सीएम व विधायक  के नाम किसानों ने सौंपा ज्ञापन

कपास की बर्बाद फसल के मुआवजे के लिये मांग

फतह सिंह उजाला
पटौदी।  
 क्षेत्र में बरसात, सफेद मक्खी, झुलसा रोग, पैराबिल्ट आदि रोग से बर्बाद हुई फसल की गिरदावरी और मुआवजे की मांग को लेकर क्षेत्र के दर्जनों किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर, पटौदी विधायक सत्यप्रकाश जरावता के नाम एसडीएम पटौदी और तहसीलदार फर्रुखनगर संजीव नागर को ज्ञापन सौंपा और मांग की कि किसानों की भरपाई के लिए 50-50 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाये। किसान कपास की फसल बर्बाद होने से हताश है , मुआवजा नहीं मिला तो वह आत्महत्या के लिए मजबूर हो सकते है। एसडीएम ने आश्वासन दिया कि उनके ज्ञापन को सीएम मनोहर लाल खटटर और विधायक सत्यप्रकाश जरावता तक पहुंचा दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री व विधायक पटौदी के नाम सौंपे गए ज्ञापन में क्षेत्र के किसान जगदीश, किसान मोर्चा बीजेपी मंडल अध्यक्ष  राजपाल चैहान, महेंद्र लम्बरदार, सुखपाल, कर्मबीर, कृष्ण कुमार, लम्बरदार कंवर सिंह महचाना, महाबीर सिंह खेडा, धर्मेंद्र यादव ढाणी रामजी लाल, जयप्रकाश डाबोदा, लक्ष्मण यादव डाबोदा आदि ने बताया कि   फर्रुखनगर खंड के गांव गुगाना राजुपुर, कारौला, फरीदपुर, सेखुपुर माजरी, जराउ सुंदरपुर, महचाना, सिवाडी, बसुंडा, डाबोदा, तिरपड़ी, खंडेवला, बिरहेडा, पालडी, अलिमुद़दीनपुर, धानावास, पातली आदि गांवों के किसानों ने इस बार करीब 5000 एकड़ भूमि पर कपास की खेती की हुई है। लेकिन इस वर्ष अधिक बरसात ,सफेद मक्खी , झुलसा रोग, पैराबिल्ट आदि रोग  से 70 से 90 फीसदी तक  कपास की फसल बर्बाद हो चुकी हैं परन्तु प्रशासन ओर सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।
कुछ किसानों ने अपनी फसल का बीमा भी करवाया हुआ है, लेकिन बीमा कम्पनी पैराबिल्ट, सफेद मक्खी, झुलसा रोग से ग्रस्त फसल बीमा स्कीम के अंर्तगत नहीं आती है।  सरकार को तुरंत प्रभाव से किसानों की बर्बाद हुई कपास की फसलों की स्पेशल गिरदावरी कराकर किसानों को मुआवजा देना चाहिए। कपास की फसल नष्ट होने से किसानों को भारी हानि हुई। प्रति एकड़ 28 से 30 हजार रुपए की लागत लगाने के बाद भी किसान मायूस है। इस बार उन्हे लागत भी पूरी होना मुश्किल लग रहा है। किसान ने कर्जा , उधार रुपए लेकर कपास की खेती पर विश्वास जताया था। लेकिन कपास की फसल ने उन्हे बर्बाद कर दिया है। अगर सरकार ने किसानों की फरियाद नहीं सुनी तो किसान के पास आत्महत्या के सिवा कोई चारा शेष नहीं रहेगा। इसलिए सरकार को पिडित किसानों को 50- 50 हजार रुपए प्रति एकड़ का मुआवजा देना चाहिए।

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