2018 में पीएम मोदी ने बढ़ाए 15 सो रुपए आज तक नहीं मिले

वर्कर और हेल्पर को मार्च माह के बाद से नहीं मिला है वेतनमन

स्वास्थ्य के प्रतिकुल घटिया क्वालिटी का दिया जा रहा पोषाहार

सीडीपीओ के माध्यम से सीएम खट्टर के नाम सौंपा गया ज्ञापन

शिवकरण ( शिवा )
पटौदी ।
 पटौदी ब्लॉक की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने सीधा और खरा सवाल दागा है कि उन्हें यह जानकारी दी जाए वह सरकारी या फिर गैर सरकारी कर्मचारी है ? वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा 15 सौ रूपए बढ़ाए गए थे, जो कि आज तक नहीं मिले हैं। इसी प्रकार से मार्च माह से लेकर अब तक वेतन भी नहीं मिला है । इसके साथ साथ केंद्र सरकार के द्वारा जारी भत्ता भी 8 महीने से उन्हें भुगतान नहीं किया गया है । इन्हीं सब मुद्दों को लेकर पटौदी क्षेत्र की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक डेडा वाला मंदिर परिसर में सुनीता यादव की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस बैठक में मुख्य रूप से कमलेश, निर्मला, कीर्ति, राजेश, मीरा देवी, नीलम, कमला, सुमित्रा, मंजू वाला, गीता देवी , सुशीला संतोष सहित करीब 200 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मौजूद रही । बैठक में अपनी अपनी मांग और बातें सहित समस्याएं रखी जाने के बाद में पटौदी सीडीपीओ के माध्यम से हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा गया।
बैठक में मुद्दा उठाया गया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा वितरण के लिए सरकार के माध्यम से जो पोषाहार उपलब्ध करवाया जा रहा है ,  उसकी गुणवत्ता पर भी गंभीर सवाल उठाए गए । इनका आरोप है कि जो भी पोषाहार उपलब्ध करवाया जा रहा है वह कम मात्रा में और अच्छी गुणवत्ता का नहीं है। जिससे कि यह पोषाहार स्वास्थ्य के लिहाज से बिल्कुल भी सही नहीं है । जो भी रेसिपी की समय सारणी है, उसके मुताबिक राशन समय पर मिलता ही नहीं है। बैठक में सुनीता यादव , कमलेश , निर्मला , कीर्ति के द्वारा कई मुद्दों पर बेबाकी के साथ में अपनी बात रखी गई । इनका कहना है कि जो भी आंगनवाड़ी केंद्र किराए के भवन में चल रहे हैं उनका किराए का भुगतान नहीं किया जा रहा । आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को अपनी जेब से भुगतान करना पड़ रहा है । सबसे महत्वपूर्ण बात है राशन की सप्लाई समय पर नहीं की जा रही है । जो भी वितरण का राशन है वह आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को ऑफिस से अपने खर्चे पर ले जाना पड़ रहा है , इस काम में जो भी किराया का खर्च होता है उसका भी भुगतान नहीं किया जा रहा है।
अनेक आंगनवाड़ी केंद्र ऐसे हैं जहां ने तो बिजली की व्यवस्था है और नहीं पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध है । जब सरकारी सिस्टम से वितरण के लिए पूरी मात्रा में पोषाहार नहीं मिलता है , ऐसे हालात में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के खिलाफ आरटीआई लगाकर जवाब मांगा जाता है । जबकि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के मरध्यम ये सरकार अथवा प्रशासन के द्वारा सामग्री, पोषाहार जितनी मात्रा में उपलब्ध हो रहा है उसे बिना किसी भेदभाव के लोगों तक उपलब्ध करवाया जा रहा है । आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की इस महत्वपूर्ण बैठक में जो सबसे बड़ी परेशानी इनके द्वारा बताई गई वह मोबाइल फोन पर ऐप डाउनलोड करके उसमें जो भी फॉर्मेट दिए गए हैं उनके मुताबिक काम करके जानकारी उच्चाधिकारियों तक पहुंचाना है । बैठक में मौजूद अनेक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा बताया गया कि सभी के पास महंगे आधुनिक और नए फीचर वाले मोबाइल फोन नहीं है । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक्सेल या अन्य फॉर्मेट में काम करने का कोई भी अनुभव नहीं है और ना ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता इतनी अधिक पढ़ी-लिखी हैं कि ऐप में दिए गए फॉर्मेट के मुताबिक वह काम कर सके । इन सभी की मांग है कि उनका जो भी कार्य है वह ऑफलाइन या फिर लिखित में पारंपरिक तरीके से ही करवाया जाए । मोबाइल फोन पर ऑनलाइन काम करने के लिए सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर अनावश्यक दबाव डाला जा रहा है । मार्च 2021 से वेतन मोबाइल ऐप पर डाटा अपलोड होने के बाद ही भुगतान किया जाएगा । एक-एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 3-3 सेंटर पर दौड़ लगाकर काम करना पड़ रहा है । इसकी एवज में किसी भी प्रकार के भत्ते का भुगतान भी नहीं किया जाता ।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मुताबिक आरंभ में उन्हें केवल मात्र विभिन्न प्रकार के छह कार्य करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी । लेकिन अब आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर परिवार पहचान पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड, इलेक्शन में ड्यूटी, विभिन्न प्रकार के सर्वे, गर्भवती महिलाओं का डाटा सहित अन्य कार्य करने के लिए भी धमकियां दी जाने लगी है । जो भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता इस प्रकार के कार्य को करने में असमर्थता जाहिर करती हैं उनको रिजाइन करने के लिए दबाव बना बना कर धमकाया भी जाता है । बैठक में मौजूद आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने दो टूक शब्दों में कहा जो भी कार्य उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है , उन कार्यों को करने अथवा करवाने के लिए स्थानीय अधिकारी विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित करते आ रहे हैं । आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नई भर्तियां भी बीते कई वर्षों से नहीं की जा रही है और काम का बोझ निरंतर बढ़ाया जा रहा है । सीएम मनोहर लाल खट्टर के नाम सौंपे ज्ञापन में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा मांग की गई है कि सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सरकारी कर्मचारी घोषित करते हुए उसी प्रकार से सरकारी सुविधाएं ,वेतनमान, भत्ते इत्यादि उपलब्ध करवाए जाएं । उनकी मांगों पर जल्द ही सरकार के द्वारा गंभीरता से विचार करते हुए कोई भी ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूर होंगी।
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