फतेहाबाद तथा चरखी दादरी जिलों  में सफेद झींगा पालन को अमल में लाया गया और इसी कड़ी में वर्ष 2021-22 के दौरान 1250 एकड़ क्षेत्र को झींगा पालन के अधीन लाकर 2900 मीट्रिक टन झींगा का रिकॉर्ड उत्पादन किया गया है। इसके साथ ही मत्स्य विभाग ने वर्ष 2022 -23 के दौरान इसका लक्ष्य दोगुना निर्धारित किया है जिसको पूरा करने के लिए विभाग ने कमर कस ली है और खारे पानी वाले क्षेत्रों में झींगा पालन तथा मीठे पानी वाले अन्य क्षेत्रों में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की योजनाएं तैयार की हैं और किसानों का रुझान भी इसके प्रति बढ़ा है जिसका उदाहरण सिरसा जिले के किसानों में  देखने को मिला।  इसी प्रकार  हरियाणा में वर्ष 2014 में कुल 43 हजार एकड़ में 1 लाख मीट्रिक टन मछली उत्पादन होता था और इस वर्ष यह लक्ष्य बढ़ाकर 54 हजार एकड़ और 2 लाख 10 हजार मीट्रिक टन रखा गया है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से मिला महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा
केंद्रीय प्रायोजित इस योजना के तहत आरम्भ में मिलती है सब्सिडी
सिरसा जिले के  मिठड़ी गांव में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की लाभार्थी श्रीमती वीरपाल कौर ने झींगा पालन आरम्भ किया है। उल्लेखनीय है कि लगभग 18 एकड़ क्षेत्र में 30 तालाबों के साथ 6 अन्य महिलाओं  ने सफेद झींगा का उत्पादन आरम्भ किया गया है इस प्रकार यह योजना महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही है। मत्स्य पालन के लिए महिला, अनुसूचित जाति, जनजाति  लाभार्थिओं को 60 प्रतिशत तथा सामान्य वर्ग के मत्स्य पालक किसानों को 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।  नील क्रांति को हरियाणा में सफल बनाने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केंद्रीय प्रायोजित प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत केंद्र सरकार से आने वाली सब्सिडी में अगर देरी होती है तो मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने घोषणा की है कि यह सब्सिडी समय पर हरियाणा सरकार एडवांस में देगी ताकि मछली पालकों को व्यवसाय आरंभ करने में किसी प्रकार की कठिनाई ना हो।  
मछली पालन से होती है अतिरिक्त आय
कृषि प्रधान राज्य होने के साथ -साथ औद्योगिक विकास से भी देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाला हरियाणा अब मत्स्य संपदा के माध्यम से भी सहयोग देगा। नील क्रान्ति  की शुरुआत के साथ इसके संकेत राज्य ने दिए हैं। मत्स्य व्यवसाय से साल में दो बार उत्पादन किया जाता है। 125 से 150 दिनों में उत्पादन बिक्री के लिए तैयार हो जाता है।  एक हेक्टेयर में लगभग 6 टन झींगा मछली का उत्पादन होता है तथा बाजार में इसका भाव 380 रूपए प्रति किलो से अधिक रहता है। झींगा उत्पाद 7  प्लास्टिक ड्रम्स के माध्यम से स्मॉल बायोफलोक यूनिट से भी होता है।  एक टैंक में लगभग 600 किलोग्राम झींगा तैयार हो जाता है और इस प्रकार 4200  किलोग्राम उत्पाद हो जाता है। बाजार बिक्री में इसका भाव 130 रुपये प्रति किलोग्राम होता है। इसी प्रकार मीठे पानी से तैयार होने वाली मछली का भाव 110  रुपये प्रति किलोग्राम होता है। झींगा पालन से प्रति हेक्टेयर लगभग 13.60  लाख रुपये का मुनाफा, स्मॉल बायोफलोक यूनिट से 5 लाख रुपये तथा मीठे पानी से मत्स्य उत्पादन से प्रति हेक्टेयर 6 लाख रुपये तक का मुनाफा साल में लिया जा सकता है। 
किसान क्रेडिट की तर्ज पर मत्स्य पालकों को भी मिलेगा क्रेडिट कार्ड, फसलों की तरह बीमे का भी लाभ
 मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की पहल पर प्रदेश सरकार किसान क्रेडिट कार्ड की तरह मछली पाल किसानों को भी  क्रेडिट कार्ड की सुविधा उपलब्ध करवा रही है। इसी प्रकार मछली पालन को भी फसल बीमा की तर्ज पर लाभ मिले इसके लिए भी सरकार बैंकों व बीमा कंपनियों से बातचीत कर रही है। इस वर्ष 10 हजार किसानों को मत्स्य पालन से जोड़ने का लक्ष्य लेकर विभाग कार्य कर रहा है।
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