रोड रोलर और जेसीबी की तलाश के लिए लगातार कसरत जारी
तीन सप्ताह के बाद जांच अधिकारी निकले ऑफिस से बाहर
फतह सिंह उजाला
पटौदी। पटौदी ने अपनी ही किस्म के अनोखे घोटाले की जांच तीन सप्ताह के बाद भी वही की वही ठहरी दिखाई दे रही है । मुख्य मुद्दा यह है कि आखिर मोटरसाइकिल से जोहड़ की खुदाई से लेकर सड़क बनाने का कारनामा किस प्रकार पूरा कर दिया गया ? इतना ही नहीं कई स्थानों पर मिट्टी डालने के बाद मिट्टी को समतल भी मोटरसाइकिल के द्वारा ही किया गया ? इस बात का खुलासा आरटीआई के द्वारा मांगी गई जानकारी और इसके जवाब में दिए गए दस्तावेज से हुआ ।
बीते 13 सितंबर को डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला जिनके पास पंचायत विभाग भी है, उन्हें इस अनोखे घोटाले की शिकायत देकर जांच सहित जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई किए जाने का अनुरोध किया गया था । इसके बाद इस अनोखे घोटाले की जांच की जिम्मेदारी पटौदी के एसडीएम के हवाले कर दी गई । लेकिन हैरानी इस बात की है कि 3 सप्ताह के बाद भी जांच हवा में ही दिखाई दे रही है । जबकि सही मायने में पूरे मामले की जांच बिना किसी देरी के कुछ ही घंटों में कथित रूप से पूरी भी की जा सकती है ।
सूत्रों के मुताबिक इस मामले के जांच अधिकारी एक दिन पहले मौका मुआयना करने के लिए एक सरकारी स्कूल में पहुंचे । वहां पर मौजूद स्कूल के स्टाफ से बातचीत करने के बाद कथित रूप से जांच अधिकारी ने स्कूल स्टाफ से लिखित में संबंधित जांच के विषय में कुछ पुष्टि कराए जाने का प्रयास किया , लेकिन स्कूल स्टाफ के द्वारा इस मामले में असमर्थता जाहिर की गई । अभी तक इस मामले को लेकर जांच अधिकारी के द्वारा तीन बार जांच के लिए पटौदी के खंड विकास एवं पंचायत विभाग को तलब किया जा चुका है । क्योंकि जो भी विकास कार्य हुए और इन विकास कार्यों में आरटीआई के द्वारा जो जानकारी दी गई वह बेहद चैंकाने वाली है कि जिन वाहनों का इस्तेमाल करते हुए भुगतान किया गया वह सब जेसीबी, रोड रोलर या अन्य वाहन ना होकर वास्तव में एक मोटरसाइकिल के रूप में सामने आए हैं । यही सच्चाई सबसे बड़े सवाल सहित एक अबूझ पहेली बनी हुई है और इस पहेली को सुलझाना जांच अधिकारी के लिए टेढ़ी खीर बन गया है ।
कथित रूप से इस घोटाले को उजागर करने वाले पंचायत समिति के ही सदस्य जोकि शिकायतकर्ता भी है, उनको हर बार जांच से अलग रखने का कथित प्रयास किया जाता आ रहा है । एक दिन पहले भी जांच के दौरान वादी को दूर रखने का कथित प्रयास किया गया । सूत्रों की माने तो शिकायतकर्ता को ही जैसे-जैसे इस मामले को खत्म करने के लिए समझाने मनाने के लिए भी विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं । जिस प्रकार से इस जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है , उस समय सीमा को देखते हुए यह जांच कब पूरी होगी कोई दवा भी नहीं किया जा सकता । जबकि डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला के द्वारा संबंधित जांच को 15 दिन में पूरा करके रिपोर्ट तलब करने की बात कही गई थी ।
अभी तक की तीन बार जांच के प्रकरण और प्रक्रिया को देखा जाए तो यही आभास होता है कि शिकायतकर्ता को किसी ना किसी बहाने से कथित रूप से इस मामले में उसका ध्यान भटकाने के लिए ही सारी कसरत की जा रही है । अब देखना यह है की एक दिन पहले मौका मुआयना के लिए पहुंचे जांच अधिकारी को ऐसे क्या तथ्य मौके से मिले कि जिन से वह इस जांच को और आगे बढ़ा सकेंगे ? यहां पर सवाल बेहद महत्वपूर्ण है कि बीजेपी और जेजेपी गठबंधन सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन, जीरो टोलरेंस पॉलिसी के साथ-साथ पारदर्शिता का दंभ भरते हुए भ्रष्टाचार पर लगाम कसने का निरंतर दावा करती आ रही है । इस पूरे प्रकरण में आरटीआई के द्वारा मांगे गए तथ्यों और जवाब में पटौदी के खंड एवं पंचायत विभाग के द्वारा जो दस्तावेज उपलब्ध करवाए गए हैं , वह अपने आप में ही विभाग को ही कटघरे में खड़ा करने के लिए पर्याप्त दिखाई देते हैं । अब यह जांच अधिकारी के विवेक पर निर्भर है कि वह विभाग के द्वारा उपलब्ध करवाए गए सत्यापित दस्तावेजों को सही मानते हैं या फिर शिकायतकर्ता की शिकायत को झूठा ठहराते हैं , यही सबसे बड़ी पहेली बनी हुई दिखाई दे रही है।
तीन सप्ताह के बाद जांच अधिकारी निकले ऑफिस से बाहर
फतह सिंह उजाला
पटौदी। पटौदी ने अपनी ही किस्म के अनोखे घोटाले की जांच तीन सप्ताह के बाद भी वही की वही ठहरी दिखाई दे रही है । मुख्य मुद्दा यह है कि आखिर मोटरसाइकिल से जोहड़ की खुदाई से लेकर सड़क बनाने का कारनामा किस प्रकार पूरा कर दिया गया ? इतना ही नहीं कई स्थानों पर मिट्टी डालने के बाद मिट्टी को समतल भी मोटरसाइकिल के द्वारा ही किया गया ? इस बात का खुलासा आरटीआई के द्वारा मांगी गई जानकारी और इसके जवाब में दिए गए दस्तावेज से हुआ ।
बीते 13 सितंबर को डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला जिनके पास पंचायत विभाग भी है, उन्हें इस अनोखे घोटाले की शिकायत देकर जांच सहित जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई किए जाने का अनुरोध किया गया था । इसके बाद इस अनोखे घोटाले की जांच की जिम्मेदारी पटौदी के एसडीएम के हवाले कर दी गई । लेकिन हैरानी इस बात की है कि 3 सप्ताह के बाद भी जांच हवा में ही दिखाई दे रही है । जबकि सही मायने में पूरे मामले की जांच बिना किसी देरी के कुछ ही घंटों में कथित रूप से पूरी भी की जा सकती है ।
सूत्रों के मुताबिक इस मामले के जांच अधिकारी एक दिन पहले मौका मुआयना करने के लिए एक सरकारी स्कूल में पहुंचे । वहां पर मौजूद स्कूल के स्टाफ से बातचीत करने के बाद कथित रूप से जांच अधिकारी ने स्कूल स्टाफ से लिखित में संबंधित जांच के विषय में कुछ पुष्टि कराए जाने का प्रयास किया , लेकिन स्कूल स्टाफ के द्वारा इस मामले में असमर्थता जाहिर की गई । अभी तक इस मामले को लेकर जांच अधिकारी के द्वारा तीन बार जांच के लिए पटौदी के खंड विकास एवं पंचायत विभाग को तलब किया जा चुका है । क्योंकि जो भी विकास कार्य हुए और इन विकास कार्यों में आरटीआई के द्वारा जो जानकारी दी गई वह बेहद चैंकाने वाली है कि जिन वाहनों का इस्तेमाल करते हुए भुगतान किया गया वह सब जेसीबी, रोड रोलर या अन्य वाहन ना होकर वास्तव में एक मोटरसाइकिल के रूप में सामने आए हैं । यही सच्चाई सबसे बड़े सवाल सहित एक अबूझ पहेली बनी हुई है और इस पहेली को सुलझाना जांच अधिकारी के लिए टेढ़ी खीर बन गया है ।
कथित रूप से इस घोटाले को उजागर करने वाले पंचायत समिति के ही सदस्य जोकि शिकायतकर्ता भी है, उनको हर बार जांच से अलग रखने का कथित प्रयास किया जाता आ रहा है । एक दिन पहले भी जांच के दौरान वादी को दूर रखने का कथित प्रयास किया गया । सूत्रों की माने तो शिकायतकर्ता को ही जैसे-जैसे इस मामले को खत्म करने के लिए समझाने मनाने के लिए भी विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं । जिस प्रकार से इस जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है , उस समय सीमा को देखते हुए यह जांच कब पूरी होगी कोई दवा भी नहीं किया जा सकता । जबकि डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला के द्वारा संबंधित जांच को 15 दिन में पूरा करके रिपोर्ट तलब करने की बात कही गई थी ।
अभी तक की तीन बार जांच के प्रकरण और प्रक्रिया को देखा जाए तो यही आभास होता है कि शिकायतकर्ता को किसी ना किसी बहाने से कथित रूप से इस मामले में उसका ध्यान भटकाने के लिए ही सारी कसरत की जा रही है । अब देखना यह है की एक दिन पहले मौका मुआयना के लिए पहुंचे जांच अधिकारी को ऐसे क्या तथ्य मौके से मिले कि जिन से वह इस जांच को और आगे बढ़ा सकेंगे ? यहां पर सवाल बेहद महत्वपूर्ण है कि बीजेपी और जेजेपी गठबंधन सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन, जीरो टोलरेंस पॉलिसी के साथ-साथ पारदर्शिता का दंभ भरते हुए भ्रष्टाचार पर लगाम कसने का निरंतर दावा करती आ रही है । इस पूरे प्रकरण में आरटीआई के द्वारा मांगे गए तथ्यों और जवाब में पटौदी के खंड एवं पंचायत विभाग के द्वारा जो दस्तावेज उपलब्ध करवाए गए हैं , वह अपने आप में ही विभाग को ही कटघरे में खड़ा करने के लिए पर्याप्त दिखाई देते हैं । अब यह जांच अधिकारी के विवेक पर निर्भर है कि वह विभाग के द्वारा उपलब्ध करवाए गए सत्यापित दस्तावेजों को सही मानते हैं या फिर शिकायतकर्ता की शिकायत को झूठा ठहराते हैं , यही सबसे बड़ी पहेली बनी हुई दिखाई दे रही है।