नीचे से ऊपर तक बदलावव पार्टी में विकेंद्रीकरण के साथ राज्य इकाईयों को मजबूत करने की मांग की।

मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
देश की सबसे पुरानी पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, एक ओर अपनी विचारधारा को लेकर असमंजस व केंद्रीय नेतृत्व की कमज़ोरी के चलते आलोचनाओं का शिकार हो रही है तो दूसरी ओर बीजेपी के मजबूत कैडर व आम जनता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर राहुल गांधी की कमज़ोर दावेदारी के चलते पार्टी कार्यकर्ताओं में अविश्वास पैदा कर दिया है। ऐसे में लगातार पार्टी के अंदर भी नेतृत्व को लेकर फुसफुसाहट चल रही है। जिन राज्यों में पार्टी समीकरण से सत्ता में आती है वहां भी विरोधी पार्टी के द्वारा विधायक खरीद लेने का खतरा लगातार रहता है, हाल में राजस्थान सरकार संकट व मणिपुर में कांग्रेस के विधायकों का बीजेपी में शामिल होना ताज़ा उदहारण है। 

सोमवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी(सीडब्ल्यूसी) से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने भी नेतृत्व में बदलाव को लेकर अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा है। एक धड़ा सामूहिक नेतृत्व की बात कर रहा है तो दूसरा धड़ा राहुल गांधी की अध्यक्ष के तौर पर वापसी चाहता है।
पार्टी के दो दर्जन से अधिक वरिष्ठ नेताओं ने पत्र लिखा, जिसमें ऊपर से लेकर नीचे से बदलाव की मांग की गई है।  यह पत्र पांच पूर्व मुख्यमंत्री, सीडब्ल्यूसी के सदस्य, सांसद, व एक दर्जन से अधिक पूर्व केंद्रीय मंत्रियों ने लिखा है। राहुल गांधी के क़रीबी नेताओं ने राहुल गांधी को वापस अध्यक्ष बनाने की मांग की है।

पार्टी में विकेंद्रीकरण व राज्य इकाइयों के सशक्तिकरण के माध्यम से सुधारों की मांग की।

माना जा रहा है की पत्र कुछ सप्ताह पहले लिखा गया था लेकिन इन सबके साथ कयास लगाए जा रहें हैं कि सीडब्ल्यूसी के लिए मंच तैयार है जहां असंतुष्ट द्वारा चिह्नित मुद्दों पर बहस व चर्चा की उम्मीद है।
पत्र में नेताओं ने सत्ता में विकेंद्रीकरण और राज्य इकाइयों के सशक्तिकरण के माध्यम से सुधारों के लिए केंद्रीय संसदीय बोर्ड की स्थापना के अलावा संगठन में बदलाव लाने की मांग की है। पत्र में गांधी परिवार के साथ सामूहिक निर्णय लेने पर जोर दिया गया है।

नेताओं ने एक पूर्णकालिकप नेतृत्व की नियुक्ति का भी आह्वान किया है जो सक्रिय हो और जिसे कार्यकर्ताओं और नेताओं द्वारा आसानी से संपर्क किया जा सके।  सुधार समर्थक नेताओं ने आगे ब्लॉक समिति से लेकर कार्य समिति स्तर तक स्वतंत्र और निष्पक्ष संगठनात्मक चुनावों के लिए कहा है।

सुधार समर्थक लॉबी को जवाब देने के लिए काउंटर भी तैयार हुआ।

वहीं कांग्रेस में सामूहिक नेतृत्व के लिए बहस करने वाले सुधार समर्थक लॉबी के लिए एक काउंटर भी शुरू हो गया है, जिसमें सांसद मनिकम टैगोर ने पार्टी अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी की वापसी की मांग की है।

टैगोर ने सीडब्ल्यूसी के 2019 के फैसले का जिक्र करते हुए कहा, “गान्धी बलिदान के प्रतीक हैं।  कांग्रेस सीडब्ल्यूसी द्वारा निर्णय 1100 एआईसीसी, 8800 पीसीसी सदस्यों, पांच करोड़ कार्यकर्ताओं और 12 करोड़ समर्थकों की इच्छा को दर्शाता है जो राहुल गांधी को अपना नेता चाहते हैं।"

टैगोर के अलावा चेला वामशी चंद रेड्डी, पूर्व तेलंगाना सांसद व महाराष्ट्र के प्रभारी एआईसीसी(ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी) सचिव ने भी बिना किसी देरी के राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग की है।

रविवार को सीडब्ल्यूसी को लिखे पत्र में, रेड्डी ने कहा,
"मौजूदा स्थितियों को देखते हुए राहुल गांधी को एआईसीसी अध्यक्ष के रूप में प्रचारित करने में किसी भी तरह की देरी कांग्रेस पार्टी की प्रगति के लिए हानिकारक हो सकती है और कांग्रेस परिवार के लिए विवाद पैदा कर सकती है।"

उन्होंने कहा, “लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों की ओर से मैं इस अवसर पर समिति के लिए एक महत्वपूर्ण दबाव का संदर्भ देना चाहूंगा।  हम इस सीडब्ल्यूसी बैठक के होने और राहुल गांधी को एआईसीसी अध्यक्ष के रूप में बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक निर्णय के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा, "जल्द से जल्द लिया गया यह प्रमुख निर्णय, आगे की रचनात्मक कार्रवाई के लिए एक लॉन्चिंग पैड बना सकता है और हम सभी को अंतिम स्थिति के लिए तैयार कर सकते हैं। राहुल गांधी एकमात्र नेता हैं जो वरिष्ठों और युवाओं दोनों को चेतन कर सकते हैं, उनकी ऊर्जाओं को एकजुट कर सकते हैं, उनकी शक्ति को निर्देशित कर सकते हैं। और कांग्रेस के लिए पिछले गौरव को लाने के लिए भूमिका निभा सकते हैं।"

राहुल गांधी को अध्यक्ष के पद के तौर पर प्रमोट करने से पहले वरिष्ठ नेताओं की मांग है कि पार्टी को फिर से मजबूत करने की पहल की जाए। उन सभी कांग्रेसियों से संपर्क साधने की जरूरत है जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं।

उन्हें यह भी लगता है कि सीडब्ल्यूसी भाजपा के खिलाफ जनमत जुटाने में प्रभावी रूप से पार्टी का "मार्गदर्शन" नहीं कर रही है।

पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पृथ्वीराज चव्हाण और राजिंदर कौर भट्टल के अलावा पूर्व मंत्री मुकुल वासनिक, कपिल सिब्बल, एम वीरप्पा मोइली, शशि थरूर, सांसद मनीष तिवारी, और पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद और संदीप दीक्षित शामिल हैं। इसके अलावा राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर के अखिलेश प्रसाद सिंह , कुलदीप शर्मा के भी  हस्ताक्षर हैं।

इन नेताओं ने तर्क दिया कि पार्टी को मजबूत करने पर कांग्रेस प्रमुख के साथ सीधी बातचीत के अभाव में, देश में लोकतंत्र के हित में पार्टी का पुनरुद्धार अनिवार्य हो गया है। लिहाजा अब सीडब्ल्यूसी बैठक से पहले कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गैर गांधी की चर्चा फिर गरमा गई है।
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