अल्ट्रासाउंड के लिए सबसे अधिक परेशान होती हैं गर्भवती महिलाएं
गर्भ काल से लेकर प्रसव तक दो बार अल्ट्रासाउंड की जरूरत
अन्य रोगों की पहचान के लिए भी अल्ट्रासाउंड बना जरूरत
पटौदी अस्पताल की अल्ट्रासाउंड कहीं और जाने की चर्चा
शिवचरण
पटौदी । साइबर सिटी गुरुग्राम और अहीरवाल के लंदन रेवाड़ी के बीच में विशेष रुप से कोरोना कोविड-19 जैसी महामारी के दौरान पटौदी नागरिक स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में पूरे हरियाणा में चर्चा के साथ एक अलग पहचान बना चुका है । कोरोनाकाल में भी यहां सामान्य और सिजेरियन डिलीवरी का कार्य जारी ही रहा। लेकिन जिस प्रकार की सुविधाओं की यहां पर रोगियों की संख्या को देखते हुए जरूरत महसूस की जा रही है, उनका जबरदस्त अभाव बना हुआ है ।
पटौदी नागरिक अस्पताल को आज के समय में सबसे अधिक जरूरत अल्ट्रासाउंड मशीन की है । बेशक से यह बात पढ़ने वालों को अजीब और अटपटी लगे , लेकिन 24 कैरेट सोने जैसी यह खरी बात है कि पटौदी नागरिक अस्पताल को तत्काल अल्ट्रासाउंड मशीन की जरूरत बनी हुई है। कथित रूप से पटौदी नागरिक अस्पताल के लिए डोनेट की गई अल्ट्रासाउंड मशीन जिला में ही किसी अन्य अस्पताल में भेज दिए जाने की या फिर मंगवा लिए जाने की अंदर खाने चर्चा भी बनी हुई है । अब यह तो जिला स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन और वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ही बेहतर तरीके से जानते होंगे कि आखिर पटौदी नागरिक अस्पताल में पहुंची अल्ट्रासाउंड मशीन किस प्रकार से किसी अन्य अस्पताल में चली गई या फिर मंगवा ली गई ?
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पटौदी नागरिक अस्पताल में सबसे अधिक जरूरत अल्ट्रासाउंड की गर्भवती महिलाओं के लिए महसूस की जा रही है । स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक पटौदी नागरिक अस्पताल में प्रतिमाह औसतन सामान्य और सिजेरियन 70-80 डिलीवरी अथवा प्रसव हो रहे हैं। विभाग के सूत्रों की माने तो गर्भ काल से लेकर प्रसव काल तक गर्भवती महिला का उपचार करने वाले चिकित्सक के लिए गर्भस्थ शिशु की स्थिति को जानने के वास्ते कम से कम 2 बार अल्ट्रासाउंड करवाना आवश्यक बना हुआ है । वैसे तो गर्भकाल से लेकर प्रसव काल तक तीन बार अल्ट्रासाउंड होना बताया गया है। लेकिन इसके लिए उपचार करने वाले महिला रोग विशेषज्ञ की रिकमेंडेशन बहुत जरूरी है । ऐसे में स्वयं ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब औसतन 70 से 80 के बीच में पटौदी नागरिक अस्पताल में प्रति माह सामान्य प्रसव से लेकर सिजेरियन प्रसव कराए जा रहे हैं , तो कई बार प्रसव काल से तुरंत पहले भी गर्भस्थ शिशु की स्थिति को जानने के लिए अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ जाती है । औसतन 70-80 प्रसव पटौदी नागरिक अस्पताल में प्रतिमाह हो रहे हैं, तो इसका सीधा सा गणित है केवल गर्भवती महिलाओं के ही औसतन ढाई सौ से अधिक अल्ट्रासाउंड की जरूरत प्रति महिला बनी हुई है । गर्भवती महिलाओं के अतिरिक्त अन्य रोगों के पीड़ित भी यहां उपचार के लिए आते हैं और उन्हें भी अल्ट्रासाउंड कि अक्सर जरूरत पड़ती रहती है।
सूत्रों के मुताबिक कुछ माह पहले स्वयंसेवी संस्थाओं के द्वारा पटौदी नागरिक अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन उपलब्ध करवाने की इच्छा जाहिर की गई, कथित रूप से इसकी सभी औपचारिकताएं भी पूरी हो चुकी थी। इसी बीच में ऐसा कोई खेला, खेला गया कि पटौदी नागरिक अस्पताल के हिस्से की अल्ट्रासाउंड मशीन गुपचुप तरीके से जिला मुख्यालय के एक अस्पताल में मंगवा ली गई । इस पूरे मामले में पटौदी नागरिक अस्पताल प्रशासन कुछ भी बोलने से बच रहा है ।
हालांकि गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड की सुविधा के लिए दो अल्ट्रासाउंड केंद्र अथवा अस्पताल पैनल पर लिए गए हैं । यहां पर संबंधित डॉक्टर अथवा चिकित्सक की रिकमेंडेशन पर ही गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड किया जाता है और इसका भुगतान सरकार के द्वारा किया जा रहा है । जानकारों का मानना है कि पटौदी नागरिक अस्पताल में ही अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध करवा दी जाए और इसके साथ ही नियमित या फिर आउट सोर्स पर रेडियोलॉजिस्ट की भी नियुक्ति कर दी जाए तो जो भुगतान बाहर अल्ट्रासाउंड केंद्रों को गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए किया जा रहा है, वही पैसा पटौदी नागरिक अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन आने के बाद रेडियोलॉजिस्ट को भुगतान किया जा सकता है। ऐसे में कम से कम एक व्यक्ति को रोजगार भी मिलेगा और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गर्भकाल से लेकर प्रसव काल तक महिलाओं को जरूरत के मुताबिक अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए अन्य किसी अल्ट्रासाउंड केंद्र मैं जाने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा ।
जानकारी तो यहां तक मिली है कि पटौदी नागरिक अस्पताल के पैनल पर ऐसे दो अस्पतालों को लिया गया है जोकि गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं , लेकिन कथित रूप से ऐसे भी मामले सामने आए हैं कि एक अस्पताल जहां अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध है वह कथित रूप से गर्भवती महिलाओं को बरगलाने का प्रयास करते हुए अपने ही अस्पताल में प्रसव कराने के लिए भी पूरी तरह प्रयासरत रहता है । ऐसे में दूसरे अल्ट्रासाउंड केंद्र को ही गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड करवाए जाने के लिए प्राथमिकता दी जा रही है । अब देखना यह है कि पटौदी नागरिक अस्पताल और यहां पर मातृत्व सुख प्राप्त करने के लिए गर्भकाल से लेकर प्रसव समय तक आने वाली गर्भवती महिलाओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन , हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री, हरिया हरियाणा के स्वास्थ्य निदेशक और स्वयं मुख्यमंत्री या फिर क्षेत्र के सांसद और केंद्र में मंत्री कब और कितनी जल्दी इस बात की पहल करेंगे कि पटौदी नागरिक अस्पताल में जल्द से जल्द अल्ट्रासाउंड मशीन के साथ साथ रेडियोलॉजिस्ट की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाए। जिससे कि गरीब और पिछड़े कहे जाने वाले पटौदी देहात के ग्रामीण इलाकों की महिला वर्ग को भरपूर लाभ प्राप्त हो सके।
गर्भ काल से लेकर प्रसव तक दो बार अल्ट्रासाउंड की जरूरत
अन्य रोगों की पहचान के लिए भी अल्ट्रासाउंड बना जरूरत
पटौदी अस्पताल की अल्ट्रासाउंड कहीं और जाने की चर्चा
शिवचरण
पटौदी । साइबर सिटी गुरुग्राम और अहीरवाल के लंदन रेवाड़ी के बीच में विशेष रुप से कोरोना कोविड-19 जैसी महामारी के दौरान पटौदी नागरिक स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में पूरे हरियाणा में चर्चा के साथ एक अलग पहचान बना चुका है । कोरोनाकाल में भी यहां सामान्य और सिजेरियन डिलीवरी का कार्य जारी ही रहा। लेकिन जिस प्रकार की सुविधाओं की यहां पर रोगियों की संख्या को देखते हुए जरूरत महसूस की जा रही है, उनका जबरदस्त अभाव बना हुआ है ।
पटौदी नागरिक अस्पताल को आज के समय में सबसे अधिक जरूरत अल्ट्रासाउंड मशीन की है । बेशक से यह बात पढ़ने वालों को अजीब और अटपटी लगे , लेकिन 24 कैरेट सोने जैसी यह खरी बात है कि पटौदी नागरिक अस्पताल को तत्काल अल्ट्रासाउंड मशीन की जरूरत बनी हुई है। कथित रूप से पटौदी नागरिक अस्पताल के लिए डोनेट की गई अल्ट्रासाउंड मशीन जिला में ही किसी अन्य अस्पताल में भेज दिए जाने की या फिर मंगवा लिए जाने की अंदर खाने चर्चा भी बनी हुई है । अब यह तो जिला स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन और वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ही बेहतर तरीके से जानते होंगे कि आखिर पटौदी नागरिक अस्पताल में पहुंची अल्ट्रासाउंड मशीन किस प्रकार से किसी अन्य अस्पताल में चली गई या फिर मंगवा ली गई ?
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पटौदी नागरिक अस्पताल में सबसे अधिक जरूरत अल्ट्रासाउंड की गर्भवती महिलाओं के लिए महसूस की जा रही है । स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक पटौदी नागरिक अस्पताल में प्रतिमाह औसतन सामान्य और सिजेरियन 70-80 डिलीवरी अथवा प्रसव हो रहे हैं। विभाग के सूत्रों की माने तो गर्भ काल से लेकर प्रसव काल तक गर्भवती महिला का उपचार करने वाले चिकित्सक के लिए गर्भस्थ शिशु की स्थिति को जानने के वास्ते कम से कम 2 बार अल्ट्रासाउंड करवाना आवश्यक बना हुआ है । वैसे तो गर्भकाल से लेकर प्रसव काल तक तीन बार अल्ट्रासाउंड होना बताया गया है। लेकिन इसके लिए उपचार करने वाले महिला रोग विशेषज्ञ की रिकमेंडेशन बहुत जरूरी है । ऐसे में स्वयं ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब औसतन 70 से 80 के बीच में पटौदी नागरिक अस्पताल में प्रति माह सामान्य प्रसव से लेकर सिजेरियन प्रसव कराए जा रहे हैं , तो कई बार प्रसव काल से तुरंत पहले भी गर्भस्थ शिशु की स्थिति को जानने के लिए अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ जाती है । औसतन 70-80 प्रसव पटौदी नागरिक अस्पताल में प्रतिमाह हो रहे हैं, तो इसका सीधा सा गणित है केवल गर्भवती महिलाओं के ही औसतन ढाई सौ से अधिक अल्ट्रासाउंड की जरूरत प्रति महिला बनी हुई है । गर्भवती महिलाओं के अतिरिक्त अन्य रोगों के पीड़ित भी यहां उपचार के लिए आते हैं और उन्हें भी अल्ट्रासाउंड कि अक्सर जरूरत पड़ती रहती है।
सूत्रों के मुताबिक कुछ माह पहले स्वयंसेवी संस्थाओं के द्वारा पटौदी नागरिक अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन उपलब्ध करवाने की इच्छा जाहिर की गई, कथित रूप से इसकी सभी औपचारिकताएं भी पूरी हो चुकी थी। इसी बीच में ऐसा कोई खेला, खेला गया कि पटौदी नागरिक अस्पताल के हिस्से की अल्ट्रासाउंड मशीन गुपचुप तरीके से जिला मुख्यालय के एक अस्पताल में मंगवा ली गई । इस पूरे मामले में पटौदी नागरिक अस्पताल प्रशासन कुछ भी बोलने से बच रहा है ।
हालांकि गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड की सुविधा के लिए दो अल्ट्रासाउंड केंद्र अथवा अस्पताल पैनल पर लिए गए हैं । यहां पर संबंधित डॉक्टर अथवा चिकित्सक की रिकमेंडेशन पर ही गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड किया जाता है और इसका भुगतान सरकार के द्वारा किया जा रहा है । जानकारों का मानना है कि पटौदी नागरिक अस्पताल में ही अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध करवा दी जाए और इसके साथ ही नियमित या फिर आउट सोर्स पर रेडियोलॉजिस्ट की भी नियुक्ति कर दी जाए तो जो भुगतान बाहर अल्ट्रासाउंड केंद्रों को गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए किया जा रहा है, वही पैसा पटौदी नागरिक अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन आने के बाद रेडियोलॉजिस्ट को भुगतान किया जा सकता है। ऐसे में कम से कम एक व्यक्ति को रोजगार भी मिलेगा और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गर्भकाल से लेकर प्रसव काल तक महिलाओं को जरूरत के मुताबिक अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए अन्य किसी अल्ट्रासाउंड केंद्र मैं जाने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा ।
जानकारी तो यहां तक मिली है कि पटौदी नागरिक अस्पताल के पैनल पर ऐसे दो अस्पतालों को लिया गया है जोकि गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं , लेकिन कथित रूप से ऐसे भी मामले सामने आए हैं कि एक अस्पताल जहां अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध है वह कथित रूप से गर्भवती महिलाओं को बरगलाने का प्रयास करते हुए अपने ही अस्पताल में प्रसव कराने के लिए भी पूरी तरह प्रयासरत रहता है । ऐसे में दूसरे अल्ट्रासाउंड केंद्र को ही गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड करवाए जाने के लिए प्राथमिकता दी जा रही है । अब देखना यह है कि पटौदी नागरिक अस्पताल और यहां पर मातृत्व सुख प्राप्त करने के लिए गर्भकाल से लेकर प्रसव समय तक आने वाली गर्भवती महिलाओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन , हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री, हरिया हरियाणा के स्वास्थ्य निदेशक और स्वयं मुख्यमंत्री या फिर क्षेत्र के सांसद और केंद्र में मंत्री कब और कितनी जल्दी इस बात की पहल करेंगे कि पटौदी नागरिक अस्पताल में जल्द से जल्द अल्ट्रासाउंड मशीन के साथ साथ रेडियोलॉजिस्ट की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाए। जिससे कि गरीब और पिछड़े कहे जाने वाले पटौदी देहात के ग्रामीण इलाकों की महिला वर्ग को भरपूर लाभ प्राप्त हो सके।