कोर्ट ने रासुका को ग़ैरकानूनी बताते हुए, तुरंत रिहाई के आदेश दिए।

मनीषबलवान सिंह जांगड़ा
हिसार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रासुका(राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में बंद गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज के प्रवक्ता व बालरोग विशेषज्ञ कफ़ील खान को ज़मानत देते हुए तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है।

डॉ कफ़ील खान को सीएए(नागरिकता संसोधन एक्ट), एनआरसी(राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) व एनपीए(राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) के विरोध के दौरान अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में 13 दिसंबर 2019 को कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में उत्तरप्रदेश  पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें मथुरा की जेल में रखा गया था। कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत डॉक्टर कफील को हिरासत में लेने और हिरासत की अवधि को बढ़ाए जाने को गैरकानूनी करार दिया। मथुरा जेल में बंद डॉक्टर कफ़ील को 10 फ़रवरी को ज़मानत मिल गई थी, लेकिन तीन दिन तक जेल से उनकी रिहाई नहीं हो सकी और इस दौरान अलीगढ़ ज़िला प्रशासन ने उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (रासुका) लगा दिया।

जेल में बंद रहने के दौरान डॉक्टर कफ़ील ने एक पत्र भी लिखा था, जिसमें उन्होंने जेल के भीतर कथित तौर पर अमानवीय स्थितियों का ज़िक्र किया था. डॉक्टर कफ़ील का यह पत्र सोशल मीडिया में भी वायरल हुआ था।
पत्र में डॉक्टर कफ़ील ने लिखा था कि 150 क़ैदियों के बीच में सिर्फ़ एक शौचालय है, जहाँ सामान्य स्थितियों में कोई अंदर भी नहीं जा सकता है। उन्होंने जेल में खान-पान जैसी व्यवस्था और फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग की कथित तौर पर उड़ रही धज्जियों का भी ज़िक्र किया था।

क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून।

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम यानी एनएसए सरकार को किसी भी व्यक्ति को हिरासत में रखने की शक्ति देता है. इस क़ानून के तहत किसी भी व्यक्ति को एक साल तक जेल में रखा जा सकता है। हालांकि तीन महीने से ज़्यादा समय तक जेल में रखने के लिए सलाहकार बोर्ड की मंज़ूरी लेनी पड़ती है।

रासुका उस स्थिति में लगाई जाती है जब किसी व्यक्ति से राष्ट्र की सुरक्षा को ख़तरा हो या फिर क़ानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका हो।

डॉक्टर कफ़ील का नाम उस वक़्त चर्चा में आया था, जब साल 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 60 बच्चों की मौत हो गई थी.
उत्तर प्रदेश सरकार ने लापरवाही बरतने, भ्रष्टाचार में शामिल होने सहित कई आरोप लगाकर डॉ. कफ़ील को निलंबित कर जेल भेज दिया था। हालाँकि कई मामलों में बाद में उन्हें सरकार से क्लीन चिट मिल गई थी लेकिन उनका निलंबन रद्द नहीं हुआ था।
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