बोहड़ाकला के कोविड-19 सेंटर मामले में आया नया मोड़

जमीन व्यक्ति विशेष के नाम और अस्पताल ट्रस्ट के द्वारा बनाया गया

ट्रस्ट कोरोना महामारी में पूरी तरह से शासन प्रशासन के साथ


यथा समर्थ आपदा के समय ट्रस्ट ने दिया सहयोग का भरोसा

फतह सिंह उजाला
पटौदी । पटौदी विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े गांव बोहड़ाकला में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर के पीछे बने भव्य और आलीशान अस्पताल जो कि कोरोना संकट के दौरान बीते वर्ष नीलकंठ अस्पताल अथवा नीलकंठ कोविड-19 सेंटर के नाम से प्रचारित किया गया, इस मुद्दे को लेकर पहली बार श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट खुलकर सामने आया है । श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट का कहना है कि कोरोना कोविड-19 जैसी महामारी को देखते हुए ट्रस्ट संबंधित अस्पताल भवन परिसर को जनहित और पीड़ितों के उपचार के लिए शासन प्रशासन सहित सरकार को ओवर हैंड करने के लिए पूरी तरह तैयार है । लेकिन मौजूदा समय में जो यहां पर कोविड-19 सेंटर बनाया जा रहा है उसका नामकरण जय महाकाल कोविड-19 सेंटर के नाम से ही किया जाने के लिए जिला प्रशासन, हरियाणा के मुख्यमंत्री, और स्वास्थ्य मंत्री सहित गृह मंत्री से अनुरोध किया गया है ।

इसी मामले में सूत्रों से मिली जानकारी मुताबिक जिस जमीन पर भव्य आलीशान सर्व सुविधा संपन्न जय महाकाल अस्पताल बनाया गया था, पहले ही दिन से निशुल्क यहां पर सभी लोगों की चिकित्सा सेवा की जा रही थी । इसी कड़ी में सूत्रों का दावा है कि जिस जमीन पर यह भव्य आलीशान अस्पताल का निर्माण किया गया है वास्तव में यह जमीन व्यक्ति विशेष के नाम पर यानी की व्यक्तिगत खरीद की है और इसी जमीन पर श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट का गठन करके जय महाकाल अस्पताल के नाम से भवन का जनहित में निर्माण किया गया । लेकिन किन्ही कारणों से ट्रस्ट के संस्थापक महामंडलेश्वर ज्योति गिरी के अज्ञातवास में चले जाने के बाद कुछ स्वार्थी लोगों के द्वारा इस अस्पताल परिसर और भवन का नाम ही बदल दिया गया , जो की पूरी तरीके से अनैतिक और गैर कानूनी था ।

सूत्रों के मुताबिक श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट के 3 सदस्य बताए गए हैं । , इनमें मुख्य संस्थापक सदस्य है उसके बाद में ट्रस्ट के 2 सदस्यों में एक सचिव और एक अन्य भी शामिल है । सूत्रों के द्वारा उपलब्ध जानकारी के मुताबिक ट्रस्ट के संस्थापक के नहीं रहने पर संबंधित जमीन और अस्पताल भवन का उत्तराधिकार ट्रस्ट के सचिव के पास होगा । इस मामले में ट्रस्ट के सचिव महंत विट्ठल गिरी ने मीडिया के नाम जारी एक लिखित बयान में कहा है कि जय महाकाल अस्पताल पहले ही दिन से निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाता रहा है , यह बात अलग है कि किन्ही कारणों से अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बंद करनी पड़ गई । बीते वर्ष करोना महामारी के दौरान भी इस अस्पताल का आपसी सांठगांठ करके नाम बदलकर शासन प्रशासन को अंधेरे में रखते हुए कथित रूप से पैसा ऐंठने का प्रयास किया गया । इस संदर्भ में तत्कालीन जिला उपायुक्त को लिखित में शिकायत दी जा चुकी है । इतना ही नहीं बीते वर्ष अस्पताल भवन में मौजूद तमाम संसाधनों का इस्तेमाल किया जाने के दौरान उसे क्षतिग्रस्त भी किया गया ऐसे में नुकसान की भरपाई के लिए भी कुछ लोगों के द्वारा कथित फर्जी नाम के अस्पताल की आड़ में रकम वसूली का प्रयास किया गया । इतना ही नहीं यहां पर बिजली की भी लगातार चोरी की जाती रही। इन सब मामलों की जिला प्रशासन को लिखित में शिकायतें दी हुई है ।
श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट के सचिव विट्ठल गिरी महाराज का कहना है कि शासन प्रशासन बोहड़ाकला के इस अस्पताल का नामकरण जय महाकाल अस्पताल कोविड-19 सेंटर के नाम से रख कर जनहित में कोरोना जैसी माहमारी को देखते हुए अपने अधिकार क्षेत्र में लेकर यहां स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाएं । साथ में यह भी अनुरोध किया गया है कि बीते वर्ष जो कुछ भी हुए नुकसान की भरपाई का भुगतान किया जाना है , जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग या फिर राज्य सरकार उस राशि का जय महाकाल कोविड-19 सेंटर में चिकित्सा संसाधन उपलब्ध करवाने में भी अपने विवेका अनुसार खर्च करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है । लेकिन किसी भी व्यक्ति विशेष को श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट के द्वारा निर्माणाधीन और अतीत में संचालित रहे अस्पताल को व्यक्तिगत अस्पताल बताने का नैतिक और कानूनी अधिकार नहीं है। उन्होंने पुनः दोहराया कि ट्रस्ट यथा सामर्थ अपना सहयोग देने के लिए 24 घंटे तैयार है , हालांकि ट्रस्ट की आर्थिक स्थिति इतनी अधिक मजबूत नहीं है कि वह हाथ खोल कर अपना सहयोग देने में सक्षम हो।  श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट और इसके मौजूदा पदाधिकारी कोरोना जैसी महामारी के संकट में पूरी तरह से शासन, प्रशासन और सरकार के साथ में मिलकर काम करने के लिए वचनबद्ध हैं।

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