जमा खोरी नहीं बढ़ेगी और सरकार का पूरा नियंत्रण रहेगा
किसान की मर्जी वह कही भी अपनी फसल को बेच सकेगा
खरीफ की फसल की खरीद के लिए सरकार की पूरी तैयारी
फतह सिंह उजाला
पटौदी। कृषि अध्यादेश को लेकर बीते चार-पांच दिनों से प्रदेश में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। किसानों पर लाठी चार्ज भी हुआ, उस समय सीएम खट्टर स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे। मामले के तूल पकड़ने के तीन दिन बाद डिप्टी सीएम दुष्यंत ने किसानों पर लाठी चार्ज के तीसरे दिन जांच का समर्थन करते गेंद बीजेपी सहित सरकार के पाले में सरका दी। वही गृहमंत्री अनिल विज ने लाठी चार्ज से ही इंकार कर दिया था। इन्ही सब के बीच खट्टर सरकार सहित बीजेपी के मंत्री और एमएलए डैमेज कंट्रोल में जुट गए है। इन्ही सभी मुद्दों को लेकर बीजेपी के सह प्रवक्ता रहे पटौदी के एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता से बात की गई-
क्या अध्यादेशों से किसानों के लिए बनी मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी ?’ के जवाब में उन्होने कहा यह केवल विपक्ष द्वारा फैलाया जा रहा भ्रम है, जो कि विपक्ष अपने राजनितिक अस्तित्व को बचाने के लिए फैला रहा है। केंद्र सरकार के कृषि और किसान हितैषी अध्यादेशों से किसी तरह की जमा खोरी नहीं बढ़ेगी सरकार का पूरा नियंत्रण रहेगा । किसी भी ऐसी वस्तु की जमाखोरी नहीं करने दी जाएगी, जिसकी मांग बाजार में कम हो गई होगी । अगर कोई ऐसा करेगा भी तो इसके पूरे भण्डारण को सरकार अपने अधिकार में ले सकती है।
उन्होंने कहा कि अध्यादेशों में कही भी ऐसा कोई जिक्र नहीं है कि किसान के लिए एमएसपी पर फसल नहीं बिकेगी किसान अगर चाहे तो मंडी में जाकर एमएसपी पर अपनी फसल को बेच सकता है । अगर उसको मंडी से बाहर अधिक मूल्य मिल रहा है तो वह वहाँ बेच सकता है । यह किसान की मर्जी है, वह कही भी अपनी फसल को बेच सकता है । हरियाणा सरकार ने तो अब खरीफ की फसल की खरीद के लिए सारी तैयारी भी कर ली है ’हरियाणा में धान की खरिद के लिए 400 खरिद केंद्र बाजरा के लिए 120 और मुंग के लिए 30 खरिद केन्द्रों का निर्धारण कर भी दिया है । जिन पर जाकर किसान अपनी फसल को डैच् पर बेच सकता है।
किसानों की जमीन अनुबंध करने वाली कम्पनियाँ कब्जाएंगी ?’
नहीं यह संभव ही नहीं है , किसान की जमीन को किसी भी स्थिति में कोई कंपनी नहीं कब्जा सकती। जब तक का अनुबंध किसान चाहेगा करेगा और जिस मूल्य पर चाहेगा उस पर करेगा । इसकी धारा 8(ं ए ) में उल्लेख है कि अगर अनुबंध समाप्त होने पर कम्पनी किसान की जमीन पर बनाया स्ट्रक्चर जैसे पोली हाउस आदि नही हटाती तो वो सब किसान का हो जाएगा।
अध्यादेश की क्या कुछ और खास बातें
’जो किसान डायरेक्ट मार्केटिंग करना चाहते है या कॉंट्रेक्ट फार्मिंग करना चाहते हैं केवल उनकी सुरक्षा के लिये व मंडी से बाहर भी कृषि व्यापार हो सके इसके लिये संसोधन है’ । क्योंकि डायरेक्ट मार्केटिंग केवल अभी हजार में से एक ही किसान करने वाला है । ’किंतु मंडी व एमएसपी व एमएसपी पर खरीद जारी रहेगी सरकार को सरकारी खरीद से 1000 करोड़ मिलता है । सारी सरकारी खरीद मंडी में ही होगी, ’जब मंडी में खरीद होगी तो व्यापारी व आढ़ती भी सुरक्षित रहेगा। किसान के पास उपज बेचने के विभिन्न विकल्प’, खुद बेचले अपनी फसल , किसानों का समूह बना के बेच ले ( एसपीओ ), व्यापारियों को कंट्रेट करके बेच ले , मंडी में एमएसपी पर सरकारी खरीद में बेच ले। लोकल बेच ले , जिले में स्टेट में बेच ले , पूरे देश में बेच ले । जहां मिले ज्यादा भाव- बेचे । किसी भी जगह बेचने की आजादी - सारे देश में बेचने की आजादी । रोहतक की गुलाब रेवड़़ी की तरह या रोहतक के साबुन की तरह पूरे में बेच सकते है - किसान अपने उत्पाद ।
सरकारी खरीद मंडियों में ही होगी ?
एमएलए जरावता ने कहा कि, किसी ने भी नहीं छेड़ा एमएसपी के कानून को -व्यवस्था ज्यों का त्यों लागू रहेगी - यह एमएसपी की व्यवस्था । ज्यों की त्यों ही जारी रहेगी - सरकारी खरीद । मंडियों में ही होगी सरकारी खरीद । अगर किसी को भी इन अध्यादेश की किसी लाइन पर आपत्ति है तो उसमें क्या सुधार किया जाए या इन अध्यादेशो में किसान के भले के लिए क्या एड किया जाए, ये बताया जा सकता था। क्योंकि इन पर कानून तो संसद मेंही बनेगा । उससे पहले सभी अपने विचार दे सकते है। इसके लिए तीन सांसदों की कमेटी भी बनाई गई है। पर कुछ लोग अपनी हठधर्मिता के कारण ऐसा नही करना चाहते ’तीन अध्यादेशों से मंडियों के सिस्टम पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा । मंडिया पहले की तरह ही काम करेंगी ,यह तो किसान की मर्जी पर निर्भर करेगा की उसको अपनी फसल कहाँ बेचनी है। ये तीनों अध्यादेश खुले बाजार में किसान की सुरक्षा के लिये हैं। किसानों के अपनी बात करने के कई तरीके हो सकते थे । रैली की बजाय, 9 सितंबर को कृषि सचिव ने बातचीत के बुलाया था । कुछ लोगो की हठधर्मीता के कारण ही नहीं आये। अध्यादेश में सुधार बताने की बजाय केवल डर बताकर डायरेक्ट मार्केटिंग करने वाले किसानों के हितैषी अध्यादेशों का विरोध कर रहे हैं । इस तरह से डायरेक्ट मार्केटिंग करने वालों किसानों व एफपीओ का नुकसान ही करेंगे ।’