मनीषबालवान सिंह जांगड़ा, हिसार
राजस्थान में अशोक गहलोत की अगुवाई वाली सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक सरकार के लिए अगले 24 घण्टे अहम होने वाले हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद फ़रोख़्त का आरोप लगाकर सरकार गिराने का आरोप लगाया है। अशोक गहलोत ने मीडिया में कहा कि मैं चाहता हूं कि पूरे देश को पता लगना चाहिए कि बीजेपी अब सभी सारी सीमाएं पार कर रही है। बीजेपी हमारी सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है। 

दूसरी ओर राजस्थान कांग्रेस में बगावत की सुर तेज़ हो गए हैं। उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में मौजूद हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि सचिन पायलट मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह बीजेपी में शामिल हो जाएंगे लकिन ये सब सोमवार को राजस्थान में विधायक दल की मीटिंग में स्पष्ट होगा। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो राजस्थान में बुजुर्ग खेमा बनाम युवा खेमा हो गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने युवा उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ तालमेल नही बना पा रहें है। दूसरी ओर सचिन पायलट मुख्यमंत्री की चाह में हैं।

एसओजी(स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) के नोटिस के बाद शुरू हुआ।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को मीडिया में कहा कि एक ओर हम कोरोना महामारी से लड़ रहे हैं दूसरी ओर बीजेपी हमारी सरकार गिराना चाहती है। उन्होंने आगे कहा बीजेपी हमारे विधायकों को पद का लालच या 25-25 करोड़ रुपयों देकर पार्टी बदलने में लगी है। इसके बाद राजस्थान पुलिस के एसओजी में शिकायत दर्ज़ करवाई गई । राजस्थान पुलिस ने बीजेपी के दो नेताओं को गिरफ़्तार किया और निर्दलीय विधायकों के फ़ोन सर्विलांस पर लगाए गए। इसी कड़ी में एसओजी ने सचिन पायलट समेत कई मंत्रियों और विधयकों को नोटिस जारी किया गया। इसी पर मामला बिगड़ गया। नोटिस भेजे जाने पर पायलट खेमे ने निशाना बनाये जाने का आरोप लगाया। शनिवार को मुख्यमंत्री द्वारा विधायक दल में मीटिंग में शामिल न होकर पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली रवाना हो गए। हालांकि एसओजी नोटिस विवाद पर मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर साफ़ किया की एसओजी को कांग्रेस विधायक दल ने बीजेपी नेताओं द्वारा खरीद-फरोख्त की शिकायत की थी। उस संदर्भ में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, चीफ व्हिप और कुछ मंत्री व विधायकों को सामान्य बयान देने के लिए नोटिस आए हैं। मीडिया द्वारा उसको अलग ढंग से प्रस्तुत करना उचित नहीं है।

2018 से ही चल रही है खींचतान।

कांग्रेस 2018 के विधानसभा चुनावों में बहुमत से जीत कर आई थी। लेकिन इसी जीत के साथ मुख्यमंत्री के पद को लेकर खींचतान शुरू हो गई। पार्टी में युवा नेतृत्व बनाम अनुभवी नेतृव की लड़ाई शुरू हो गई थी। ऐसे में सोनिया गांधी ने अनुभवी नेता अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया और अशोक पायलट को उपमुख्यमंत्री का पद मिला। इसी के साथ अशोक गहलोत व सचिन पायलट खेमे में एक दूसरे को लेकर तंज़ कसे जाते रहे हैं। एसओजी नोटिस विवाद को राजस्थान कांग्रेस के संघर्ष को जगजाहिर कर दिया है।

केंद्रीय कांग्रेस में चिंता।

कांग्रेस के केंद्रीय नेतृव में भी चिंता दिखने लगी है। पार्टी में वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर कांग्रेस के हालात को लेकर चिंता जाहिर की उन्होंने ट्वीट पर लिखा अपनी पार्टी के लिए चिंतित हूं, क्या घोड़ों के अस्तबल से भाग जाने के बाद हम जागेंगे। वहीं कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी खुद मामले पर नज़र रखे हुई हैं और नाराज विधायकों को दिल्ली बुलाया गया है।


राजस्थान विधानसभा की मौजूदा स्थिति।

राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं जिसमे से 107 सीटे कांग्रेस के पास हैं जिसमें बसपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए छह विधायक भी हैं। सरकार के पास एक राष्ट्रीय लोकदल के एक विधायक व 12 निर्दलीय विधायक भी हैं। वहीं बीजेपी के पाले में 72 विधायक हैं।

कांग्रेस ने विधायक दल की मीटिंग के लिए जारी किया व्हिप।

राजस्थान कांग्रेस ने विधायक दल की मीटिंग के लिए व्हिप जारी किया है। गैरहाज़िर रहने पर विधायकों पर करवाई होगी। गौरतलब है कि राजस्थान कांग्रेस में चल रहे घमासान को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को विधायक दल की मीटिंग बुलाई है जिसमे सभी विधायकों के लिए व्हिप जारी किया है। ऐसे में अगर सचिन पायलट दिल्ली में हैं और उन्होंने मीटिंग में शामिल न होने का फैसला किया जा। पार्टी सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री के समर्थन में 109 विधायक हैं और सचिन पायलट के समर्थन में 30 विधायक हैं।

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