जस्टिस अरुण मिश्रा ने नई सविंधान पीठ का गठन कर मामले की सुनवाई का आदेश दिया है।

मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
इन दिनों देश के सभी अखबारों व मीडिया चैनलों पर प्रशांत भूषण सुर्खियां बंटोर रहे हैं। वजह है उनका कोर्ट की अवमानना मामले में अडिग रहकर माफ़ी न मांगना है। कोरर ने प्रशांत भूषण को 2-3 दिन अपनी टिप्पणी को लेकर पुनर्विचार कर माफ़ी मांगने को कहा था। प्रशांत भूषण ने महात्मा गांधी के शब्दों का प्रयोग करते हुए माफ़ी न मांगने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि दया की भीख नही मांगूगा, कोर्ट जो सजा देना चाहती है हंसी-हंसी मंजूर है। इसके बाद मंगलवार को कोर्ट ने 2009 के अवमानना के मामले को लेकर भी दूसरी पीठ के निर्माण का आदेश दिया है। इससे पहले प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने कोर्ट से गुज़ारिश की थी कि इस मामले को सविंधान पीठ को भेजा जाए।

पिछले पूर्व चीफ जस्टिसों को भ्रष्ट कहा था।

अवमानना का मामला साल 2009 में एक इंटरव्यू के दौरान सामने आया था जिसमे प्रशांत भूषण ने पिछले 16 चीफ जस्टिसों में से 8 जस्टिसों को भ्रष्ट कहा था। कोर्ट ने पहले इस मामले में कहा था कि जजों के बारे में ऐसा सार्वजनिक बयान किन परिस्थितियों में दिया जा सकता है, पहले यह देखना जरूरी है। कोर्ट ने पूछा था कि ऐसा करने से पहले क्या आंतरिक तौर पर शिकायत करना उचित नहीं होगा।

दरअसल, बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, इस मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है, मेरे पास समय की कमी है, इसलिए बेहतर होगा कि कोई और बेंच 10 सितंबर को मामले पर विचार करे। चीफ जस्टिस नई बेंच का गठन करेंगे। बता दें कि जस्टिस मिश्रा 2 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं।

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