मानसून के मौसम में झड़ रहा है जगह-जगह से जर्जर भवन

फर्रुखनगर बिजली निगम कार्यालय की बदहाल हालत हुई

आए दिन उपभोक्ता होते घायल आफत में कर्मचारियों की जान

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 यह खुला चैलेंज है ! क्या कभी कोई नेता और कभी कोई अधिकारी ऐसे भवन में भी दौरा करेंगे या फिर कुछ समय बैठने का साहस दिखा पाएंगे ? साहस दिखाने के साथ-साथ क्या नेता और अधिकारी यह हिम्मत जुटा सकेंगे कि ऐसे भवन में बैठ कर 2-4 घंटे आम लोगों की शिकायतें भी सुन ली जाए। जी हां हम बात कर रहे हैं फर्रुखनगर बिजली निगम कार्यालय की । फर्रुखनगर बिजली निगम कार्यालय का भवन मानसून के दौरान बरसात की तरह झढ़ने लगा है ।

इस भवन के साथ-साथ यहां काम करने वाले कर्मचारियों का दुर्भाग्य है कि इस जर्जर भवन में बैठकर उन्हें काम करना पड़ रहा है । काम करना ही नहीं पड़ रहा सीधे शब्दों में मौत को सिर पर रखकर सरकार के लिए राजस्व जुटा रहे हैं और उपभोक्ताओं के लिए दिन रात बिजली उपलब्ध करवाने की सेवा का कार्य भी कर रहे हैं । हैरानी की बात है के अधिकारी और नेता फर्रुखनगर क्षेत्र में नियमित अंतराल पर दौरा कर रहे हैं । लेकिन सवाल बड़ा यह है कि अधिकारी और नेता ऐसे भवन में जाना क्यों पसंद नहीं करते या फिर अनदेखी कर देते हैं ? जोकि खंडहर हो चुके हैं और कभी भी गिर सकते हैं। बिजली निगम कर्मचारियों के साथ साथ उपभोक्ताओं की हिम्मत को भी सलाम करना पड़ेगा जो कि मौत को सिर पर देखते हुए भी अपनी जान की परवाह ना करके बिलों का भुगतान करने के लिए अपनी समस्याओं के समाधान के लिए बिजली निगम और नगर कार्यालय में कर्मचारियों के पास पहुंचते हैं ।
ऐसे ही एक घटनाक्रम में मंगलवार को फर्रुखनगर बिजली निगम कार्यालय में पहुंचे बिजली उपभोक्ता रण सिंह के ऊपर अचानक भरभरा कर छत का बड़ा हिस्सा प्लास्टर धड़ाम से आ गिरा । उसके सिर पर गंभीर चोटें लगी। रन सिंह के मुताबिक वह यहां अपना बिल भरने के लिए आया था , लेकिन उसे क्या मालूम की मौत सिर पर लटक रही है । जब तक बिल भरने के लिए उसका नंबर आता भवन की छत का प्लास्टर धड़ाम से उसके सिर पर गिरा। गहरी चोट लगने से वह मौके पर ही बेहोश हो गया और जब  उसकी आंखें खुली तो वह अस्पताल में उपचाराधीन था । यह हादसा अपने आप में नेताओं और अधिकारियों के लिए भी एक सबक है और सबक से अधिक चुनौती है ?  ऐसे जर्जर भवन का कब और कितनी जल्दी जीर्णोद्धार करने के लिए तत्परता दिखाते हैं ।

इसी मामले में फर्रुखनगर बिजली निगम विभाग के कर्मचारी भी सीधे सीधे मुंह खोलने से बच रहे हैं । यदि वह ज्यादा कुछ बोलते हैं या उनका नाम सामने आता है तो नौकरी जाने या विभागीय कार्यवाही का डंडा चलने का डर भी सताता रहता है । कुछ कर्मचारियों ने बहुत कुरेदने पर मुंह खोला की सिर पर मंडरा रही मौत के नीचे पेट पालने के लिए नौकरी करना मजबूरी बन चुका है । किसी गंभीर हादसे को ध्यान में रखते हुए उच्चाधिकारियों से शिकायत भी करते हैं तो मुंह बंद रखने के विधायक दे दी जाती है। वैसे भी बीते कई दिनों से इलाके में भूकंप के झटके लग चुके, बिजली कर्मचारियों की माने तो भवन के साथ-साथ भवन में भीतर बाहर आते जाते समय हर समय किसी न किसी हादसे अथवा अनहोनी का डर सताता रहता है। कोई दिन ऐसा जाता है जब बिजली निगम कार्यालय भवन में किसी न किसी स्थान से दीवार छत से प्लास्टर इत्यादि अलग होकर नहीं गिरता हो । हद की बात तो यह है कि बरसात के मौसम में बरसात से अधिक यहां का प्लास्टर टपकता है और बरसात होने के बाद बरसात का पानी भी टपकने से सरकारी दस्तावेज और फाइलें भी गीली होकर खराब होती रहती हैं । बार-बार शिकायत किए जाने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा । वहीं उपभोक्ताओं का सीधे तौर पर आरोप है कि नेता अधिकारी और सरकार किसी न किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं । जब हादसा हो जाएगा तब हाय तोबा मचाएगी और शायद आंखें भी खुल जाए ।

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