वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हरियाणा, पंजाब के मुख्यमंत्री व केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री के बीच हुई थी बैठक, लेकिन कोई समाधान नही निकला।

मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
कई दशकों से हरियाणा व पंजाब के बीच चले आ रहे  एसवाईएल(सतलुज-यमुना लिंक) विवाद में अभी भी कोई सुलह होती नही दिख रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर व के केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच मंगलवार को हुई बातचीत में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि अगर पानी साझा करने के लिए कहा गया तो पंजाब जलने लगेगा।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई तीनों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये बातचीत।

एसवाईएल मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है ऐसे में कोर्ट ने 28 जुलाई को केंद्र को निर्देश दिया था की
केंद्र दोनों पक्षों के बीच लम्बे समय से चल रहे विवाद के बीच मध्यस्थता करे। इसी निर्देश के मद्देनजर यह बैठक हुई थी।

बैठक के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसे भावनात्मक मुद्दा बताते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है। सिंह ने कहा कि पंजाब को हर तरफ से खतरा है ऐसे में पानी को साझा करने की कहा गया था पाकिस्तान इसका फ़ायदा उठा सकता है जिससे पंजाब में अलगाववाद बढ़ सकता है।  उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान पंजाब में प्रतिबंधित संगठन सिख फ़ॉर जस्टिस(एसएफजे) को पुनर्जीवित करने की फ़िराक में है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पानी का यह मुद्दा राज्य को अस्थिर कर देगा।

पंजाब की अस्थिरता से हरियाणा व राजस्थान भी प्रभावित होंगे।

अमरिंदर सिंह ने कहा कि अगर आप एसवाईएल के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं तो इससे पंजाब जलेगा और यह राष्ट्रीय समस्या होगी। पंजाब की अस्थिरता से राजस्थान व हरियाणा भी प्रभावित होंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंस में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत दिल्ली से जुड़े थे।

मनोहर लाल खट्टर ने कहा एसवाईएल का निर्माण होना चाहिए।

अमरिंदर सिंह ने बैठक को 'सौहार्दपूर्ण व मैत्रीपूर्ण' कहा। वहीं खट्टर ने कहा कि दशकों से चल रहे मुद्दे का सौहार्दपूर्ण हल होना चाहिए। उन्होंने कहा की हमने अपना पक्ष बरकरार रखा है की एसवाईएल का निर्माण होना चाहिए यही सर्वोच्च न्यायालय चाहती है।

बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि दोनों मुख्यमंत्री चंडीगढ़ में मिलेंगें। मुलाकात की तारीख बाद में तय की जाएगी। मुलाकात के बाद दोनों मुख्यमंत्री केंद्रीय जल शक्ति मंत्री के पास जाएंगे।

दशकों से चल रहा है विवाद।

पंजाब और हरियाणा में एसवाईएल एक प्रमुखचुनावी मुद्दा है दोनों ही तरफ राजनीतिक पार्टियां एक मुद्दे को भुना कर सरकार बनाती हैं लेकिन कई दशकों से इस मुद्दे का कोई हल नही निकला है। 

पंजाब व हरियाणा में सतलुज व यमुना लिंक की कुल लंबाई 212 किलोमीटर है। इसमे से 91 किलोमीटर हिस्सा हरियाणा की तरफ है व 121 किलोमीटर पंजाब की तरफ। 24 मार्च 1976 को केंद्र सरकार ने पंजाब के 7.2 एमएएफ यानी मिलियन एकड़ फीट पानी में से 3.5 एमएएफ हिस्सा हरियाणा को देने की अधिसूचना जारी की थी। 8 अप्रैल 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पंजाब के पटियाला जिले के कपूरई गांव में एसवाईएल का उद्घाटन किया था।

24 जुलाई 1985 को राजीव-लोंगोवाल समझौते को लागू किया गया था और पंजाब ने नहर के निर्माण के लिए अपनी सहमति दी थी। 1988 में उग्रवाद के दौर में नहर के निर्माण कार्य में लगे इंजीनियरों और मजदूरों की हत्याएं हुईं। 1988 के मई महीने के दौरान मजाट में 30 मजदूरों की हत्या कर दी गई। इसके बाद साल 1990 में 3 जुलाई एसवाईएल के निर्माण से जुड़े 2 इंजीनियरों को भी मौत के घाट उतार दिया गया। इसके बाद नहर निर्माण का काम बंद किया गया। समझौते के धरातल पर लागू नहीं होने के बाद हरियाणा ने 1996 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

कोर्ट ने 2002 ने पंजाब को निर्देश दिए की वह एक साल में अपने हिस्से की नहर का निर्माण केंद्र की देखरेख में करे। लेकिन कार्य अटका रहा। 2016 में पंजाब में लोगों की भीड़ ने नहर के किनारे तोड़ दिए व उसे सपाट कर दिया। मामला अभी तक सुप्रीम कोर्ट में अटका हुआ है।


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