मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
तुर्की के इंस्तानबुल में ऐतिहासिक इमारत हागिया सोफ़िया में पहली बार शुक्रवार को नमाज़ पढ़ी गई। हागिया सोफ़िया में 86 साल बाद सैकड़ों लोगों ने और बाहर हज़ारों लोगों ने नमाज़ पढ़ी। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप अर्दोआन समेत कैबिनेट में मंत्री व उच्च अधिकारियों ने नमाज़ पढ़ी। पिछले हफ़्ते ही राष्ट्रपति रेचेप तैयप अर्दोआन ने म्यूजियम से मस्जिद में तब्दील करने की घोषणा की थी।
1500 साल पुरानी हागिया सोफ़िया को यूनेस्को ने विश्व धरोवर घोषित किया हुआ है। तुर्की की सर्वोच्च प्रशासनिक कोर्ट ने हागिया सोफ़िया को म्यूजियम में तब्दील करने को फ़ैसले को पलट दिया। कोर्ट ने कहा कि हागिया सोफ़िया को म्यूजियम बनाना ग़ैर कानूनी फ़ैसला था। कोर्ट ने 1934 को कैबिनेट के फ़ैसले को पलटते हुए हागिया सोफ़िया को मस्जिद बनाने का फ़ैसला दिया था।
हागिया सोफ़िया का इतिहास।
हागिया सोफ़िया को छठी शताब्दी में बाइजेंटाइन सम्राट जस्टिनियम के हुकुम से बनाया गया था। सम्राट जस्टिनियम ने सन 532 में इस भव्य इमारत का निर्माण करवाया। उन दिनों इस्तांबुल को कांस्टेंटिनोपल कहा जाता था। हागिया सोफ़िया दुनिया के सबसे बड़े चर्चों में से एक है।
ओटोमन साम्राज्य के विस्तार के दौरान 1453 में सुल्तान मोहम्मद II ने कुस्तुन्तुनिया पर कब्ज़ा कर लिया और कांस्टेंटिनोपल का नाम बदलकर इस्तांबुल कर दिया। 1453 को मध्यकालीन युग की शुरुआत माना जाता है जिसके बाद यूरोप में उदारवाद व वैज्ञानिक सोच का प्रसार हुआ।
पहले विश्व युद्ध में तुर्की की हार और फिर वहां ऑटोमन साम्राज्य के ख़ात्मे के बाद मुस्तफ़ा कमाल पाशा का शासन आया। मुस्तफ़ा कमाल पाशा को आधुनिक तुर्की का निर्माता माना जाता है जिन्होंने धर्मनिरपेक्ष तुर्की की नीव रखी। उन्हीं के शासन में 1934 में इस मस्जिद (मूल रूप से हागिया सोफ़िया चर्च) को म्यूज़ियम बनाने का फ़ैसला किया गया।
क्या है विवाद।
मुस्तफ़ा कमाल पाशा ने तुर्की को धर्मनिरपेक्ष देश बनाया। उन्होंने यूरोपीय सभ्यता को देश में लागू किया है धार्मिक रूढ़िवाद की बजाय वैज्ञानिक व उदारवादी विचारधारा को तुर्की के सविंधान में लागू किया। इसी के चलते उन्होंने साल 1934 में हागिया सोफ़िया को मस्जिद से म्यूजियम में बदल कर दुनियाभर में तुर्की की धर्मनिरपेक्षता का परिचय दिया। कमाल पाशा ने हागिया सोफ़िया को दुनियाभर के लोंगो के लिए खोल दिया। इसके बाद यूनेस्को ने हागिया सोफ़िया को विश्व धरोवर का दर्ज़ा दिया जिसे देखने के लिए दुनियाभर से लाखों लोग आते हैं।
राष्ट्रपति रेचेप तैयप अर्दोआन ने तुर्की में मुस्लिम राष्ट्रवाद को शुरू से बढ़ावा दिया है। साल 1994 में अर्दोआन पहली बार इस्तांबुल के गर्वनर बने। अपने भाषणों में अर्दोआन ने शुरू से ही इस्लामिक एकता की बात की। वे अपने भाषणों में कहते हैं की, "मस्जिदें हमारी छावनी हैं, गुम्बद हमारे रक्षाकवच, मीनारें हमारी तलवार और इस्लामिक अनुयायी हमारे सैनिक हैं।" राष्ट्रपति अर्दोआन शुरू से इस्लामिक कट्टरपंथी विचारधारा के पक्षधर रहे हैं। उनकी पत्नी हिज़ाब पहनती है जबकि तुर्की में हिज़ाब प्रतिबंधित है। 2003 में पहली बार तुर्की के प्रधानमंत्री बनने पर उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में उन्होंने खुद को इस्लामिक अनुयायी कहा था और इस्लामिक रीति रिवाजों को मानने वाला बताया था।
परिवार नियोजन को ग़ैर इस्लामिक बताया।
2016 को इस्तांबुल में दिए एक भाषण में उन्होंने परिवार नियोजन को ग़ैर इस्लामिक क़रार देते हुए कहा था की तुर्की की प्रत्येक महिला की ये जिम्मेदारी बनती है कि वो तुर्की को आबादी बढ़ाये। उन्होंने कहा था कि महिलाओं को ज़्यादा से ज्यादा इस्लाम के अनुयायी पैदा करने चाहिए यही क़ुरान में खुदा ने कहा है। उन्होंने कहा था कि वो एक सच्चा मुसलमान होने के नाते परिवार नियोजन जैसी बातों का विरोध करते हैं।
इस्लामिक दुनिया के नेतृत्व की लड़ाई।
राष्ट्रपति अर्दोआन तुर्की को इस्लामिक दुनिया का बादशाह बताते हैं क्योंकि वो मानते हैं की ओटोमन साम्राज्य की राजधानी तुर्की में ही है और यही पर इस्लाम को गर्व महसूस करवाने वाली ऐतिहासिक इमारतें और स्मृतियां हैं। अर्दोआन को लगता है कि तुर्की इस्लामिक् दुनिया का नेतृत्व कर सकता है क्योंकि तुर्की को ऐसा करने का ऐतिहासिक हक़ है। हागिया सोफ़िया को मस्जिद में तब्दील कर अर्दोआन ने अपनी दावेदारी को ठोका है। वहीं दूसरी और सुन्नी समुदाय बहुल देश सऊदी अरब खुद को इस्लाम का सच्चा अनुयायी मानता है क्योंकि हाउस ऑफ सऊद के नेतृत्व में उसके पास इस्लाम के सबसे पवित्र स्थान मक्का और मदीना है। इसी लाइन में तीसरा दावेदार शिया समुदाय बहुल देश ईरान है जिसने हाल ही में अमेरिका को सीधे चुनौती दी है।
दुनियाभर में हुई तुर्की की आलोचना।
तुर्की एकमात्र ऐसा मुस्लिम देश है जो सविंधानिक तौर पर धर्मनिरपेक्ष है। आधुनिक तुर्की के निर्माता मुस्तफ़ा कमाल अत्ता तुर्क ने तुर्की को धर्मनिरपेक्ष बनाकर दुनियाभर में मिशाल पेश की थी। उन्होंने इस्लामिक रूढ़िवादी विचारधारा व खलीफाओं को मान्यता देने से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि तुर्की एक आधुनिक देश है जो दुनिया के साथ मिलकर चलना चाहत है। लेकिन वर्तमान राष्ट्रपति अर्दोआन ने तुर्की की पहचान एक इस्लामिक देश के तौर पर बनाने की कोशिश की है।
हागिया सोफ़िया को मस्जिद में तब्दील करने पर ऑर्थोडॉक्स कैथलिक ईसाई अनुयायी रूस व अन्य देशों ने इसपर आपत्ति ज़ाहिर की है। यूनेस्को व यूरोपीय यूनियन में भी इसे मुस्लिम व ईसाइयों में खाई बढ़ाने वाला कदम बताया है।