ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को कुछ फायदा नहीं हो रहा
महंगे फोन व फोन का रिचार्ज खर्च कैसे वहन करे
फतह सिंह उजाला
पटौदी। सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन अनुसार सरकारी स्कूलों के छात्रों की ऑनलाइन क्लास से ग्रामीण क्षेत्र को कुछ फायदा नहीं हो रहा है। खंड फरुखनगर में 59 प्राइमरी, 21 मिडिल एवं 21 सीनियर सेकेंडरी स्कूल सहित कुल 101 स्कूल है। जिनमें करीब 6000 छात्र शिक्षा ले रहे हैं।
सरकार द्वारा एजुसेट से टीवी पर क्लास चलाई जा रही है। अलग-अलग चैनलों पर डिश टीवी के माध्यम से भी क्लास चल रही है लेकिन उसका छात्रों को कोई फायदा होता दिखाई नहीं दे रहा है। शिक्षा विभाग द्वारा व्हाट्सएप पर ऑनलाइन क्लास को पढाने का भरकस प्रयास किया जा रहा है। वहीँ अभिभावकों का कहना है कि महंगे फोन व फोन का रिचार्ज कैसे वहन करे। ग्रामीण क्षेत्र में कभी लाइट की कमी तो कभी नेटवर्क की प्रॉब्लम होने की वजह से बच्चे फोन में गेम ही खेलते रहते हैं। अभिभावकों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे स्कूल से ही शिक्षा प्राप्त कर सकते है।
घर पर बच्चे किसी का दबाव तो मानते ही नहीं स्कूल में तो अध्यापक का डर रहता ही है। ऐसा लगता है कि जो कुछ पहले पढ़ा लिखा है वह भी बच्चे भूल गए हैं। बच्चे ज्यादातर खेलने में ही मस्त रहते हैं। बीईओ आनंद सिंह का कहना है कि सभी स्कूलों में व्हाट्सएप से ऑनलाइन क्लास द्वारा बच्चों की स्कूल की पढ़ाई कराई जा रही है। अध्यापकों द्वारा बीच-बीच में दिया गया कार्य भी व्हाट्सएप पर ऑनलाइन चेक किया जाता है। लेकिन कुछ बच्चे गैरहाजिर भी होते हैं। इन छात्रों के पेरेंट्स से बात करके शिक्षा पर ध्यान दिलाया जाता है।
महंगे फोन व फोन का रिचार्ज खर्च कैसे वहन करे
फतह सिंह उजाला
पटौदी। सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन अनुसार सरकारी स्कूलों के छात्रों की ऑनलाइन क्लास से ग्रामीण क्षेत्र को कुछ फायदा नहीं हो रहा है। खंड फरुखनगर में 59 प्राइमरी, 21 मिडिल एवं 21 सीनियर सेकेंडरी स्कूल सहित कुल 101 स्कूल है। जिनमें करीब 6000 छात्र शिक्षा ले रहे हैं।
सरकार द्वारा एजुसेट से टीवी पर क्लास चलाई जा रही है। अलग-अलग चैनलों पर डिश टीवी के माध्यम से भी क्लास चल रही है लेकिन उसका छात्रों को कोई फायदा होता दिखाई नहीं दे रहा है। शिक्षा विभाग द्वारा व्हाट्सएप पर ऑनलाइन क्लास को पढाने का भरकस प्रयास किया जा रहा है। वहीँ अभिभावकों का कहना है कि महंगे फोन व फोन का रिचार्ज कैसे वहन करे। ग्रामीण क्षेत्र में कभी लाइट की कमी तो कभी नेटवर्क की प्रॉब्लम होने की वजह से बच्चे फोन में गेम ही खेलते रहते हैं। अभिभावकों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे स्कूल से ही शिक्षा प्राप्त कर सकते है।
घर पर बच्चे किसी का दबाव तो मानते ही नहीं स्कूल में तो अध्यापक का डर रहता ही है। ऐसा लगता है कि जो कुछ पहले पढ़ा लिखा है वह भी बच्चे भूल गए हैं। बच्चे ज्यादातर खेलने में ही मस्त रहते हैं। बीईओ आनंद सिंह का कहना है कि सभी स्कूलों में व्हाट्सएप से ऑनलाइन क्लास द्वारा बच्चों की स्कूल की पढ़ाई कराई जा रही है। अध्यापकों द्वारा बीच-बीच में दिया गया कार्य भी व्हाट्सएप पर ऑनलाइन चेक किया जाता है। लेकिन कुछ बच्चे गैरहाजिर भी होते हैं। इन छात्रों के पेरेंट्स से बात करके शिक्षा पर ध्यान दिलाया जाता है।