डीसी के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी के नाम सौंपा गया ज्ञापन

बिना पयाप्त सुरक्षा उपकरण फील्ड में काम करने को मजबूर

आशा कर्मियों की कोविड से मृत्यु होने पर 50 लाख मुआवजा

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम।
 कोरोनाकाल में लगातार काम करते अपनी सेवाएं स्वास्थ्य विभाग सहित प्रशासन को देती आ रही आशा कर्मियों ने सोमवार को हड़ताल करके अपनी मांगों का ज्ञापन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नाम , जिला  उपायुक्त के माध्यम से भिजवाया। गुरूग्राम में लघु सचिवालय पर आशा वर्कर्ज यूनियन, हरियाणा (रजि.न. 1919) की शहर की आशा कर्मी इकट्ठा हुई तथा सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ नारे बाजी करते हुये अपनी मांगे पूरी किया जाने के लिए सरकार पर लाल होते हुए खूब गरजी। इस अवसर पर जनवादी महिला समिति की राज्य अध्यक्ष कामरेड उषा सरोहा, सीआईटीयू के जिला सह सचिव एस एल प्रजापति, द्रोण रेहड़ी पटड़ी के जिला प्रधान योगेश कुमार ने आशा कर्मियों की मांगो का समर्थन किया।

आशा वर्कर्ज यूनियन की जिला प्रधान मीरा ने अपनी मांगों पर बात रखते हुये बताया की सभी आशाआ को सुरक्षा उपकरण मास्क, कैप, फेस शिल्ड, सैनिटाइजर इत्यादि नहीं दिये जा रहे हैं। इन सुरक्षा उपकरणों की कमी से आशा कर्मी खुद भी करोना संक्रमित हो रही है और अन्यों का संक्रमित होने का डर बना हुआ है।  सभी आशा वर्कर्स एवं फैसिलिटेटर्स के लिए निःशुल्क चिकित्सा जांच, कोविड जांच की सुविधा दी जाए। करोना काल में काम कर रही आशाओं के लिए प्रति माह 10,000/-रुपये जोखिम भत्ता दिया जाए।  ओं को दिया जाए। परिवार के लिए कोविड -19 संक्रमण के इलाज के कवरेज के लिए 10 आशा कर्मियों की कोविड संक्रमण से मृत्यु होने पर 50 लाख रुपये का बीमा कवर, सभी आशालाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। बकाया पारिश्रमिक व भत्तों का भुगतान तत्काल किया जाए व  पेंशन, एक्स ग्रेशिया राशि और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ दिए बिना या रिटायरमेंट बेनिफिट्स दिए बिना किसी भी आशा की छंटनी नही की जाए।

अपनी बुनियादी मांगों को लेकर उन्होने बताया की  सरकार स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत राशि आवंटित करें या सब के लिए स्वास्थ्य के अधिकार को संवैधानिक किया जाए। . सार्वभामिक उपकर्म के तौर पर एनएचएम को सरकार का स्थायी स्वास्थ्य कार्यक्रम बनाया जाए एवं इसके लिए पर्याप्त वित्तीय आवंटन किया जाए। 45वें तथा 46वें भारतीय श्रम सम्मेलनों की सिफारिशों को लागू करते हुये सभी आशा वर्कर्स को नियमित किया जाए और न्यूनतम वेतन 24000 दिया जाए। 10000 रू प्रति माह पेंशन सहित सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ दिए जाएं। बुनियादी सेवाओं के निजीकरण के प्रस्तावों का जिनमें स्वास्थ्य सेवा भी शामिल हैं बंद किया जाए।  मजदूरों को गुलाम बनाने वाली चारों श्रम संहिताओं व कृषि संबंधी तीनों काले कानूनों को रद्द किया जाए।
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