मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
तमाम अटकलों के बाद पीटीआई(प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया) को दिए एक इंटरव्यू में सचिन पायलट ने कहा मैं बीजेपी में शामिल नही हो रहा हूं।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि कुछ लोग अफवाहें उड़ाकर मेरी छवि ख़राब करने की कोशिश कर रहे हैं।



अशोक गहलोत से नाराज नही हूं, वो बीजेपी की राह पर चल रहें हैं।

सचिन पायलट ने पूरे राजनीतिक घटनाक्रम पर इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज नही हैं।

सचिन ने इस इंटरव्यू में कहा, ''मैं उनसे नाराज़ नहीं हूं। मैं कोई विषेशाधिकार भी नहीं मांग रहा। हम सभी चाहते हैं कि कांग्रेस ने राजस्थान के चुनाव में जो वादा किया था उसे पूरा करे। हमने वसुंधरा राजे सरकार के ख़िलाफ़ अवैध खनन का मुद्दा उठाया था। सत्ता में आने के बाद गहलोत जी ने इस मामले में कुछ नहीं किया। बल्कि वो वसुंधरा के रास्ते पर ही बढ़ रहे हैं।''

उस पद का क्या फ़ायदा जिससे मैं लोंगों से किए वायदे पूरे न कर सकूं।

उन्होंने आगे कहा की पिछले साल 2017 में हाइकोर्ट ने वसुंधरा राजे सरकार के उस संशोधन को खारिज़ कर दिया था जिसके तहत जयपुर में सरकारी बंगला उन्हें हमेशा के लिए मिल गया था। हाइकोर्ट के फ़ैसले के मुताबिक गहलोत को सरकारी बंगला खाली करवाना चाहिए था लेकिन उन्होंने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

सचिन ने कहा कि अशोक गहलोत बीजेपी की राह पर चल रहें हैं उनकी मदद कर रहे हैं। वो मुझे और मेरे समर्थकों को राजस्थान के विकास में काम नही करने दे रहे। नौकरशाहों को कह दिया है कि वो मेरा काम न करें। फाइलें मेरे पास नही आती हैं। महिनो से कैबिनेट और सीएलपी की मीटिंग नही हुई है। उस पद का क्या फायदा जिससे में लोगों से किये वायदे पूरे न कर सकूं।

मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है।

सचिन ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कहा है, ''मैंने पूरे मामले को कई बार उठाया। मैंने राजस्थान में कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे जी से कहा, सीनियर नेताओं, गहलोत जी से भी बात की। लेकिन इसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ क्योंकि मंत्रियों और विधायकों की शायद ही कोई बैठक होती थी। मेरे आत्मसम्मान को चोट पहुंची है। प्रदेश की पुलिस ने सेडिशन के एक मामले में मुझे नोटिस भेजा है।''

उन्होंने कहा की याद कीजिए 2019 में कांग्रेस ने सेडिशन के कानून को ख़त्म करने का फ़ैसला किया था लेकिन इसको लेकर भी कोई कदम नही उठाया गया। राजस्थान कांग्रेस ने अपने ही मंत्रियों के खिलाफ इस कानून का इस्तेमाल किया है। मेरा यह कदम कानून के ख़िलाफ़ है। पार्टी का व्हिप तभी लागू हो सकता है जब विधानसभा चल रही होती है। मुख्यमंत्री ने अपने घर में विधायक दल की मीटिंग बुलाई कम से कम मीटिंग पार्टी मुख्यालय में ही बुला लेते।

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