मनीषबलवान सिंह जांगड़ा
हिसार। कुरुक्षेत्र के पिपली में केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि अध्यादेशों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस द्वारा की गई लाठीचार्ज की चौ. छोटूराम विचार मंच के चेयरमैन जगदीप लाम्बा ने कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के मुश्किल समय में जब देश की सभी आर्थिक गतिविधियां रुकी हुई थी, एक किसान ही थे जिन्होंने अपनी जान जोख़िम में डाल कर देश को अनाज, फल व सब्जियां जैसी आवश्यक चीजें उपलब्ध करवाई। लाम्बा ने कहा कि आज देश की जीडीपी -23.9% पर पहुंच गई है लेकिन कृषि सेक्टर ने महामारी में भी देश की जीडीपी में सकारात्मक योगदान दिया है।
उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकारें चुनावों में तो किसानों की बात करती हैं लेकिन ज्यों ही सत्ता में आती हैं कॉरपोरेट घरानों की तिज़ोरी भरने में लग जाती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार में जो लोग मौजूद हैं वे चौ. छोटूराम व देवीलाल का नाम लेकर किसानों की सहानुभूति लेते हैं लेकिन जब किसानों की मांग की बात आती है तो उन्हें लाठियां और डंडे मिलते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को तो किसानों के पैर धोकर पीने चाहिए, किसान जिसकी बदौलत ये सृष्टि चल रही है।
लाम्बा ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 व मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020 किसानों को बड़े-बड़े पूंजीपतियों के सहारे रहने पर मजबूर कर देगा। जिससे देश के अन्नदाता दर-दर की ठोकरे खाने पर विवश हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में राजनीतिक पार्टियां जिला प्रशासनों की अनदेखी कर बड़ौदा उपचुनावों के लिए रैली कर सकती है लेकिन किसान अपने अधिकारों के लिए विरोध प्रदर्शन करते हैं तो सरकार सीआरपीसी की धारा 144 का दुरुपयोग कर किसानों को ऊपर लाठीचार्ज करती है।
आखिर में उन्होंने कहा कि अन्नदाता के सीने पर पड़ी एक एक लाठी सरकार के ताबूत में आख़िरी कील साबित होगी।