बरसात के बाद गुरुग्राम के आसपास का इलाका जल मग्न

पांच गांवों में बाजरा और धान की फसल पानी में गलने लगी

किसानों की मांग सरकार जल्द करवाएं विशेष गिरदावरी

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 जारी सप्ताह में लगभग 1000 मिलीमीटर बरसात होने के बाद शहर और शहर के साथ लगते देहात के इलाके में आसमान और पाताल का अंतर साफ दिखाई दे रहा है । शहर में तो प्रशासन के पास संसाधनों की कोई कमी नहीं। जहां जहां भी बरसाती पानी भरा था, पानी को निकालकर प्रशासन ने अपनी पीठ थपथपा ली है। लेकिन इसका दूसरा पहलू गुरुग्राम सिटी के आसपास के आधा दर्जन गांव में देखा जा सकता है । जहां बरसात के बाद अभी भी करीब 3- 3 फुट तक बरसाती पानी खेतों में हिलोरे ले रहा है ।

बरसाती पानी में डूबी बाजरे और धान की फसल के लिये प्रभावित किसानों ने सरकार से मांग की है की अविलंब विशेष गिरदावरी करवाकर बरसाती पानी में गल-सड़ रही उनकी फसल का मुआवजा भुगतान किया जाए । साइबर सिटी गुरूग्राम के साथ लगने वाले गांव माकडोला, धर्मपुरा खेड़की माजरा, दौलताबाद बुढेडा व अन्य गांवों के किसानों के लिए बरसात और बरसात का पानी आफत बना हुआ है । इन गांवों के किसानों की माने तो 5000 एकड़ से अधिक रकबे में धान और बाजरे की फसल 3-3 फुट तक पानी में अभी भी डूबी हुई है।  पानी निकालने की अथवा सूखने की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से बाजरा और धान की फसल अब गलने लगी है । बाजरा की फसल तो करीब-करीब पक कर तैयार है और बाजरे की फसल पर सीट्टें भी लगे हुए हैं। वही किसानों का यह भी कहना है कि बाजरे के सिट्टे में ही फिर से बाजरा अंकुरित हो सकता है, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता ।


मकड़ोला के पूर्व सरपंच दिनेश सहरावत, धर्मेंद्र सेहरावत, मनजीत सहरावत ,पूर्व सरपंच श्री भगवान, जगपाल ठाकुर, चांदराम पूर्व सरपंच, बिरेंद्र दोलताबाद, राजकुमार पूर्व सरपंच, नंबरदार केवल, राजेश ठेकेदार व अन्य किसानों ने बताया कि सरकार और गुरुग्राम की प्रशासन की नीतियां साफ-साफ भेदभाव पूर्ण दिखाई दिया है । सरकारी अमले ने बिना देरी किए गुरुग्राम शहर से तो बरसाती पानी को निकाल दिया , लेकिन जो किसान अपने खून पसीने की मेहनत से फसल को तैयार करता है उसकी फसल को बचाने की तरफ प्रशासन ने अभी तक कोई ध्यान ही नहीं दिया । फसल को बरसाती पानी में बर्बाद और सड़ने के लिए छोड़ दिया है । ऐसा कोई पहली बार नहीं है, जब भी कभी बरसात होती है गुरुग्राम सिटी के साथ लगते हुए इन गांवों में किसानों को इसी प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसानों की फसल बरसाती पानी की बलि चढ़ जाती है ।

उपरोक्त गांव के हजारों किसानों की 5000 से अधिक एकड़ रकबे में खड़ी बाजरे और धान की फसल पूरी तरह से नष्ट होने के कगार पर है । आज भी खेतों में 3-3 फुट तक पानी खड़ा हुआ है। किसानों के मुताबिक उन्होंने बैंकों से कर्जा लेकर भी फसल की बिजाई की। जिससे कि दो पैसे फसल बेचकर के कमाए जा सके ,लेकिन बरसात के पानी में फसल को चैपट कर उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया। इतना ही नहीं किसानों की मेहनत की बर्बादी में गुरुग्राम प्रशासन का भी कहीं ना कहीं हाथ रहा है , अन्यथा किसानों की फसलों की ऐसी दुर्दशा नहीं होती । अब हालात ऐसे बन गए हैं कि बरसाती पानी में फसल पूरी तरह से गल रही है और ऐसा कोई भी आसार नहीं एक दाना भी किसान फसल से ले सकेंगे। किसानों ने आरोप लगाया चुने हुए नेताओं को चुनाव के समय ही किसानों की समस्या और किसान के साथ-साथ गांव दिखाई देते हैं । इसके बाद नेता खेत, खलिहान, किसान , गांव को भुला देते हैं। किसानों ने फिर एक बार हरियाणा की सरकार से अनुरोध किया है कि जितना जल्दी हो सके पानी में डूबी और सड़ रही बाजरा तथा धान की फसल की मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित किया जाए। जिससे किसान आर्थिक रूप से बर्बाद होने से बच सकें।

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