एसटीपी परिसर साइड नहीं डालेंगे मिट्टी, कॉलेज में जाने से पानी रोकने को
एसटीपी का गंदा पानी जाटोली कॉलेज में भरने के मामले को लेकर ठनी
अभी भी जाटोली कॉलेज परिसर में भरा हुआ है मल मूत्र युक्त गंदा पानी
बदलते मौसम में डेंगू मलेरिया को लेकर कॉलेज प्रशासन में बना डर
शिवचरण ( शिवा )
पटौदी । जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा हेली मंडी नगरपालिका इलाके के जाटोली क्षेत्र में राजकीय कालेज जाटोली के बगल में बनाया गया सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट अब विभाग और अधिकारियों के लिए ही जी का जंजाल तथा प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है । यहां से ट्रीटमेंट होने वाले पानी की आगे किसी अन्य स्थान पर निकासी की व्यवस्था नहीं किए जाने के कारण बरसात होने की स्थिति में या फिर बिना बरसात के भी गंदा पानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में ही बनाए कच्चे गहरे तालाबों में ही लबालब भरा रहता है ।
मामूली सी बरसात होते ही यही गंदा पानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से ओवरफ्लो होकर साथ में लगते राजकीय कालेज जाटोली परिसर में दीवार तोड़कर बीते कई महीनों से भरा हुआ है। जिसके कारण कालेज परिसर की दीवार भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है । वहीं दर्जनों पेड़ भी गंदे पानी के कारण मर चुके हैं। सबसे बड़ी समस्या गंदे पानी के कारण फैलने वाली बदबू और मानसून के दौरान डेंगू मलेरिया वायरल जैसी सीजनल बीमारियों का डर कॉलेज प्रशासन के साथ-साथ यहां आने वाले छात्र वर्ग को भयभीत किए हुए हैं । इधर वन विभाग के द्वारा भी गंदे पानी के कारण वृक्ष और पौधों सहित पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के लिए जन स्वास्थ्य विभाग को नोटिस भेजा हुआ है । अब ऐसे में जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को यही बात समझ में नहीं आ रही कि राजकीय कॉलेज जटौली में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के आने वाले पानी को कैसे और किस प्रकार रोका जाए ?
एक बार फिर से सोमवार को जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग पटौदी के अधिकारी राजकीय कालेज जाटोली परिसर में पहुंचे और कॉलेज की दीवार के साथ ही कॉलेज परिसर से ही मिट्टी की खुदाई करके या बाहर से मंगाकर दीवार को सपोर्ट देने के लिए दबाव बनाने का प्रयास किया । कॉलेज के प्रिंसिपल वीरेंद्र सिंह अंतिल के द्वारा जन स्वास्थ्य विभाग की इस बात पर असहमति जाहिर की गई । राजकीय कालेज जाटोली के प्रवक्ता तिलोक सिंह ने भी जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से कहा की सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी जब प्लांट की तरफ से दीवार तोड़कर जाटोली कॉलेज में आ रहा है तो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट परिसर में ही विभाग के द्वारा अपनी अलग से नई और मजबूत दीवार बनाई जाए या फिर प्लांट परिसर में ही मिट्टी डालकर कॉलेज में आने वाले पानी को रोकने की व्यवस्था की जाए। इस बात पर मौके पर पहुंचे जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी का बोलने का लहजा एक प्रकार से दबंगई अंदाज वाला महसूस किया गया। अधिकारी का तर्क था कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की तरफ कॉलेज में गंदा पानी आने से रोकने के लिए मिट्टी नहीं डाली जाएगी ।
इधर ऐसी भी जानकारी मिली है कि जिस प्रकार से अपनी लापरवाही और कोताही का ठीकरा जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग पटौदी के अधिकारी शिक्षा विभाग अथवा कॉलेज प्रशासन के सिर फोड़ना चाह रहे हैं , उसे देखते हुए अब कॉलेज प्रशासन ने भी सख्त रवैया अपनाने का मन बना लिया है । सूत्रों के मुताबिक राजकीय कालेज जाटोली प्रशासन के द्वारा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट परिसर में जन स्वास्थ्य विभाग के द्वारा अपनी अलग से दीवार नहीं बनाए जाने के साथ-साथ कॉलेज परिसर में बीते काफी दिनों से भरे हुए गंदे पानी के कारण दूषित हो रहे पर्यावरण को देखते हुए इस पूरे मामले में हरियाणा के शिक्षा मंत्री और डायरेक्टर जनरल हायर एजुकेशन को अवगत कराते हुए पूरा मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाया जाएगा ।
कॉलेज के शिक्षक और गैर शिक्षक स्टाफ के साथ साथ यहां आने वाले छात्र-छात्राओं का स्वास्थ्य कालेज प्रशासन की पहली प्राथमिकता है । एक तरफ तो अभी कोरोना कोविड-19 जैसी महामारी की तीसरी लहर की आशंका जाहिर की जा रही है , दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन मानसून के दौरान डेंगू मलेरिया व अन्य प्रकार के रोग फैलने से रोकने के लिए अभियान चलाते हुए जहां-जहां भी गंदा पानी भरा है वहां नियमानुसार कानूनी कार्रवाई भी कर रहा है । ऐसे में यदि कॉलेज परिसर में किसी उच्च स्वास्थ्य अधिकारी का आगमन हो तो कॉलेज प्रशासन के लिए विभिन्न प्रकार की परेशानियों का कारण भी बन सकता है। कथित रूप से वही अब भविष्य में जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को राजकीय कालेज जाटोली परिसर में भरे गंदे पानी के मामले को लेकर शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की इजाजत के बिना प्रवेश करने की भी अनुमति नहीं दी जाएगी। अब ऐसे में देखना यही है कि जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग पटौदी अपने लिए जी का जंजाल बने जाटोली कालेज परिसर में भरे हुए गंदे पानी को किस प्रकार से और किस तकनीक की बदौलत बाहर निकालने में कामयाब रहेगा ।
एसटीपी का गंदा पानी जाटोली कॉलेज में भरने के मामले को लेकर ठनी
अभी भी जाटोली कॉलेज परिसर में भरा हुआ है मल मूत्र युक्त गंदा पानी
बदलते मौसम में डेंगू मलेरिया को लेकर कॉलेज प्रशासन में बना डर
शिवचरण ( शिवा )
पटौदी । जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा हेली मंडी नगरपालिका इलाके के जाटोली क्षेत्र में राजकीय कालेज जाटोली के बगल में बनाया गया सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट अब विभाग और अधिकारियों के लिए ही जी का जंजाल तथा प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है । यहां से ट्रीटमेंट होने वाले पानी की आगे किसी अन्य स्थान पर निकासी की व्यवस्था नहीं किए जाने के कारण बरसात होने की स्थिति में या फिर बिना बरसात के भी गंदा पानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में ही बनाए कच्चे गहरे तालाबों में ही लबालब भरा रहता है ।
मामूली सी बरसात होते ही यही गंदा पानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से ओवरफ्लो होकर साथ में लगते राजकीय कालेज जाटोली परिसर में दीवार तोड़कर बीते कई महीनों से भरा हुआ है। जिसके कारण कालेज परिसर की दीवार भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है । वहीं दर्जनों पेड़ भी गंदे पानी के कारण मर चुके हैं। सबसे बड़ी समस्या गंदे पानी के कारण फैलने वाली बदबू और मानसून के दौरान डेंगू मलेरिया वायरल जैसी सीजनल बीमारियों का डर कॉलेज प्रशासन के साथ-साथ यहां आने वाले छात्र वर्ग को भयभीत किए हुए हैं । इधर वन विभाग के द्वारा भी गंदे पानी के कारण वृक्ष और पौधों सहित पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के लिए जन स्वास्थ्य विभाग को नोटिस भेजा हुआ है । अब ऐसे में जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को यही बात समझ में नहीं आ रही कि राजकीय कॉलेज जटौली में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के आने वाले पानी को कैसे और किस प्रकार रोका जाए ?
एक बार फिर से सोमवार को जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग पटौदी के अधिकारी राजकीय कालेज जाटोली परिसर में पहुंचे और कॉलेज की दीवार के साथ ही कॉलेज परिसर से ही मिट्टी की खुदाई करके या बाहर से मंगाकर दीवार को सपोर्ट देने के लिए दबाव बनाने का प्रयास किया । कॉलेज के प्रिंसिपल वीरेंद्र सिंह अंतिल के द्वारा जन स्वास्थ्य विभाग की इस बात पर असहमति जाहिर की गई । राजकीय कालेज जाटोली के प्रवक्ता तिलोक सिंह ने भी जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से कहा की सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी जब प्लांट की तरफ से दीवार तोड़कर जाटोली कॉलेज में आ रहा है तो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट परिसर में ही विभाग के द्वारा अपनी अलग से नई और मजबूत दीवार बनाई जाए या फिर प्लांट परिसर में ही मिट्टी डालकर कॉलेज में आने वाले पानी को रोकने की व्यवस्था की जाए। इस बात पर मौके पर पहुंचे जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी का बोलने का लहजा एक प्रकार से दबंगई अंदाज वाला महसूस किया गया। अधिकारी का तर्क था कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की तरफ कॉलेज में गंदा पानी आने से रोकने के लिए मिट्टी नहीं डाली जाएगी ।
इधर ऐसी भी जानकारी मिली है कि जिस प्रकार से अपनी लापरवाही और कोताही का ठीकरा जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग पटौदी के अधिकारी शिक्षा विभाग अथवा कॉलेज प्रशासन के सिर फोड़ना चाह रहे हैं , उसे देखते हुए अब कॉलेज प्रशासन ने भी सख्त रवैया अपनाने का मन बना लिया है । सूत्रों के मुताबिक राजकीय कालेज जाटोली प्रशासन के द्वारा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट परिसर में जन स्वास्थ्य विभाग के द्वारा अपनी अलग से दीवार नहीं बनाए जाने के साथ-साथ कॉलेज परिसर में बीते काफी दिनों से भरे हुए गंदे पानी के कारण दूषित हो रहे पर्यावरण को देखते हुए इस पूरे मामले में हरियाणा के शिक्षा मंत्री और डायरेक्टर जनरल हायर एजुकेशन को अवगत कराते हुए पूरा मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाया जाएगा ।
कॉलेज के शिक्षक और गैर शिक्षक स्टाफ के साथ साथ यहां आने वाले छात्र-छात्राओं का स्वास्थ्य कालेज प्रशासन की पहली प्राथमिकता है । एक तरफ तो अभी कोरोना कोविड-19 जैसी महामारी की तीसरी लहर की आशंका जाहिर की जा रही है , दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन मानसून के दौरान डेंगू मलेरिया व अन्य प्रकार के रोग फैलने से रोकने के लिए अभियान चलाते हुए जहां-जहां भी गंदा पानी भरा है वहां नियमानुसार कानूनी कार्रवाई भी कर रहा है । ऐसे में यदि कॉलेज परिसर में किसी उच्च स्वास्थ्य अधिकारी का आगमन हो तो कॉलेज प्रशासन के लिए विभिन्न प्रकार की परेशानियों का कारण भी बन सकता है। कथित रूप से वही अब भविष्य में जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को राजकीय कालेज जाटोली परिसर में भरे गंदे पानी के मामले को लेकर शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की इजाजत के बिना प्रवेश करने की भी अनुमति नहीं दी जाएगी। अब ऐसे में देखना यही है कि जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग पटौदी अपने लिए जी का जंजाल बने जाटोली कालेज परिसर में भरे हुए गंदे पानी को किस प्रकार से और किस तकनीक की बदौलत बाहर निकालने में कामयाब रहेगा ।