घटना दो दिन पहले पटौदी के उपमंडल नागरिक अस्पताल की

पटौदी पालिका कर्मचारियों द्वारा किया गया अंतिम संस्कार

मृतक के साथ आए और संस्कार करने वालों के नहीं लिए सैंपल

फतह सिंह उजाला
पटौदी । 
  पटौदी उपमंडल नागरिक अस्पताल की लापरवाही एक के बाद एक लगातार सामने आ रही हैं। घटना 7 सितंबर की है, निकटवर्ती गांव में पाटौदा में काम करने वाले किशोर नामक व्यक्ति की को पटौदी के नागरिक अस्पताल में संदिग्ध अवस्था में लाया गया तो यहां मृत घोषित कर दिया गया । इसके उपरांत मृतक का शव अस्पताल परिसर में ही करीब 16 घंटे तक खुलेआम पड़ा रहा । मामला मीडिया में सुर्खियां बनने के साथ ही अस्पताल प्रशासन में खलबली मच गई और आनन-फानन में मृतक के शव को पैक करवाया गया ।

इसके बाद मृतक का अंतिम संस्कार भी पटौदी के ही एक श्मशान घाट में किया गया। इस पूरे मामले में पहले ही दिन पटौदी अस्पताल प्रशासन के द्वारा गंभीर लापरवाही बरती गई । उसके बाद में और भी बड़ी लापरवाही चर्चा का विषय बनी हुई है । कोरोना प्रोटोकॉल के मुताबिक कोविड-19 मृतक का शव परिजनों को नहीं सौंपा जाना चाहिए ? कथित रूप से मृतक का शव परिजनों को ही सौंपा गया ? इस मामले में पटौदी के एसएमओ डॉक्टर नीरू यादव को एस एम एस डालकर मृतक का शव किसे सौंपा गया और मृतक के साथ आए लोगों के अलावा अंतिम संस्कार करने वालों का 72 घंटे बाद भी कोविड-19 जांच के लिए सैंपल नहीं लिया गया । इस मामले में जानकारी मांगने पर समाचार लिखे जाने तक किसी भी प्रकार की जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जा सकती है ।

सूत्रों के मुताबिक पटौदी पालिका कर्मचारियों के द्वारा ही पटौदी अस्पताल के एक डॉक्टर की देखरेख में कोरोना संक्रमित मृतक के शव को दिन भर रखा रहने के बाद देर सायं पैक करवाया गया । यह सारा कार्य पटौदी पालिका से बुलाए गए 9 कर्मचारियों के द्वारा किया गया । इसके बाद मृतक के संस्कार के लिए शव को गुरुग्राम भेजने की बात चली , लेकिन अचानक ही मृतक का अंतिम संस्कार पटौदी में ही किया जाने के लिए पालिका प्रशासन पर दबाव बनाया गया । हालांकि पालिका सचिव ने साफ इनकार कर दिया था कि पटौदी में ऐसा कोई भी शमशान अधिकृत नहीं है जहां कोरोना संक्रमित मृतक का संस्कार किया जा सके ।

इसी इसी बीच यह भी जानकारी सामने आई है कि पटौदी पालिका के जिन 9 कर्मचारियों के द्वारा कोरोना संक्रमित मृतक का अंतिम संस्कार करवाया गया, उनमें से मुख्य कर्मचारी को बुलाकर 1 दिन पहले अर्थात 9 सितंबर को पटौदी नागरिक अस्पताल प्रशासन के द्वारा यह लिखवाया गया कि मृतक का अंतिम संस्कार करोना प्रोटोकॉल के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग की देखरेख में ही किया गया। इसी बीच कथित रूप से पालिका के ही कर्मचारियों पर यह भी जवाब बनाया गया कि वह मृतक के शव को अपने ओवरहैंड लेने के लिए लिखित में दे दें, लेकिन इसके लिए पालिका कर्मचारियों द्वारा साफ इंकार कर दिया गया । इसके बाद आनन-फानन में पटौदी नागरिक अस्पताल के ही एक चिकित्सक के द्वारा श्मशान घाट में जाकर मृतक के ही परिवार के किसी सदस्य के द्वारा कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए गए । 
यह जानकारी भी कोरोना संक्रमित मृत घोषित किए गए व्यक्ति के साथ आए लोगों के द्वारा दी गई है । इस पूरे मामले में सबसे चैंकाने वाली बात यह है कि पटौदी नागरिक अस्पताल प्रशासन के द्वारा कोरोना संक्रमित मृतक के साथ रहे और आए परिजनों सहित अन्य परिचितों और मृतक का शव पैक करने के अलावा अंतिम संस्कार करने वाले पालिका के 9 कर्मचारियों का 72 घंटे बीत जाने के बाद भी सुरक्षा के लिहाज से कोरोना कोविड-19 संक्रमण की जांच के लिए सैंपल तक नहीं लिया गया है । यह अपने आप में बेहद गंभीर और चिंताजनक लापरवाही सामने आई है। इसी मामले में पालिका के ही कर्मचारियों जिनके द्वारा मृतक का शव पैक किया गया और अंतिम संस्कार किया गया उनका कहना है कि आप वह अपने स्वास्थ्य के हित में स्वयं ही अपना कोविड-19 जांच नागरिक अस्पताल में देकर जांच करवाएंगे ।

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