200 घण्टों की क्लास व 5 घण्टे की परीक्षा के बाद सर्टिफाइड हुए।

मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी के 'कम्युनिकेशन एंड मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी' विभाग के अध्यक्ष प्रो. उमेश आर्य ने 'श्री श्री स्कूल ऑफ़ योग' द्वारा आयोजित कोर्स को पूरा करने के बाद आयुष मंत्रालय एवं योग एलाइंस अमेरिका से सर्टिफाइड योग शिक्षक बन गए हैं। प्रो. आर्य ने यह कोर्स 200 घण्टों की योग सीखने की ट्रेनिंग करने के बाद पूरा किया है। इस कोर्स के अंतर्गत उन्होंने पतजंलि योग सूत्र, हठ योग प्रदीपिका, मानव शरीर रचना व क्रिया विज्ञान, आयुर्वेद जैसे कड़े विषयों का गहन अध्ययन किया।

इस कोर्स के बाद दुनिया में कहीं भी योग सीखा सकते हैं।

200 घण्टों व 2 महीनों के गहन अध्ययन के बाद प्रो. आर्य ने पांच घण्टे की अंतिम परीक्षा दी व उसे उतीर्ण कर सर्टिफाइड योग शिक्षक बन गए हैं। कोर्स के बाद वे विश्व में कहीं भी योग की कक्षा ले सकते हैं व कोर्स करवा सकते हैं।

कोरोना संकट में योग का महत्व बढ़ा।

प्रो. आर्य ने बताया कि योग से न केवल शारीरिक तंदरुस्ती मिलती है बल्कि यह मानसिक रूप से भी व्यक्ति को निखारता है। उन्होंने योग योग का मतलब समझाते हुए कहा की योग केवल शारारिक परिश्रम मात्र नहीं है, बल्कि ये आपको स्वयं से भी मिलाने में मदद करता है। उन्होंने कहा कि योग करने के दौरान शरीर के हर हिस्से में एनर्जी प्रवाहित होती है जोकि समाधि की ओर ले जाता है जिसमे इंसान खुद से मिलता है। सभी को अपने शरीर को आत्मा के मंदिर के तौर पर ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि आज के वक़्त पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। ऐसे में योग की उपयोगिता और अधिक प्रासंगिक हो गई है।

प्रो. आर्य ने बताया कि कोर्स के दौरान उन्हें मानव शरीर व इसकी जटिलताओं के बारे में बहुत कुछ सीखने मिला।

प्रो. आर्य 'आर्ट ऑफ लिविंग' व गूगल फैक्ट चेकिंग व डेटा वेरिफिकेशन प्रोजेक्ट से भी जुड़े हैं।

प्रो. आर्य कम्युनिकेशन स्किल एक्सपर्ट के तौर पर देशभर में सेमिनार व वेबिनार कर चुके हैं। आर्ट ऑफ़ लिविंग से जुड़कर उन्होंने ईसीए(इमो-कार्डि-एक्शन) तकनीक तैयार की है जिससे वे अन्तर्वैयक्तिक(इंटर-पर्सनल) की प्रैक्टिस के जरिये मानसिक तनाव व थकान को ख़त्म करने की ट्रेनिंग देते हैं।

इसके साथ ही प्रो. आर्य गूगल इंडिया न्यूज़ ट्रेनिंग नेटवर्क से प्रमाणित भी हैं। वे गूगल के 'फैक्ट चेकिंग एंड डेटा वेरिफिकेशन' प्रोजेक्ट से जुड़े हैं व 2010 से ही देशभर में फेक न्यूज़ फैक्ट चेकिंग की ट्रेनिंग दे रहे हैं। ट्रेनिंग में गूगल टूल्स के जरिये फेक न्यूज़ को डिटेक्ट करने की जानकारी देते हैं। हाल ही में प्रो.आर्य ने उपराष्ट्रपति के मीडिया स्टाफ़ को न्यूज़ फैक्ट की ट्रेनिंग दी थी।

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