पंजाब-हरियाणा हाइकोर्ट ने ट्यूशन फीस के साथ वार्षिक शुल्क भी वसूलने का आदेश दिया।

मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
कोरोना संकट के चलते जहां आम जनमानस को अपने घरेलू खर्चों को उठा पाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है ऐसे में पंजाब-हरियाणा हाइकोर्ट के एक फैसले ने लाखों अभिभावकों को झटका दिया है। कोरोनो महामारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा लगाए गए लोकडाउन के चलते स्कूल बंद है लेकिन निज़ी स्कूल द्वारा फीस वसूल करने पर सरकार ने निज़ी स्कूलों को फीस न लेने का आदेश दिया था। इसी के विरोध में पंजाब-हरियाणा हाइकोर्ट में दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने निज़ी स्कूलों को ट्यूशन फ़ीस के साथ ही बिल्डिंग शुल्क, ट्रांसपोर्ट फीस लेने का रास्ता खोल दिया है। 

चाहे ऑनलाइन क्लास हो या न हो फीस देनी होगी।

हाइकोर्ट के फैसले के बाद वे स्कूल भी ट्यूशन फीस के साथ वार्षिक शुल्क भी ले सकेंगे जो ऑनलाइन क्लास नही दे रहे हैं। ऐसे में ये फैसले उन लाखों अभिवावकों को मायूस कर देने वाला है जो हाइकोर्ट से फीस माफ़ी के आस लगाए बैठे थे। इस मामले में निज़ी स्कूलों ने हाइकोर्ट में दलील दी कि कोरोना संकट में लगाए गए लोकडाउन लगाने की वजह से अभिवावकों के साथ निज़ी स्कूल भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।

इस साल फीस नही बढ़ा सकते निज़ी स्कूल।

हाइकोर्ट के जस्टिस रामेंद्र जैन ने पंजाब के जस्टिस निर्मल जीत कौर के 30 जून को सुनाए फ़ैसले के आधार पर फैसला लिया है जिसमे निज़ी स्कूल को ट्यूशन फीस के साथ नामांकन फीस वसूलने का फैसला सुनाया था। उच्च न्यायालय ने स्कूलों को ट्यूशन फीस के साथ वार्षिक शुल्क भी लेने का फ़ैसला सुनाया है लेकिन इसके साथ ही कोर्ट ने निज़ी स्कूलों को आदेश दिए हैं कि वे इस साल स्कूल फीस नही बढ़ा सकते
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