सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये छात्रों के भविष्य का फैसला है, परीक्षा का आयोजन होना चाहिए।

मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, 
हिसार। कोरोना संकट में एनटीए(नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) द्वारा जेईई व नीट की परीक्षाओं को लेकर विपक्षी पार्टियां व राज्य सरकारों का विरोध जारी है। ऐसे में फाइनल ईयर के छात्रों द्वारा यूजीसी(यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) के गाइडलाइंस के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसले में यूजीसी के 6 जुलाई दिशा-निर्देशों को रद्द करने से इंकार कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी के दिशा-निर्देशों को यही ठहराते हुए कहा कि राज्य सरकारें परीक्षा को स्थगित कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य आपदा प्रबंधन नियमों के तहत व कोरोना संक्रमण के चलते तयशुदा तारीख तक परीक्षा नही करवा सकते तो वे परीक्षा की तारीख़ बढ़ाने को लेकर यूजीसी से सलाह ले सकते हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि राज्यों को बिना परीक्षा के छात्रों को प्रमोट करने का अधिकार नही है।

फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "राज्य और विश्वविद्यालय 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित किए बिना छात्रों को उत्तीर्ण नहीं कर सकते।

 जो राज्य 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने के इच्छुक नहीं हैं, उन्हें यूजीसी को इसकी जानकारी देनी होगी।"

जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये छात्रों के भविष्य का मामला है। इसके साथ ही देश में उच्च शिक्षा के मानदंडों को भी बनाए रखने की जिम्मेदारी है। इस मामले में छात्रों की तरफ से अदालत में वकील अलख आलोक श्रीवास्तव पेश हुए।

कई राज्यों ने आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत फाइनल ईयर के छात्रों को भी प्रमोट करने का फैसला लिया था।

ग़ौरतलब है कि हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश व उड़ीसा राज्य ने आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत प्रथम, द्वितीय व फाइनल ईयर के छात्रों को भी इंटरनल असेसमेंट व पिछले सेमेस्टर के प्रदर्शन के आधार पर प्रमोट करने का फैसला लिया था। लेकिन बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने का हवाला देते हुए यूजीसी को 30 सितंबर तक फाइनल ईयर की परीक्षा आयोजित करवाने का आदेश जारी किया था।

जेईई व नीट की परीक्षाओं को लेकर विपक्ष का विरोध प्रदर्शन।

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे व महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक व दिल्ली के शिक्षा मंत्री समेत कई नेताओं ने केंद्र सरकार से जेईई व नीट की परीक्षा को लेकर पत्र लिखकर परीक्षा को स्थगित करने की बात कही है।

यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उठा है इस मुद्दे पर छात्रों के साथ पर्यावरण से जुड़े मुद्दे उठाने वालीं ग्रेटा थनबर्ग ने भी अपने आधिकारिक अकाउंट से ट्वीट करके इस मुद्दे पर छात्रों की माँग का समर्थन किया।
इसके साथ ही यूथ कांग्रेस ने शुक्रवार को देशभर में परीक्षाओं को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का फैसला लिया है।


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