सत्ता पक्ष के एमएलए एडवोकेट जरावता की केंद्र और राज्य सरकार से मांग

सिंधु बॉर्डर घटना से किसान आंदोलन की आड़ में छिपी तालिबानी सोच उजागर

सिंधु बॉर्डर पर दलित की बेरहमी से हत्या से प्रदेश और देश भर में तीव्र रोष

दलित समाज से होने के कारण शैलजा कुमारी को भी जरूर बोलना चाहिए

शिवचरण ( शिवा )

भाजपा नीत केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 10 माह से अधिक समय से जारी किसान आंदोलन के दौरान बीते दिन एक ऐसी घटना घटित हुई, जिसे देखकर शायद ही कोई चिंतित और विचलित नहीं हुआ होगा।  यह मामला था सिंधु बॉर्डर पर बेरहमी से की गई एक दलित युवक की हत्या का। इतना ही नहीं इस हत्याकांड की जिम्मेदारी किसान आंदोलन में पहले दिन से अपनी मौजूदगी दर्ज करवाने वाले निहंगो के द्वारा ली गई । इसी पूरे प्रकरण को लेकर भारतीय जनता पार्टी के एमएलए और प्रदेश मंत्री तथा भाजपा के पूर्व प्रदेश सह प्रवक्ता एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता के द्वारा एक न्यूज़ चौनल से की गई बातचीत में बेबाक तरीके से दलित समाज का सदस्य और प्रतिनिधि के तौर पर अपने मनोभाव सहित चिंतन और मंथन को व्यक्त किया गया ।

हरियाणा में सक्रिय राजनीति में तेजी से दलित नेता के रूप में अपनी पहचान बनाते चले आ रहे भारतीय जनता पार्टी के एमएलए और प्रदेश मंत्री एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने कहा कि मैं सिंधु बॉर्डर प्रकरण को लेकर भाजपा के एमएलए और प्रदेश मंत्री के तौर पर नहीं बलिक अपनी बात दलित समाज और दलित समाज के प्रतिनिधि के तौर पर ही रख रहा हूं। एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने सिंधु बॉर्डर हत्याकांड पर निहंगों के द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के आरोप में की गई दलित युवक की हत्या को सीधे-सीधे तालिबानी मानसिकता और सोच से जोड़ते हुए कहा की ऐसा लगता है अब आंदोलन, किसान आंदोलन नहीं इसका तालिबानी करण होने लगा है । दलित नेता एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने अपनी बात रखते हुए यहां तक कहा कि किसान आंदोलन और धर्म की आड़ को लेकर सिंधु बॉर्डर पर दलित युवक की हत्या जघन्य और क्रूरतम अपराध की श्रेणी में आता है । इस हत्याकांड को लेकर दलित समाज ही नहीं अन्य वर्ग के लोगों में भी तीव्र रोष-नाराजगी सहित गुस्सा बना हुआ है। यह बात अलग है कि किन्ही भी कारणों से अभी लोगों का यह गुस्सा दबा हुआ है ।

उन्होंने कहा यह घटना सिंधु बॉर्डर हरियाणा क्षेत्र में हुई , इस हत्याकांड को लेकर सरकार के द्वारा कानूनी कार्रवाई करते हुए हत्या आरोपियों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया के तहत मुकदमा भी दर्ज कर अपनी कार्रवाई आरंभ कर दी है । दलित नेता एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने अपनी बातचीत में कांग्रेस और कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को भी आड़े हाथ लिया । उन्होंने कहा लखीमपुर घटनाक्रम को लेकर रणदीप सुरजेवाला, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, पंजाब के सीएम और अन्य नामी बड़े नेताओं के द्वारा जमकर हंगामा किया गया, मृतको के लिए मुआवजा-परिवार के लिए रोजगार मांगा। इतना ही सभी कांग्रसियों के द्वारा दलित चिंतक होने का ढोंग भी किया गया। लेकिन अब ऐसा क्या हो गया की सिंधु बॉर्डर पर बेरहमी के साथ की गई एक दलित युवक की हत्या के मामले में लखीमपुर प्रकरण को लेकर ढोंग करने वाले कांग्रेसी नेताओं को सांप सुंग गया है ।

अपनी बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में दलित नेता जरावता ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी शैलजा को भी सिंधु बॉर्डर पर हुई दलित हत्या के मामले में हिम्मत दिखाते हुए अपने मन और समाज की पीड़ा को दिल खोल कर रखना चाहिए । कुमारी शैलजा को इस पूरे प्रकरण में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर एक दलित नेता के तौर पर अपनी बात कहने में किसी भी प्रकार की झिझक या संकोच भी नहीं करना चाहिए । न्यूज़ चौनल से की गई बातचीत के मुताबिक एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने सीधे और सपाट शब्दों में कहा कि सिंधु बॉर्डर पर दलित युवक की निशृंस, जघन्य और बेरहमी से की गई हत्या जैसे अपराध की गंभीरता को देखते हुए किसान नेता राकेश टिकैत, किसान नेता गुरनाम चुढ़ैनी और किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों या नेतृत्व करने वालों के खिलाफ भी हत्या, साजिश रचने सहित एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। इतना ही नहीं इन नेताओं को बिना देरी किए इनकी गिरफ्तारी भी सुनिश्चित होनी चाहिए । उन्होंने कहा यही दलित समाज के लोग हैं जो किसानों के साथ खेतों में किसानी और खेती करते हुए अपना खून पसीना भी बहाते चले आ रहे हैं । जो दलित समाज के लोग किसानों के साथ खेतों में अपना खून और पसीना बहाते हुए बराबर की मेहनत करते हैं , आखिर कथित रूप से धर्म की आड़ में उनका उत्पीड़न क्यों हो ?

दलित नेता एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता  ने अपनी बातचीत में कहा कि दलित समाज से संबंधित गरीब व्यक्ति की ऐसे स्थान पर जघन्य तरीके से हत्या को अंजाम दिया जाना, जहां पर किसान आंदोलनकारी और किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले नेता भी मौजूद रहते हो , अपने आप में बहुत ही गंभीर चिंता सहित जांच का विषय भी है । उन्होंने अपनी बातचीत के दौरान यहां तक कहा की यदि किसान आंदोलन और भी अधिक लंबे समय तक चलाया जाता है तो यह कैसे संभव है या किसी को भी अधिकार तथा छूट दी जा सकती है कि धर्म की आड़ में सिंधु बॉर्डर हत्याकांड की तरह और भी हत्याओं को अंजाम दिया जाए ?  आजाद भारत और सभ्य समाज में सिंधु बॉर्डर जैसे बेरहमी से किए गए हत्याकांड की पुनरावृति हो,  ऐसा किसी भी प्रकार कानूनी, सामाजिक और मानवीय दृष्टिकोण से स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।

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