प्रवासी मजदूरों की कहानी अब एक नए मोड़ पर आ गई है। कोविड-19 लॉकडाउन के कारण जब प्रवासी मजदूरों ने अपने कार्यस्थलों को छोड़कर गांव की तरफ रुख मोड़ लिया था। वही बड़ी मुश्किलों से प्रवासी मजदूर अपने घर पहुंचे थे। कोई पैदल चलकर गया तो किसी को सोनू सूद जैसे बड़े सितारों ने घर पहुंचाया परंतु अब गांव में भी भूखमारी ने कमर तोड़ दी है। अब भूखमरी फिर से उन्हीं मेहनती प्रवासी कामगारों को वापस शहर लौट आने पर मजबूर कर रही है। सोमवार की सुबह कुछ प्रवासी मजदूर दिल्ली के बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन पर अपने कार्यस्थलों पर लौटने के लिए बैठे थे। एक प्रवासी मजदूर ने कहा कि "मैं फरुहाबाद (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला हूं मेरे मालिक ने मुझे फोन करके बुलाया है इसलिए मैं शहर वापस आ गया हूं।" किसी ने कहा "गांव में भी रोजी रोटी का गुजारा नहीं होता. कई-कई दिन भूखे पेट रहना पड़ता है कभी खाना मिलता है कभी नहीं मिलता। बिना काम किए कैसे बीवी बच्चों को खाना खिलाएंगे।"
महामारी प्रवास में एक दुखद सबक सिखाती हैमहामारी प्रवास में एक दुःखद सबक सिखाती है। भारत में प्रवासन एक पुरानी घटना है परंतु 1991 में उदारीकरण के साथ वृद्धि के रूप में विस्फोटक हो गया। तेजी से बढ़ते शहरों को सस्ते श्रम की आवश्यकता थी. और प्रवासन को रोजी-रोटी की चिंता।
मालिक वापस बुला रहे हैं
अब शहरों में फैक्ट्रियों के मालिक मजदूरों को वापस बुला रहे हैं कुछ तो उनके लिए प्राइवेट बस और रेल की टिकट का लेबर कॉन्ट्रैक्ट के द्वारा टिकट करवा कर वापस काम पर आने को कह रहे हैं। देश के कई हिस्सों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार के प्रवासी मजदूर घर से चल पड़े हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था दोबारा से धीरे-धीरे ठीक हो जाएगी। ऐसा माना जा रहा हैं।
गुजरात, दिल्ली और मुंबई बुला रही
वापसी ज्यादा मेहनताना के साथ
गुजरात से भी भारी मात्रा में प्रवासी मजदूर वापस अपने मालिकों के पास लौट रहे हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूर बता रहे हैं कि उनके मालिक उन्हें फोन कर वापस काम पर लौटने को कह रहे हैं इसलिए हम वापस काम पर जा रहे हैं। बिहार के सोनू कुमार ने बताया कि "उसने अपनी जॉब छोड़ दी थी लेकिन अब उसका मालिक उसको दोबारा जॉब ऑफर कर रहा हैं, यहीं नहीं एक अच्छी सैलरी भी दे रहा है।
खाने के साथ निजी बस, रेलवे टिकट का इंतजाम
मालिकों ने सभी के पास बस पहुंचा दी है। लेबर कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक बिहार, उत्तर प्रदेश में बस पहुंच दी गई है जो कि आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और केरला से आई है. साथ ही बसों में उन प्रवासी मजदूरों के खाने की और उनकी टिकट की व्यवस्था की गई है। एक श्रमिक ठेकेदार किशनगंज के सेवानिवृत्त लोक सेवक एस.के. सिन्हा ने कहा कि "यह प्रवासी कुशल श्रमिकों और श्रम ठेकेदारों दोनों के लिए जीत की स्थिति है। दोनों देश भर की निजी कंपनियों से बहुत मांग में है. जबकि कुशल श्रमिकों के वेतन में वृद्धि हुई है. श्रम ठेकेदार कंपनियों से अधिक शुल्क ले रहे है।
सरकार स्थिति पर नज़र रखे
जितनी मात्रा में लोग लॉकडाउन और काम बंद होने के कारण शहर छोड़कर चले गए थे कहीं उससे अधिक मात्रा में शहर वापस लौट रहे हैं। लॉकडाउन से अनलॉक-2 तक के समय से लगातार बढ़ते कोविड-19 संक्रमण को मध्य नजर रखते हुए सरकार को स्थिति पर गौर करने की जरूरत है।