मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन हो गया है।  लालजी टंडन लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके बेटे व उत्तरप्रदेश के कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन ने ट्वीट कर उनके निधन की पुष्टि की।
आशुतोष टंडन ने ट्वीट कर कहा,"बाबू जी नही रहे।"
लम्बे समय से बीमारी से जूझ रहे थे।

लालजी टंडन लंबे समय से किडनी व लिवर की बीमारी से जूझ रहे थे। 11 जून को उनकी हालात गंभीर होने के चलते लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। 13 जून को उनका ऑपरेशन किया गया था। कुछ दिनों से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जा रहा था व किडनी के काम न करने पर उन्हें लगातार डायलिसिस दिया जा रहा था। मेदांता के डायरेक्टर डॉ राकेश कपूर ने बताया कि लालजी टंडन के किडनी फंक्शन में दिक्कत थी। जिसके चलते उनकी डायलिसिस करनी पड़ रही थी। लेकिन अब उनके लिवर ने भी काम करना बंद कर दिया था।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी के क़रीबी थे।

लालजी टंडन ने जनसंघ से अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी। इंदिरा गांधी के खिलाफ जेपी आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। इस दौरान वे अटल बिहार वाजपेयी के क़रीब आ गए। दोनों ने मिलकर उत्तरप्रदेश में जनसंघ की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाया। साल 1978 में उन्हें उत्तरप्रदेश विधान परिषद सदस्य नियुक्त किया गया। 1978 से 1984 और 1990 से 1996 तक दो बार उत्तरप्रदेश विधान परिषद में नियुक्त किये गए। इस दौरान बीजेपी-बसपा गठबंधन में मायावती सरकार व कल्याण सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री चुने गए। बसपा सुप्रीम मायावती उन्हें भाई मानती थी और उन्हें रक्षाबंधन पर राखी बांधती थी।

उत्तरप्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका।

लालजी टंडन का उत्तरप्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका है। उन्हीं के चलते पहली बार उत्तरप्रदेश में बसपा-बीजेपी का गठबंधन हुआ था। साल 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा के सदस्य चुने गए। 2009 में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीति से सन्यास के बाद उनकी लोकसभा की सीट पर उन्होंने लालजी टंडन को रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ उतारा। लालजी टंडन 40 हज़ार वोटों के अंतर से जीते और 15वीं लोकसभा में सदस्य चुने गए। 

बिहार व मध्यप्रदेश के राज्यपाल चुने गए।

साल 2018 में उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद द्वारा बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उन्होंने बिहार की यूनिवर्सिटी में शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई उल्लेखनीय काम किए। 20 जुलाई 2019 को उन्हें आनंदीबेन पटेल की जगह मध्यप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया। अब उनके मरणोपरांत आनंदीबेन पटेल को मध्यप्रदेश का अतरिक्त भार सौंपा गया है।

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